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ईटीवी भारत की खबर देख पूजा ने महिलाओं को बांटे पैड, कहा- 'ऐसी रिपोर्टिंग को सलाम'

मध्य-प्रदेश के मंडला जिले में बिछिया तहसील के धरमपुरी गांव में ईटीवी भारत ने पहुंचकर महिलाओं से माहवारी को लेकर बात की थी, आकार सेवा संस्थान की सामाजिक कार्यकर्ता पूजा अग्रवाल को जब इस बारे में ईटीवी भारत के जरिए जानकारी लगी तो पूजा ने न सिर्फ धरमपुरी गांव की महिलाओं से मिलने पहुंची बल्कि मुफ्त में पैड भी बांटे.

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ETV BHARAT की खबर का असर
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Published : Feb 29, 2020, 3:27 PM IST

Updated : Mar 2, 2020, 11:20 PM IST

मंडला : जिले की बिछिया तहसील के धरमपुरी गांव में ईटीवी भारत की खबर का असर हुआ है. ईटीवी भारत ने ग्रामीण महिलाओं से माहवारी जैसे विषय पर बात की थी और ये जानने की कोशिश की गईं थी कि महिलाएं इस विषय को लेकर कितनी जागरूक हैं, जिसमें ये बात सामने आई कि गांव की महिलाओं को पैड या सेनेटरी नैपकिन के बारे में कोई जानकारी ही नहीं थी, न ही उन्होंने कभी पैड देखा था.

इस खबर को पूजा ने देखा जो महिलाओं को पैड बांटने का काम करती हैं, उन्हें कम कीमत पर उपलब्ध कराती हैं साथ ही महिलाओं को माहवारी पर जागरूक भी करती हैं, उन्होंने ईटीवी भारत से संपर्क किया और टीम के साथ जाकर सेनेट्ररी नैपकीन बांटे.

बर का असर

ईटीवी भारत की टीम के साथ आकार सेवा संस्था से जुड़ीं सामाजिक कार्यकर्ता पूजा अग्रवाल धरमपुरी गांव पहुंची और उन्होंने ईटीवी भारत की खबर के मुताबिक महिलाओं से पूछा कि क्या उन्होंने कभी पैड देखे हैं और उन ग्रामीण महिलाओं के जबाब सुनकर वे भी आश्चर्यचकित रह गईं, आज जब महिलाएं चांद तक पहुंच चुकी हैं तो वहीं कुछ महिलाएं ऐसी भी हैं जिन्हें माहवारी और नैपकीन के बारे बिल्कुल भी जानकारी नहीं है.

पैड पाकर खिले महिलाओं के चेहरे
ईटीवी भारत और आकार सेवा संस्था की टीम जब धरमपुरी पहुंची तो महिलाएं एक बार फिर से एकत्रित होना शुरू हुईं. पूजा अग्रवाल ने सैनेटरी नैपकीन के फायदे, पुराने कपड़े के नुकसान, माहवारी के दौरान रखी जाने वाली सावधानियों के साथ ही पैड के उपयोग के तरीके का डेमो भी दिया, जिसके बाद महिलाओं ने कहा कि अब वे पैड का उपयोग ही करेंगी. साथ ही बहु-बेटियों को भी इसके उपयोग करने के लिए कहेंगी. पैड वूमेन पूजा बीते आठ साल से महिलाओं को पैड कम कीमत पर उपलब्ध कराने के साथ ही इसके लिए जागरूक करने के प्रयास कर रही हैं.

पढ़ें- दिल्ली हिंसा के खिलाफ जंतर-मंतर पर निकाला गया शांति मार्च

अब तक नहीं पहुंचा सरकारी तंत्र

यह आश्चर्य की बात है आकार सेवा संस्था ने खुद ही इस मुद्दे पर ईटीवी भारत के साथ पहल करते हुए उस गांव तक जाने की बात कही, लेकिन अब तक यहां कोई भी सरकारी विभाग या उसके कर्मचारियों ने यहां जाने की जरूरत ही नहीं समझी. अगर मुफ्त में पैड बांटने की योजनाएं नहीं भी हैं तो कम से कम महिलाओं को जागरुक करने के प्रयास तो किये ही जा सकते हैं, जैसा भरोसा पूजा अग्रवाल के द्वारा हमें दिलाया गया है कि ये एक शुरुआत मात्र है और ईटीवी भारत की खबर के बाद उनकी जिम्मेदारी और बढ़ गई है.


