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कोविड-19 की मुफ्त जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका

सुप्रीम कोर्ट में कोविड-19 के मुफ्त जांच के जनहित याचिका (पीआईएल) दाखिल की गई है. याचिका में कहा गया है कि जब देश कोरोना वायरस के संकट से गुजर रहा है, उस दौरान जांच की कीमत तय करना संविधान उल्लंघन करता है. पढ़ें पूरी खबर...

सुप्रीम कोर्ट
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Published : Mar 31, 2020, 5:22 PM IST

Updated : Mar 31, 2020, 6:16 PM IST

नई दिल्ली : देशभर में कोरोना वायरस का संक्रमण बढ़ता ही जा रहा है. सुप्रीम कोर्ट में कोविड-19 की मुफ्त जांच के लिए एक जनहित याचिका (पीआईएल) दाखिल की गई है. इस याचिका में कहा गया है कि देश में उपजे संकट के दौरान जांच की कीमत तय न की जाए. इससे कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने में मदद मिलेगी.

पीआईएल में कोर्ट से मांग की गई है कि वह केंद्र सरकार को आदेश दे कि सरकारी और निजी लैबों में कोविड-19 की मुफ्त में जांच की जाए और सरकार को निर्देश दिया जाए कि कोविड-19 की जांच गति में तीव्रता लाई जाए. इसके साथ ही एनएबीएल द्वारा मान्यता प्राप्त और गैर मान्यता प्राप्त लैबों में भी इसकी जांच कराई जाए. न कि सिर्फ अंतरराष्ट्रीय मानकों द्वारा मान्यता प्राप्त लैबों में ही कराई जाए.

याचिकाकर्ता अधिवक्ता शशांक देव सुधी ने अपनी याचिका के माध्यम से दावा किया है कि सरकारी अस्पतालों में जगह नहीं हैं और लोगों के पास निजी अस्पतालों में स्थानांतरित होने के अलावा कोई विकल्प नहीं है, जहां उन्हें इलाज कराने के लिए भारी भरकम राशि का भुगतान करना पड़ रहा है.

सुधी ने सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि वह आम लोगों की दुर्दशा के लिए पूरी तरह से 'असंवेदनशील' और 'उदासीन' हैं, जो लॉकडाउन के कारण पहले से ही आर्थिक रूप से बोझ तले दबे हुए हैं.

पढ़ें : सीएम केजरीवाल की अपील- जहां हैं, वहीं रुकिए, सरकार ने किया है रहने-खाने का प्रबंध

उन्होंने कहा कि निजी लैबों में जांच के लिए 4500 रुपये तय करना गलत है. आम नागरिकों को चिकित्सा सुविधाओं की पहुंच से वंचित करना, अनुच्छेद 21 हनन है. इसके अलावा, निजी अस्पतालों, लैबों में कोविड-19 के परीक्षण सुविधा की कीमतों को तय करना अनुच्छेद 14 का उल्लघंन है.

याचिका में कहा गया कि जब देश में कोरोना वायरस का प्रकोप फैला हुआ है. उस दौरान निजी लैबों और अस्पतालों को लोगों को स्वस्थ्य रखने में सहयोग करना चाहिए. उन्होंने कहा कि देश की 130 करोड़ जनता के लिए सिर्फ 114 परीक्षण केंद्र है.

नई दिल्ली : देशभर में कोरोना वायरस का संक्रमण बढ़ता ही जा रहा है. सुप्रीम कोर्ट में कोविड-19 की मुफ्त जांच के लिए एक जनहित याचिका (पीआईएल) दाखिल की गई है. इस याचिका में कहा गया है कि देश में उपजे संकट के दौरान जांच की कीमत तय न की जाए. इससे कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने में मदद मिलेगी.

पीआईएल में कोर्ट से मांग की गई है कि वह केंद्र सरकार को आदेश दे कि सरकारी और निजी लैबों में कोविड-19 की मुफ्त में जांच की जाए और सरकार को निर्देश दिया जाए कि कोविड-19 की जांच गति में तीव्रता लाई जाए. इसके साथ ही एनएबीएल द्वारा मान्यता प्राप्त और गैर मान्यता प्राप्त लैबों में भी इसकी जांच कराई जाए. न कि सिर्फ अंतरराष्ट्रीय मानकों द्वारा मान्यता प्राप्त लैबों में ही कराई जाए.

याचिकाकर्ता अधिवक्ता शशांक देव सुधी ने अपनी याचिका के माध्यम से दावा किया है कि सरकारी अस्पतालों में जगह नहीं हैं और लोगों के पास निजी अस्पतालों में स्थानांतरित होने के अलावा कोई विकल्प नहीं है, जहां उन्हें इलाज कराने के लिए भारी भरकम राशि का भुगतान करना पड़ रहा है.

सुधी ने सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि वह आम लोगों की दुर्दशा के लिए पूरी तरह से 'असंवेदनशील' और 'उदासीन' हैं, जो लॉकडाउन के कारण पहले से ही आर्थिक रूप से बोझ तले दबे हुए हैं.

पढ़ें : सीएम केजरीवाल की अपील- जहां हैं, वहीं रुकिए, सरकार ने किया है रहने-खाने का प्रबंध

उन्होंने कहा कि निजी लैबों में जांच के लिए 4500 रुपये तय करना गलत है. आम नागरिकों को चिकित्सा सुविधाओं की पहुंच से वंचित करना, अनुच्छेद 21 हनन है. इसके अलावा, निजी अस्पतालों, लैबों में कोविड-19 के परीक्षण सुविधा की कीमतों को तय करना अनुच्छेद 14 का उल्लघंन है.

याचिका में कहा गया कि जब देश में कोरोना वायरस का प्रकोप फैला हुआ है. उस दौरान निजी लैबों और अस्पतालों को लोगों को स्वस्थ्य रखने में सहयोग करना चाहिए. उन्होंने कहा कि देश की 130 करोड़ जनता के लिए सिर्फ 114 परीक्षण केंद्र है.

Last Updated : Mar 31, 2020, 6:16 PM IST
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