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नई शिक्षा नीति : सरकारी स्कूलों में प्ले स्कूल, एलकेजी और यूकेजी की व्यवस्था

नई शिक्षा नीति के तहत देशभर में सरकारी स्कूलों में प्ले स्कूल, एलकेजी और यूकेजी में प्रवेश की व्यवस्था होगी. वर्तमान में, यह प्रणाली केवल निजी स्कूलों में है. नई शिक्षा नीति के तीसरे साल से इसमें बाल शिक्षा शामिल होगी.

New Educational Policy
नई शिक्षा नीति
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Published : Oct 29, 2020, 4:50 PM IST

हैदराबाद : नई शैक्षिक नीति के तहत शैक्षणिक वर्ष 2021-22 से इसमें बाल शिक्षा शामिल होगी. इससे सरकारी स्कूलों में कोई भी पहली कक्षा से पहले प्ले स्कूल, एलकेजी और यूकेजी में शामिल हो सकता है. वर्तमान में, यह प्रणाली केवल निजी स्कूलों में है.

इस समय, निजी स्कूलों में कोई भी पांच साल की अवधि के बाद पहली कक्षा में शामिल हो सकता है. चूंकि नई शैक्षिक नीति, 2019 में स्कूलों में प्री-प्राइमरी एजुकेशन शुरू करने की परिकल्पना की गई है, इसलिए राज्यों के स्कूल शिक्षा विभाग ने इसके अनुसार अपनी कवायद की है.

राज्य सरकारों को नई शिक्षा नीति के अनुरूप होने के लिए 294 मदों में परिवर्तन करना होगा और एक अंतिम निर्णय पर पहुंचना होगा.

विभिन्न मदों पर 10 घंटे चर्चा हुई
केंद्र सरकार ने पहले ही प्राथमिक शिक्षा, पाठ्यक्रम परिवर्तन और 3-18 साल तक अनिवार्य मुफ्त शिक्षा की आयु सीमा तय कर दी है. स्कूल शिक्षा के निदेशक श्रीदेव सेना ने इन मदों पर 10 घंटे तक विभिन्न विभागों के प्रमुखों के साथ लंबी चर्चा की और मदवार (आइटम वाइज) कार्यबल समिति गठित करने का निर्णय लिया गया.

दूसरी ओर, शिक्षा के अधिकार अधिनियम में भी बदलाव किए जाने हैं. संबंधित सरकारी स्कूल के परिसर में लगभग 13,000 से अधिक आंगनबाड़ी केंद्र हैं. इसके अलावा 22,000 स्कूल परिसर के बाहर संचालित हो रहे हैं. इनके साथ क्या करना है, यह एक मुद्दा बन गया है.

इस संदर्भ में, स्कूल शिक्षा, महिला और बाल कल्याण विभाग के अधिकारियों की समिति बनाई गई है, जिसमें श्रीरमना कुमार और रमा देवी शामिल हैं. समिति जल्द ही बैठक करने जा रही है, जिसमें पाठ्यक्रम और अन्य मुद्दों पर चर्चा होगी.

दूसरी बैठक में होगी कुछ और मदों पर चर्चा
इंटरमीडिएट बोर्ड को भी स्कूली शिक्षा का हिस्सा बनना है. इसे अन्य राज्यों में लागू करना मुश्किल नहीं है, लेकिन तेलुगु राज्यों में इंटरमीडिएट शिक्षा का अलग बोर्ड है. इसका मतलब है, क्या उन्हें इंटरमीडिएट कक्षाओं के लिए हाई स्कूलों की अनुमति देनी चाहिए? या जूनियर कॉलेजों में 9वीं और 10वीं की कक्षाएं होनी चाहिए? बैठक में इस पर चर्चा हुई.

राज्य शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण (एससीईआरटी), व्यस्क शिक्षा, समग्र शिक्षा अभियान और सामान्य शिक्षा के बीच काम का वितरण किया गया था. मदवार कार्यबल समितियों को नियुक्त करने का निर्णय लिया गया था. समितियों ने जल्द ही फिर से मिलने और शेष मदों पर चर्चा करने और काम के वितरण को अंतिम रूप देने का फैसला किया है.

हैदराबाद : नई शैक्षिक नीति के तहत शैक्षणिक वर्ष 2021-22 से इसमें बाल शिक्षा शामिल होगी. इससे सरकारी स्कूलों में कोई भी पहली कक्षा से पहले प्ले स्कूल, एलकेजी और यूकेजी में शामिल हो सकता है. वर्तमान में, यह प्रणाली केवल निजी स्कूलों में है.

इस समय, निजी स्कूलों में कोई भी पांच साल की अवधि के बाद पहली कक्षा में शामिल हो सकता है. चूंकि नई शैक्षिक नीति, 2019 में स्कूलों में प्री-प्राइमरी एजुकेशन शुरू करने की परिकल्पना की गई है, इसलिए राज्यों के स्कूल शिक्षा विभाग ने इसके अनुसार अपनी कवायद की है.

राज्य सरकारों को नई शिक्षा नीति के अनुरूप होने के लिए 294 मदों में परिवर्तन करना होगा और एक अंतिम निर्णय पर पहुंचना होगा.

विभिन्न मदों पर 10 घंटे चर्चा हुई
केंद्र सरकार ने पहले ही प्राथमिक शिक्षा, पाठ्यक्रम परिवर्तन और 3-18 साल तक अनिवार्य मुफ्त शिक्षा की आयु सीमा तय कर दी है. स्कूल शिक्षा के निदेशक श्रीदेव सेना ने इन मदों पर 10 घंटे तक विभिन्न विभागों के प्रमुखों के साथ लंबी चर्चा की और मदवार (आइटम वाइज) कार्यबल समिति गठित करने का निर्णय लिया गया.

दूसरी ओर, शिक्षा के अधिकार अधिनियम में भी बदलाव किए जाने हैं. संबंधित सरकारी स्कूल के परिसर में लगभग 13,000 से अधिक आंगनबाड़ी केंद्र हैं. इसके अलावा 22,000 स्कूल परिसर के बाहर संचालित हो रहे हैं. इनके साथ क्या करना है, यह एक मुद्दा बन गया है.

इस संदर्भ में, स्कूल शिक्षा, महिला और बाल कल्याण विभाग के अधिकारियों की समिति बनाई गई है, जिसमें श्रीरमना कुमार और रमा देवी शामिल हैं. समिति जल्द ही बैठक करने जा रही है, जिसमें पाठ्यक्रम और अन्य मुद्दों पर चर्चा होगी.

दूसरी बैठक में होगी कुछ और मदों पर चर्चा
इंटरमीडिएट बोर्ड को भी स्कूली शिक्षा का हिस्सा बनना है. इसे अन्य राज्यों में लागू करना मुश्किल नहीं है, लेकिन तेलुगु राज्यों में इंटरमीडिएट शिक्षा का अलग बोर्ड है. इसका मतलब है, क्या उन्हें इंटरमीडिएट कक्षाओं के लिए हाई स्कूलों की अनुमति देनी चाहिए? या जूनियर कॉलेजों में 9वीं और 10वीं की कक्षाएं होनी चाहिए? बैठक में इस पर चर्चा हुई.

राज्य शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण (एससीईआरटी), व्यस्क शिक्षा, समग्र शिक्षा अभियान और सामान्य शिक्षा के बीच काम का वितरण किया गया था. मदवार कार्यबल समितियों को नियुक्त करने का निर्णय लिया गया था. समितियों ने जल्द ही फिर से मिलने और शेष मदों पर चर्चा करने और काम के वितरण को अंतिम रूप देने का फैसला किया है.

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