हैदराबाद : श्रीकृष्ण जन्मस्थान परिसर के पास स्थित शाही ईदगाह मस्जिद को वहां से हटाने के लिए यहां अदालत में एक याचिका दायर की गयी है. इस पर ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहाद-उल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने शनिवार को कहा कि श्री कृष्ण जन्मस्थान सेवा संघ और शाही ईदगाह ट्रस्ट के बीच विवाद को 1968 में सुलझा लिया गया था फिर से उस मुद्दे को क्यों उठाया जा रहा है.
ओवैसी ने ट्वीट कर कहा कि पूजा का स्थान अधिनियम 1991 पूजा स्थल में बदलने से मना करता है. गृह मंत्रालय को इस अधिनियम का प्रशासन सौंपा गया है, अदालत में इसकी प्रतिक्रिया क्या होगी? शाही ईदगाह ट्रस्ट और श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संघ ने अक्टूबर 1968 में उनके विवाद को हल किया. अब इसे क्यों पुनर्जीवित करें?
मथुरा के सिविल कोर्ट में एक मुकदमा दायर किया गया है, जिसमें मथुरा में संपूर्ण कृष्ण जन्मभूमि को वापस करने का दावा किया गया है. इसमें कहना है कि प्रत्येक इंच भूमि भगवान श्रीकृष्ण और हिंदू समुदाय के भक्तों के लिए पवित्र है.
सूट में शाही ईदगाह मस्जिद को हटाने की मांग
अधिवक्ता विष्णु जैन द्वारा दायर सिविल मुकदमा में कृष्णा जन्मभूमि की पूरी 13.37 एकड़ जमीन को वापस प्राप्त करने की मांग करते हुए 1968 समझौता गलत बताया गया है और कहा गया कि शाही ईदगाह मस्जिद को हटाया जाए.
इस मुकदमे में दावा किया गया है कि भगवान श्रीकृष्ण का जन्म राजा कंस के कारागर में हुआ था और पूरे क्षेत्र को 'कटरा केशव देव' के नाम से जाना जाता है. वह जन्म स्थान मस्जिद ईदगाह ट्रस्ट की प्रबंधन समिति के वर्तमान ढ़ांचे के नीचे हैं. इसमें मथुरा में कृष्ण मंदिर को गिराने के लिए मुगल शासक औरंगजेब को दोषी ठहराया गया है.
सूट में कहा गया कि इतिहास में औरंगजेब ने 1658-1707 ई. से देश पर शासन किया और वह इस्लाम का कट्टर अनुयायी था, उसने बड़ी संख्या में हिंदू धार्मिक स्थलों और मंदिरों को ध्वस्त करने के आदेश जारी किए थे, जिनमें श्रीकृष्ण जन्मस्थान मंदिर भी शामिल है.
औरंगजेब की सेना किसी प्रकार से केशव देव मंदिर को ध्वस्त करने में सफल रही और ताकत दिखाते हुए कहा गया कि यह ईदगाह मस्जिद के रूप में नामित किया गया था.
मुकदमें में ट्रस्ट की समिति द्वारा कथित रूप से अतिक्रमण और अधिरचना को हटाने की मांग की, जिसे ट्रस्ट की समिति ने मस्जिद ईदगाह में सुन्नी सेंट्रल बोर्ड की सहमति से कटरा केशव देव नगर मथुरा में श्री कृष्ण विराजमान के रूप में उठाया है.
मुकदमें कहा गया कि सूपी सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड के खिलाफ दायर मुकदमें के रूप में 12 अक्टूबर, 1968 को प्रबंधन ट्रस्ट की समिति मस्जिद ईदगाह में समझौते को मंजूरी दे दी. यह पूरी तरह अवैध था कि श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संध का इस पर कोई अधिकार नहीं थी. सिविल सूट में शामिल संपत्ति, सिविल जज, मथुरा द्वारा तय की गई थी, उस समय कटरा केशव देव स्थित सूट में शामिल संपत्ति का न तो मालिक था और न ही मालिकाना हक.