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'पहले आप-पहले आप' की नीति पर लद्दाख वार्ता पर बर्फ नहीं पिघली - लद्दाख वार्ता

भारत और चीन ने बातचीत के दौरान पूर्वी लद्दाख में सीमा तनाव को कम करने के लिए व्यापक रूप से सहमति व्यक्त की है, लेकिन पता नहीं कैसे, पढ़िए वरिष्ठ संवाददाता संजीब कुमार बरुआ की रिपोर्ट.

Ladakh talks progress
लगातार बढ़ रही दोनों देशों के बीच दिक्कतें
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Published : Jan 13, 2021, 8:18 PM IST

Updated : Jan 13, 2021, 8:57 PM IST

नई दिल्ली : पूर्वी लद्दाख में भारत और चीन विवाद एक अजीब स्थिति से गुजर रहा है. दोनों एशियाई दिग्गज वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर भारी संख्या में सैन्य बल तैनात करने के बाद मोटे तौर पर आपसी विवाद को खत्म करने के लिए सहमत तो हुए हैं, लेकिन पता नहीं कैसे.

भारतीय सेना के प्रमुख जनरल नरवणे ने मंगलवार को कहा था कि दोनों देशों ने आपसी विवाद को खत्म करने के लिए सहमति व्यक्त की है, लेकिन अभी तक इस प्रस्ताव पर आगे कोई प्रगति नहीं हुई है. बता दें, सेना प्रमुख सेना दिवस समारोह से पहले वार्षिक प्रेस वार्ता के मौके पर बोल रहे थे.

सेना के अधिकारी ने दिया बयान

वहीं, इस मामले पर ईटीवी भारत ने सेना के सीनियर अधिकारी से बात की और गहनता से इस मामले को जानना चाहा. सेना के सीनियर अधिकारी ने बताया कि दोनों देशों के बीच बैठक को लेकर अपसी सहमति नहीं बन पा रही है. उन्होंने कहा कि दोनों देश बैठक के लिए अलग-अलग तारीख का सुझाव दे रहे हैं. सेना के अधिकारी ने मजाकिया अंदाज में कहा कि दोनों देश लखनवी अंदाज पहले आप-पहले आप की तरह बर्ताव कर रहे हैं. ईटीवी भारत से बात करते हुए सेना के अधिकारी ने बताया कि इस गंभीर मुद्दे पर बातचीत से पहले चीन भारत से पीछे हटने को कहता है. वहीं भारत भी यही बात चीन से कहता है.

सेना के अधिकारी ने कहा कि भारत ने चीन से पहले फिंगर 4 क्षेत्र को खाली करने के लिए कहा, जबकि चीन ने भारत से पहले पैंगोंग त्सो के दक्षिणी तट पर को खाली करने की मांग की.

भारतीय सैनिकों ने किया आश्चर्यचकित

सेना के सीनियर अधिकारी ने कहा कि जबकि पीपुल्स लिबरेशन आर्मी ने मई में पैंगोंग त्सो के उत्तरी तट पर भारतीय सैनिकों को आश्चर्यचकित किया था, भारतीयों के पास मौका था, जिसका उपयोग उन्होंने सितंबर में किया. जनरल नरवणे ने इसे पहल करनेवाला प्रयास बताया वहीं, सेना प्रमुख ने एक प्रश्न के जवाब में कहा कि पहल करनेवाला हमेशा लाभ की स्थिति में रहता है. जैसा कि हमने अगस्त में किया था. उन्होंने कहा कि हम लोग लगातार संपर्क में थे, लेकिन तब भी चीनी सेना नहीं जानती थी कि हम उन्हें इस तरीके से आश्चर्यचकित करेंगे. उन्होंने कहा कि यह 5 और 6 मई की बात है जब पीपुल्स लिबरेशन आर्मी ने पहली बार फिंगर 4 पर पैंगोंग त्सो के उत्तरी तट पर स्थिति संभाली, जबकि अर्ध-स्थायी संरचनाओं के साथ फिंगर 4 रिगलाइन पर भी कब्ज़ा कर लिया गया.

फिंगर्स 1 से फिंगर 8 उंगली-जैसी पहाड़ियां हैं जो पहाड़ों से दक्षिण की ओर पैंगोंग झील से उत्तर-दक्षिण दिशा में निकलती हैं, जबकि भारत का दावा है कि एलएसी फिंगर 8 के पास है. चीन फिंगर 3 तक क्षेत्र का दावा करता है. अतीत में, जबकि पीपुल्स लिबरेशन आर्मी ने फिंगर 8 से 4 तक गश्त किया था. वहीं, भारतीय सेना ने फिंगर 4 से 8 तक गश्त की. 29 और 30 अगस्त की मध्यरात्रि को भारतीय विशेष बल की टुकड़ियों ने झील के दक्षिणी किनारे पर कब्जा कर लिया था.

