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मेवात में जबरन धर्म परिवर्तन की एसआईटी जांच, सुप्रीम कोर्ट में याचिका - मेवात में जबरन धर्म परिवर्तन

वकीलों और सामाजिक कार्यकर्ताओं के एक संयुक्त समूह ने हरियाणा के नूंह (मेवात) में जबरन धर्म परिवर्तन की एसआईटी जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की है. याचिकाकर्ताओं ने आरोप लगाया है कि नूंह में बहुसंख्यक मुस्लिम समुदाय के कारण वहां के लोगों को इस्लाम में जबरन धर्मांतरित किया जा रहा है.

सुप्रीम कोर्ट
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Published : Oct 29, 2020, 6:59 PM IST

Updated : Oct 29, 2020, 7:13 PM IST

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई है, जिसमें आरोप लगाया गया है कि हरियाणा के नूंह (मेवात) में बहुसंख्यक मुस्लिम समुदाय के कारण वहां के लोगों को इस्लाम में जबरन धर्मांतरित किया जा रहा है. याचिका में नूंह के निवासियों के मौलिक अधिकारों की सुरक्षा की मांग की गई है.

यह याचिका वकीलों और सामाजिक कार्यकर्ताओं द्वारा संयुक्त रूप से दायर की गई है, जिन्होंने इसका विरोध किया है कि नूंह में बहुसंख्यक मुसलमान 'हावी होने की स्थिति' में हैं, जो हिंदुओं को उनके जीने के अधिकार, व्यक्तिगत स्वतंत्रता और धार्मिक अधिकारों से वंचित कर रहे हैं.

याचिका में कहा गया है, 'कई हिंदुओं का जबरन धर्म परिवर्तन किया गया है और कई हिंदू महिलाओं और नाबालिग लड़कियों का अपहरण एवं बलात्कार किया गया है. हिंदू महिलाएं बिल्कुल भी सुरक्षित नहीं हैं. बड़ी संख्या में मुस्लिमों ने अनुसूचित जाति के लोगों पर अत्याचार किए हैं.'

याचिकाकर्ताओं का कहना है कि नूंह में हिंदू आबादी 20 प्रतिशत से घटकर 10-11 प्रतिशत हो गई है.

एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए याचिकाकर्ताओं ने आरोप लगाया कि नूंह में 100 से अधिक गांवों में अब कोई हिंदू नहीं है और 80 गांवों में केवल 4-5 हिंदू परविवार बचे हैं.

यह भी पढ़ें- सीएम त्रिवेंद्र के खिलाफ सीबीआई जांच पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगाई

याचिकाकर्ताओं ने श्मशान घाटों सहित भूमि और संपत्तियों की बहाली और मुसलमानों द्वारा हिंदुओं के खिलाफ अपराधों के मामलों की एसआईटी जांच की मांग की है.

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई है, जिसमें आरोप लगाया गया है कि हरियाणा के नूंह (मेवात) में बहुसंख्यक मुस्लिम समुदाय के कारण वहां के लोगों को इस्लाम में जबरन धर्मांतरित किया जा रहा है. याचिका में नूंह के निवासियों के मौलिक अधिकारों की सुरक्षा की मांग की गई है.

यह याचिका वकीलों और सामाजिक कार्यकर्ताओं द्वारा संयुक्त रूप से दायर की गई है, जिन्होंने इसका विरोध किया है कि नूंह में बहुसंख्यक मुसलमान 'हावी होने की स्थिति' में हैं, जो हिंदुओं को उनके जीने के अधिकार, व्यक्तिगत स्वतंत्रता और धार्मिक अधिकारों से वंचित कर रहे हैं.

याचिका में कहा गया है, 'कई हिंदुओं का जबरन धर्म परिवर्तन किया गया है और कई हिंदू महिलाओं और नाबालिग लड़कियों का अपहरण एवं बलात्कार किया गया है. हिंदू महिलाएं बिल्कुल भी सुरक्षित नहीं हैं. बड़ी संख्या में मुस्लिमों ने अनुसूचित जाति के लोगों पर अत्याचार किए हैं.'

याचिकाकर्ताओं का कहना है कि नूंह में हिंदू आबादी 20 प्रतिशत से घटकर 10-11 प्रतिशत हो गई है.

एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए याचिकाकर्ताओं ने आरोप लगाया कि नूंह में 100 से अधिक गांवों में अब कोई हिंदू नहीं है और 80 गांवों में केवल 4-5 हिंदू परविवार बचे हैं.

यह भी पढ़ें- सीएम त्रिवेंद्र के खिलाफ सीबीआई जांच पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगाई

याचिकाकर्ताओं ने श्मशान घाटों सहित भूमि और संपत्तियों की बहाली और मुसलमानों द्वारा हिंदुओं के खिलाफ अपराधों के मामलों की एसआईटी जांच की मांग की है.

Last Updated : Oct 29, 2020, 7:13 PM IST
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