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डीबीटी के कारण बच रही 1.70 लाख करोड़ से अधिक राशि : पीएम मोदी - सतर्क भारत समृद्धि भारत

प्रधानमंत्री मोदी ने सतर्कता और भ्रष्टाचार निरोध पर राष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन किया. उन्होंने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए समारोह में हिस्सा लिया. इस वर्ष के सम्मेलन का विषय 'सतर्क भारत, समृद्धि भारत' रखा गया है.

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Published : Oct 27, 2020, 5:35 PM IST

Updated : Oct 27, 2020, 10:39 PM IST

नई दिल्ली : सतर्कता और भ्रष्टाचार विरोधी राष्ट्रीय सम्मेलन के उद्घाटन समारोह में पीएम मोदी ने कहा कि 'चाहे भ्रष्टाचार, आर्थिक अपराध, ड्रग्स, मनी लॉन्ड्रिंग, आतंकवाद या टेरर फंडिंग हो, ये सभी एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं.' उन्होंने कहा कि हमें प्रणालीगत जांच, प्रभावी ऑडिट और क्षमता निर्माण और प्रशिक्षण के माध्यम से भ्रष्टाचार के खिलाफ समग्र दृष्टिकोण के साथ काम करने की आवश्यकता है.

पीएम मोदी ने कहा कि अब DBT (डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर) के माध्यम से, गरीबों को सरकार की योजनाओं का 100% लाभ मिलता है, वे इसे सीधे अपने बैंक खातों में प्राप्त करते हैं.

बकौल पीएम मोदी, 'DBT के कारण, गलत हाथों में जाने से 1 लाख 70 हजार करोड़ रुपये से अधिक बचाए जा रहे हैं. आज, हम कह सकते हैं कि देश घोटालों के युग को पीछे छोड़ दिया है.'

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भ्रष्टाचार के वंशवाद को एक बड़ी चुनौती करार देते हुए इसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की वकालत की और कहा कि यह कई राज्यों में राजनीतिक परंपरा का हिस्सा बन गया है जो देश को 'दीमक की तरह खोखला' करता है.

किसी राजनीतिक दल या परिवार का नाम लिए बगैर मोदी ने कहा कि बीते दशकों में देश ने देखा है कि जब भ्रष्टाचार करने वाली एक पीढ़ी को उचित सजा नहीं मिलती तो दूसरी पीढ़ी और ज्यादा ताकत के साथ भ्रष्टाचार करती है.

प्रधानमंत्री मोदी का संबोधन

उन्होंने कहा, 'उसे दिखता है कि जब घर में ही करोड़ों रुपए कालाधन कमाने वाले का कुछ नहीं हुआ या थोड़ी सी सजा पाकर छूट गया तो उसका हौसला और बढ़ जाता है. इस वजह से कई राज्यों में तो ये राजनीतिक परंपरा का हिस्सा बन गया है. पीढ़ी दर पीढ़ी चलने वाला भ्रष्टाचार, भ्रष्टाचार का ये वंशवाद, देश को दीमक की तरह खोखला कर देता है.'

प्रधानमंत्री का यह बयान ऐसे समय में आया है जब बिहार विधानसभा चुनाव के मद्देनजर बुधवार को पहले चरण का मतदान होना है. इस चुनाव में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) का मुकाबला पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव के अगुवाई वाले राष्ट्रीय जनता दल के कांग्रेस व अन्य दलों के महागठबंधन से है. तेजस्वी के पिता व पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद भ्रष्टाचार के मामले में जेल में हैं.

भ्रष्टाचार को देश के विकास में बहुत बड़ी बाधा बताते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि यह समृद्ध भारत के सामने और आत्मनिर्भर भारत के सामने बहुत बड़ी रुकावट है.

उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार के खिलाफ एक भी मामले में ढिलाई उसी मामले तक सीमित नहीं रहती बल्कि वो एक भविष्य के भ्रष्टाचार के लिए नींव बनाती है.

उन्होंने कहा, 'भविष्य के भ्रष्टाचार के लिए, भविष्य के घोटालों के लिए जब उचित कार्रवाई नहीं होती तो समाज में, मीडिया में, इसे अपराध का दर्जा मिलना कम हो जाता है. लोगों के एक बड़े वर्ग को पता होता है, मीडिया को पता होता है कि सामने वाले ने हजारों करोड़ रुपए गलत तरीके से कमाए हैं लेकिन वो भी इसे सहजता से लेने लगते हैं.'

