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वंजारा, अमीन की याचिका पर दो मई को आ सकता है आदेश

डीजी वंजारा और एनके अमीन की अर्जी पर दो मई को फैसला आ सकता है. हालांकि, गुजरात सरकार ने उनके खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी नहीं दी है. जानें क्या है पूरा मामला...

एनके अमीन और डीजी वंजारा. (डिजाइन फोटो)
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Published : May 1, 2019, 9:41 AM IST

नई दिल्ली: पूर्व IPS अधिकारी डीजी वंजारा और पुलिस अधिकारी एनके अमीन की अर्जी पर CBI की विशेष अदालत दो मई को फैसला सुना सकती है. गुजरात सरकार ने उनके खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी नहीं दी है. इशरत जहां के कथित मुठभेड़ मामले में दोनों सेवानिवृत्त अधिकारी आरोपी हैं.

इस संबंध में विशेष न्यायाधीश जे के पांड्या ने कहा कि वह दो मई को अपना आदेश सुना सकते हैं. गौरतलब है कि अदालत ने 16 अप्रैल को इस मामले की सुनवाई पूरी कर ली थी और आदेश सुनाने के लिए सोमवार का दिन तय किया गया था.

डीजी वंजारा और एनके अमीन ने अदालत से अनुरोध किया था कि राज्य सरकार ने उनके खिलाफ अभियोजन चलाने की CBI को मंजूरी नहीं दी है, जो CRPC धारा 197 के तहत जरूरी है. लिहाजा उनके खिलाफ मामले की सुनवाई को बंद किया जा सकता है.

पढ़ें: इशरत जहां मुठभेड़ मामला: वंजारा की अर्जी पर 29 अप्रैल को आ सकता है फैसला

बता दें, CRPC की धारा 197 के तहत ड्यूटी के दौरान की गई कार्रवाई के लिए लोक सेवक पर मुकदमा चलाने के लिए सरकार की मंजूरी लेना जरूरी है. अदालत ने पहले इसी मामले में आरोप मुक्त करने का अनुरोध करने वाली दोनों आरोपियों की अर्जियों को खारिज कर दिया था.

वहीं, इशरत जहां की मां शमीमा कौसर ने अपनी याचिका में कहा है कि CRPC की धारा 197 के तहत लोक सेवक पर मुकदमा चलाने के लिये मंजूरी की जरूरत होती है.

उन्होंने कहा कि लेकिन यह इस मामले पर लागू नहीं होता है क्योंकि यह अपहरण, कैद में रखने और हत्या का मामला है, जो लोक सेवक की आधिकारिक ड्यूटी के दायरे में नहीं आता है.

नई दिल्ली: पूर्व IPS अधिकारी डीजी वंजारा और पुलिस अधिकारी एनके अमीन की अर्जी पर CBI की विशेष अदालत दो मई को फैसला सुना सकती है. गुजरात सरकार ने उनके खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी नहीं दी है. इशरत जहां के कथित मुठभेड़ मामले में दोनों सेवानिवृत्त अधिकारी आरोपी हैं.

इस संबंध में विशेष न्यायाधीश जे के पांड्या ने कहा कि वह दो मई को अपना आदेश सुना सकते हैं. गौरतलब है कि अदालत ने 16 अप्रैल को इस मामले की सुनवाई पूरी कर ली थी और आदेश सुनाने के लिए सोमवार का दिन तय किया गया था.

डीजी वंजारा और एनके अमीन ने अदालत से अनुरोध किया था कि राज्य सरकार ने उनके खिलाफ अभियोजन चलाने की CBI को मंजूरी नहीं दी है, जो CRPC धारा 197 के तहत जरूरी है. लिहाजा उनके खिलाफ मामले की सुनवाई को बंद किया जा सकता है.

पढ़ें: इशरत जहां मुठभेड़ मामला: वंजारा की अर्जी पर 29 अप्रैल को आ सकता है फैसला

बता दें, CRPC की धारा 197 के तहत ड्यूटी के दौरान की गई कार्रवाई के लिए लोक सेवक पर मुकदमा चलाने के लिए सरकार की मंजूरी लेना जरूरी है. अदालत ने पहले इसी मामले में आरोप मुक्त करने का अनुरोध करने वाली दोनों आरोपियों की अर्जियों को खारिज कर दिया था.

वहीं, इशरत जहां की मां शमीमा कौसर ने अपनी याचिका में कहा है कि CRPC की धारा 197 के तहत लोक सेवक पर मुकदमा चलाने के लिये मंजूरी की जरूरत होती है.

उन्होंने कहा कि लेकिन यह इस मामले पर लागू नहीं होता है क्योंकि यह अपहरण, कैद में रखने और हत्या का मामला है, जो लोक सेवक की आधिकारिक ड्यूटी के दायरे में नहीं आता है.

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