ईटीवी भारत का किया धन्यवाद

सामाजिक कार्यकर्ता अनीता सोनगोत्रा हों या फिर पूजा अग्रवाल या ममता चौरसिया सभी ने ईटीवी भारत के इस कदम की सराहना की और कहा कि ये पत्रकारिता का एक ऐसा पहलू है जिस पर चल कर सिर्फ खबरें लगाना नहीं बल्कि समस्याओं के निदान तक पहुंचना लक्ष्य होता है, सामाजिक सरोकारों को मंच देने की ये पहल अनुकरणीय है.

मंडला : जिले की बिछिया तहसील के धरमपुरी गांव में ईटीवी भारत की खबर का असर हुआ है. ईटीवी भारत ने ग्रामीण महिलाओं से माहवारी जैसे विषय पर बात की थी और ये जानने की कोशिश की गईं थी कि महिलाएं इस विषय को लेकर कितनी जागरूक हैं, जिसमें ये बात सामने आई कि गांव की महिलाओं को पैड या सेनेटरी नैपकिन के बारे में कोई जानकारी ही नहीं थी, न ही उन्होंने कभी पैड देखा था.

इस खबर को पूजा ने देखा जो महिलाओं को पैड बांटने का काम करती हैं, उन्हें कम कीमत पर उपलब्ध कराती हैं साथ ही महिलाओं को माहवारी पर जागरूक भी करती हैं, उन्होंने ईटीवी भारत से संपर्क किया और टीम के साथ जाकर सेनेट्ररी नैपकीन बांटे.

बर का असर

ईटीवी भारत की टीम के साथ आकार सेवा संस्था से जुड़ीं सामाजिक कार्यकर्ता पूजा अग्रवाल धरमपुरी गांव पहुंची और उन्होंने ईटीवी भारत की खबर के मुताबिक महिलाओं से पूछा कि क्या उन्होंने कभी पैड देखे हैं और उन ग्रामीण महिलाओं के जबाब सुनकर वे भी आश्चर्यचकित रह गईं, आज जब महिलाएं चांद तक पहुंच चुकी हैं तो वहीं कुछ महिलाएं ऐसी भी हैं जिन्हें माहवारी और नैपकीन के बारे बिल्कुल भी जानकारी नहीं है.

पैड पाकर खिले महिलाओं के चेहरे
ईटीवी भारत और आकार सेवा संस्था की टीम जब धरमपुरी पहुंची तो महिलाएं एक बार फिर से एकत्रित होना शुरू हुईं. पूजा अग्रवाल ने सैनेटरी नैपकीन के फायदे, पुराने कपड़े के नुकसान, माहवारी के दौरान रखी जाने वाली सावधानियों के साथ ही पैड के उपयोग के तरीके का डेमो भी दिया, जिसके बाद महिलाओं ने कहा कि अब वे पैड का उपयोग ही करेंगी. साथ ही बहु-बेटियों को भी इसके उपयोग करने के लिए कहेंगी. पैड वूमेन पूजा बीते आठ साल से महिलाओं को पैड कम कीमत पर उपलब्ध कराने के साथ ही इसके लिए जागरूक करने के प्रयास कर रही हैं.

पढ़ें- दिल्ली हिंसा के खिलाफ जंतर-मंतर पर निकाला गया शांति मार्च

अब तक नहीं पहुंचा सरकारी तंत्र

यह आश्चर्य की बात है आकार सेवा संस्था ने खुद ही इस मुद्दे पर ईटीवी भारत के साथ पहल करते हुए उस गांव तक जाने की बात कही, लेकिन अब तक यहां कोई भी सरकारी विभाग या उसके कर्मचारियों ने यहां जाने की जरूरत ही नहीं समझी. अगर मुफ्त में पैड बांटने की योजनाएं नहीं भी हैं तो कम से कम महिलाओं को जागरुक करने के प्रयास तो किये ही जा सकते हैं, जैसा भरोसा पूजा अग्रवाल के द्वारा हमें दिलाया गया है कि ये एक शुरुआत मात्र है और ईटीवी भारत की खबर के बाद उनकी जिम्मेदारी और बढ़ गई है.


ईटीवी भारत का किया धन्यवाद

सामाजिक कार्यकर्ता अनीता सोनगोत्रा हों या फिर पूजा अग्रवाल या ममता चौरसिया सभी ने ईटीवी भारत के इस कदम की सराहना की और कहा कि ये पत्रकारिता का एक ऐसा पहलू है जिस पर चल कर सिर्फ खबरें लगाना नहीं बल्कि समस्याओं के निदान तक पहुंचना लक्ष्य होता है, सामाजिक सरोकारों को मंच देने की ये पहल अनुकरणीय है.

Last Updated : Mar 2, 2020, 11:20 PM IST
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