उन्होंने कहा, 'ये स्थिति देश के विकास में बहुत बड़ी बाधा है. ये समृद्ध भारत के सामने, आत्मनिर्भर भारत के सामने बहुत बड़ी रुकावट है.'

मोदी ने कहा कि उनकी सरकार भ्रष्टाचार के खिलाफ 'तनिक भी सहन नहीं करने' की नीति पर आगे बढ़ रही है और इसी के मद्देनजर 2014 से अब तक देश की प्रशासनिक व्यवस्था, बैंकिंग प्रणाली, कृषि, स्वास्थ्य व शिक्षा सहित अन्य कई क्षेत्रों में व्यापक सुधार किए गए हैं.

उन्होंने कहा, 'यह पूरा दौर बड़े सुधारों का रहा है. इन सुधारों को आधार बनाकर आज भारत आत्मनिर्भर भारत के अभियान को सफल बनाने में पूरी शक्ति के साथ जुटा हुआ है. हम भारत को दुनिया के अग्रिम पंक्ति के देशों में लेकर जाए यह जरूरी है.'

उन्होंने कहा, 'हमारा इस बात पर ज्यादा जोर है कि सरकार का न ज्यादा दबाव हो और न सरकार का अभाव हो. सरकार की जहां जितनी जरूरत है, उतनी ही होनी चाहिए. इसलिए बीते वर्षों में डेढ हजार से कानून खत्म किए गए हैं. अनेक नियमों को सरल किया गया है.'

प्रधानमंत्री ने भ्रष्टाचार को प्रशासनिक व्यवस्थाओं का 'सबसे बड़ा शत्रु' बताया ओर कहा कि भ्रष्टाचार केवल कुछ रुपयों की ही बात नहीं होती, एक तरफ वह जहां देश के विकास को ठेस पहुंचाता है वहीं सामाजिक संतुलन को तहस-नहस कर देता है.

उन्होंने कहा, ' देश की व्यवस्था पर जो भरोसा होना चाहिए, एक अपनेपन का जो भाव होना चाहिए, भ्रष्टाचार उस भरोसे पर हमला करता है. भ्रष्टाचार पर डटकर मुकाबला करना एजेंसी या संस्था का दायित्व नहीं है सिर्फ बल्कि इससे निपटना एक सामूहिक जिम्मेदारी है.'

प्रधानमंत्री ने कहा कि 2014 से पहले देश में अलग ही अलग ही परिस्थितियां थीं. हजारों करोड़ के घोटाले, फर्जी कंपनियों का जाल, टैक्स चोरी यह सब वर्षों तक चर्चा के केंद्र में रहे लेकिन उसके बाद देश ने बड़े परिवर्तन का फैसला लिया.

गौरतलब है कि प्रतिवर्ष 27 अक्टूबर से 2 नवंबर तक आयोजित होने वाले इस कार्यक्रम का आयोजन केंद्रीय जांच ब्यूरो करता है, जो सतर्कता जागरूकता सप्ताह के साथ-साथ हो रहा है. इस सम्मेलन की गतिविधियों में सतर्कता संबंधी विषयों पर ध्यान दिया जाएगा, जिनमें लोगों को जागरूक करना और नागरिकों की सहभागिता से सार्वजनिक जीवन में अस्मिता तथा सत्यनिष्ठा के भारत के संकल्प को पुष्ट करना है.

इस तीन दिवसीय सम्मेलन में विदेशों में विधि शास्त्र संबंधी जांच की चुनौतियों, भ्रष्टाचार के खिलाफ एहतियाती सतर्कता को प्रक्रियागत अंकुश के तौर पर लेना, वित्तीय समावेशन में चरणबद्ध सुधार और बैंकों में धोखाधड़ी को रोकना, वृद्धि के इंजन कारक के तौर पर प्रभावी अंकेक्षण पर विचार करना, क्षमता निर्माण और प्रशिक्षण, त्वरित एवं अधिक प्रभावी जांच के लिए एजेंसी का बहु आयामी समन्वयन, आर्थिक अपराधों की उभरती प्रवृत्तियां, साइबर अपराध और आपराधिक जांच एजेंसियों के बीच जांच एवं अपराध को रोकने के लिए अपनाई जाने वाली विधियों को साझा करना शामिल है.

पढ़ें- 'त्योहारों के मौसम में खरीदारी के समय स्थानीय उत्पादों को दें प्राथमिकता'

यह सम्मेलन नीति निर्माताओं और इस तरह की विधियों में कार्यरत पेशेवरों को एक समान प्लेटफॉर्म उपलब्ध कराएगा, ताकि वे प्रक्रियागत सुधारों से भ्रष्टाचार से लड़ सके. साथ ही इससे बेहतर सुशासन तथा जवाबदेह प्रशासन को बढ़ावा मिलेगा. यह भारत में कारोबार करने में सरलता के लिए एक महत्वपूर्ण योगदान कारक है.