पढ़ें: 48 हजार करोड़ की डिफेंस डील को मंजूरी, राजनाथ बोले- भारत के लिए गेम चेंजर

दोनों देशों ने अब तक आठ दौर की वार्ता की है. छठे दौर की वार्ता के दौरान पर्याप्त प्रगति हुई थी, जब दोनों पक्षों ने विवादित क्षेत्र में सैनिकों को स्थिति को बदलने के लिए सहमति नहीं दी, तभी से गतिरोध बना हुआ है.

नई दिल्ली : पूर्वी लद्दाख में भारत और चीन विवाद एक अजीब स्थिति से गुजर रहा है. दोनों एशियाई दिग्गज वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर भारी संख्या में सैन्य बल तैनात करने के बाद मोटे तौर पर आपसी विवाद को खत्म करने के लिए सहमत तो हुए हैं, लेकिन पता नहीं कैसे.

भारतीय सेना के प्रमुख जनरल नरवणे ने मंगलवार को कहा था कि दोनों देशों ने आपसी विवाद को खत्म करने के लिए सहमति व्यक्त की है, लेकिन अभी तक इस प्रस्ताव पर आगे कोई प्रगति नहीं हुई है. बता दें, सेना प्रमुख सेना दिवस समारोह से पहले वार्षिक प्रेस वार्ता के मौके पर बोल रहे थे.

सेना के अधिकारी ने दिया बयान

वहीं, इस मामले पर ईटीवी भारत ने सेना के सीनियर अधिकारी से बात की और गहनता से इस मामले को जानना चाहा. सेना के सीनियर अधिकारी ने बताया कि दोनों देशों के बीच बैठक को लेकर अपसी सहमति नहीं बन पा रही है. उन्होंने कहा कि दोनों देश बैठक के लिए अलग-अलग तारीख का सुझाव दे रहे हैं. सेना के अधिकारी ने मजाकिया अंदाज में कहा कि दोनों देश लखनवी अंदाज पहले आप-पहले आप की तरह बर्ताव कर रहे हैं. ईटीवी भारत से बात करते हुए सेना के अधिकारी ने बताया कि इस गंभीर मुद्दे पर बातचीत से पहले चीन भारत से पीछे हटने को कहता है. वहीं भारत भी यही बात चीन से कहता है.

सेना के अधिकारी ने कहा कि भारत ने चीन से पहले फिंगर 4 क्षेत्र को खाली करने के लिए कहा, जबकि चीन ने भारत से पहले पैंगोंग त्सो के दक्षिणी तट पर को खाली करने की मांग की.

भारतीय सैनिकों ने किया आश्चर्यचकित

सेना के सीनियर अधिकारी ने कहा कि जबकि पीपुल्स लिबरेशन आर्मी ने मई में पैंगोंग त्सो के उत्तरी तट पर भारतीय सैनिकों को आश्चर्यचकित किया था, भारतीयों के पास मौका था, जिसका उपयोग उन्होंने सितंबर में किया. जनरल नरवणे ने इसे पहल करनेवाला प्रयास बताया वहीं, सेना प्रमुख ने एक प्रश्न के जवाब में कहा कि पहल करनेवाला हमेशा लाभ की स्थिति में रहता है. जैसा कि हमने अगस्त में किया था. उन्होंने कहा कि हम लोग लगातार संपर्क में थे, लेकिन तब भी चीनी सेना नहीं जानती थी कि हम उन्हें इस तरीके से आश्चर्यचकित करेंगे. उन्होंने कहा कि यह 5 और 6 मई की बात है जब पीपुल्स लिबरेशन आर्मी ने पहली बार फिंगर 4 पर पैंगोंग त्सो के उत्तरी तट पर स्थिति संभाली, जबकि अर्ध-स्थायी संरचनाओं के साथ फिंगर 4 रिगलाइन पर भी कब्ज़ा कर लिया गया.

फिंगर्स 1 से फिंगर 8 उंगली-जैसी पहाड़ियां हैं जो पहाड़ों से दक्षिण की ओर पैंगोंग झील से उत्तर-दक्षिण दिशा में निकलती हैं, जबकि भारत का दावा है कि एलएसी फिंगर 8 के पास है. चीन फिंगर 3 तक क्षेत्र का दावा करता है. अतीत में, जबकि पीपुल्स लिबरेशन आर्मी ने फिंगर 8 से 4 तक गश्त किया था. वहीं, भारतीय सेना ने फिंगर 4 से 8 तक गश्त की. 29 और 30 अगस्त की मध्यरात्रि को भारतीय विशेष बल की टुकड़ियों ने झील के दक्षिणी किनारे पर कब्जा कर लिया था.

पढ़ें: 48 हजार करोड़ की डिफेंस डील को मंजूरी, राजनाथ बोले- भारत के लिए गेम चेंजर

दोनों देशों ने अब तक आठ दौर की वार्ता की है. छठे दौर की वार्ता के दौरान पर्याप्त प्रगति हुई थी, जब दोनों पक्षों ने विवादित क्षेत्र में सैनिकों को स्थिति को बदलने के लिए सहमति नहीं दी, तभी से गतिरोध बना हुआ है.

Last Updated : Jan 13, 2021, 8:57 PM IST
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