नई दिल्ली : सतर्कता और भ्रष्टाचार विरोधी राष्ट्रीय सम्मेलन के उद्घाटन समारोह में पीएम मोदी ने कहा कि 'चाहे भ्रष्टाचार, आर्थिक अपराध, ड्रग्स, मनी लॉन्ड्रिंग, आतंकवाद या टेरर फंडिंग हो, ये सभी एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं.' उन्होंने कहा कि हमें प्रणालीगत जांच, प्रभावी ऑडिट और क्षमता निर्माण और प्रशिक्षण के माध्यम से भ्रष्टाचार के खिलाफ समग्र दृष्टिकोण के साथ काम करने की आवश्यकता है.

पीएम मोदी ने कहा कि अब DBT (डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर) के माध्यम से, गरीबों को सरकार की योजनाओं का 100% लाभ मिलता है, वे इसे सीधे अपने बैंक खातों में प्राप्त करते हैं.

बकौल पीएम मोदी, 'DBT के कारण, गलत हाथों में जाने से 1 लाख 70 हजार करोड़ रुपये से अधिक बचाए जा रहे हैं. आज, हम कह सकते हैं कि देश घोटालों के युग को पीछे छोड़ दिया है.'

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भ्रष्टाचार के वंशवाद को एक बड़ी चुनौती करार देते हुए इसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की वकालत की और कहा कि यह कई राज्यों में राजनीतिक परंपरा का हिस्सा बन गया है जो देश को 'दीमक की तरह खोखला' करता है.

किसी राजनीतिक दल या परिवार का नाम लिए बगैर मोदी ने कहा कि बीते दशकों में देश ने देखा है कि जब भ्रष्टाचार करने वाली एक पीढ़ी को उचित सजा नहीं मिलती तो दूसरी पीढ़ी और ज्यादा ताकत के साथ भ्रष्टाचार करती है.

प्रधानमंत्री मोदी का संबोधन

उन्होंने कहा, 'उसे दिखता है कि जब घर में ही करोड़ों रुपए कालाधन कमाने वाले का कुछ नहीं हुआ या थोड़ी सी सजा पाकर छूट गया तो उसका हौसला और बढ़ जाता है. इस वजह से कई राज्यों में तो ये राजनीतिक परंपरा का हिस्सा बन गया है. पीढ़ी दर पीढ़ी चलने वाला भ्रष्टाचार, भ्रष्टाचार का ये वंशवाद, देश को दीमक की तरह खोखला कर देता है.'

प्रधानमंत्री का यह बयान ऐसे समय में आया है जब बिहार विधानसभा चुनाव के मद्देनजर बुधवार को पहले चरण का मतदान होना है. इस चुनाव में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) का मुकाबला पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव के अगुवाई वाले राष्ट्रीय जनता दल के कांग्रेस व अन्य दलों के महागठबंधन से है. तेजस्वी के पिता व पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद भ्रष्टाचार के मामले में जेल में हैं.

भ्रष्टाचार को देश के विकास में बहुत बड़ी बाधा बताते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि यह समृद्ध भारत के सामने और आत्मनिर्भर भारत के सामने बहुत बड़ी रुकावट है.

उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार के खिलाफ एक भी मामले में ढिलाई उसी मामले तक सीमित नहीं रहती बल्कि वो एक भविष्य के भ्रष्टाचार के लिए नींव बनाती है.

उन्होंने कहा, 'भविष्य के भ्रष्टाचार के लिए, भविष्य के घोटालों के लिए जब उचित कार्रवाई नहीं होती तो समाज में, मीडिया में, इसे अपराध का दर्जा मिलना कम हो जाता है. लोगों के एक बड़े वर्ग को पता होता है, मीडिया को पता होता है कि सामने वाले ने हजारों करोड़ रुपए गलत तरीके से कमाए हैं लेकिन वो भी इसे सहजता से लेने लगते हैं.'

उन्होंने कहा, 'ये स्थिति देश के विकास में बहुत बड़ी बाधा है. ये समृद्ध भारत के सामने, आत्मनिर्भर भारत के सामने बहुत बड़ी रुकावट है.'

मोदी ने कहा कि उनकी सरकार भ्रष्टाचार के खिलाफ 'तनिक भी सहन नहीं करने' की नीति पर आगे बढ़ रही है और इसी के मद्देनजर 2014 से अब तक देश की प्रशासनिक व्यवस्था, बैंकिंग प्रणाली, कृषि, स्वास्थ्य व शिक्षा सहित अन्य कई क्षेत्रों में व्यापक सुधार किए गए हैं.

उन्होंने कहा, 'यह पूरा दौर बड़े सुधारों का रहा है. इन सुधारों को आधार बनाकर आज भारत आत्मनिर्भर भारत के अभियान को सफल बनाने में पूरी शक्ति के साथ जुटा हुआ है. हम भारत को दुनिया के अग्रिम पंक्ति के देशों में लेकर जाए यह जरूरी है.'

उन्होंने कहा, 'हमारा इस बात पर ज्यादा जोर है कि सरकार का न ज्यादा दबाव हो और न सरकार का अभाव हो. सरकार की जहां जितनी जरूरत है, उतनी ही होनी चाहिए. इसलिए बीते वर्षों में डेढ हजार से कानून खत्म किए गए हैं. अनेक नियमों को सरल किया गया है.'

प्रधानमंत्री ने भ्रष्टाचार को प्रशासनिक व्यवस्थाओं का 'सबसे बड़ा शत्रु' बताया ओर कहा कि भ्रष्टाचार केवल कुछ रुपयों की ही बात नहीं होती, एक तरफ वह जहां देश के विकास को ठेस पहुंचाता है वहीं सामाजिक संतुलन को तहस-नहस कर देता है.

उन्होंने कहा, ' देश की व्यवस्था पर जो भरोसा होना चाहिए, एक अपनेपन का जो भाव होना चाहिए, भ्रष्टाचार उस भरोसे पर हमला करता है. भ्रष्टाचार पर डटकर मुकाबला करना एजेंसी या संस्था का दायित्व नहीं है सिर्फ बल्कि इससे निपटना एक सामूहिक जिम्मेदारी है.'

प्रधानमंत्री ने कहा कि 2014 से पहले देश में अलग ही अलग ही परिस्थितियां थीं. हजारों करोड़ के घोटाले, फर्जी कंपनियों का जाल, टैक्स चोरी यह सब वर्षों तक चर्चा के केंद्र में रहे लेकिन उसके बाद देश ने बड़े परिवर्तन का फैसला लिया.

गौरतलब है कि प्रतिवर्ष 27 अक्टूबर से 2 नवंबर तक आयोजित होने वाले इस कार्यक्रम का आयोजन केंद्रीय जांच ब्यूरो करता है, जो सतर्कता जागरूकता सप्ताह के साथ-साथ हो रहा है. इस सम्मेलन की गतिविधियों में सतर्कता संबंधी विषयों पर ध्यान दिया जाएगा, जिनमें लोगों को जागरूक करना और नागरिकों की सहभागिता से सार्वजनिक जीवन में अस्मिता तथा सत्यनिष्ठा के भारत के संकल्प को पुष्ट करना है.

इस तीन दिवसीय सम्मेलन में विदेशों में विधि शास्त्र संबंधी जांच की चुनौतियों, भ्रष्टाचार के खिलाफ एहतियाती सतर्कता को प्रक्रियागत अंकुश के तौर पर लेना, वित्तीय समावेशन में चरणबद्ध सुधार और बैंकों में धोखाधड़ी को रोकना, वृद्धि के इंजन कारक के तौर पर प्रभावी अंकेक्षण पर विचार करना, क्षमता निर्माण और प्रशिक्षण, त्वरित एवं अधिक प्रभावी जांच के लिए एजेंसी का बहु आयामी समन्वयन, आर्थिक अपराधों की उभरती प्रवृत्तियां, साइबर अपराध और आपराधिक जांच एजेंसियों के बीच जांच एवं अपराध को रोकने के लिए अपनाई जाने वाली विधियों को साझा करना शामिल है.

पढ़ें- 'त्योहारों के मौसम में खरीदारी के समय स्थानीय उत्पादों को दें प्राथमिकता'

यह सम्मेलन नीति निर्माताओं और इस तरह की विधियों में कार्यरत पेशेवरों को एक समान प्लेटफॉर्म उपलब्ध कराएगा, ताकि वे प्रक्रियागत सुधारों से भ्रष्टाचार से लड़ सके. साथ ही इससे बेहतर सुशासन तथा जवाबदेह प्रशासन को बढ़ावा मिलेगा. यह भारत में कारोबार करने में सरलता के लिए एक महत्वपूर्ण योगदान कारक है.

Last Updated : Oct 27, 2020, 10:39 PM IST
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