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राजस्थान : सांभर झील के पास करीब 1000 से अधिक प्रवासी पक्षियों की मौत

राजस्थान में अब तक प्रवासी पक्षियों के प्रवास के लिए सबसे मुफीद मानी जाने वाली सांभर झील में पिछले 6-7 दिन में हजारों की संख्या में पक्षियों की मौत का बड़ा मामला सामने आया है. यहां करीब 25 प्रजातियों के एक हजार से ज्यादा पक्षियों की मौत हुई है. जिनमें बड़ी संख्या में प्रवेश पक्षी भी शामिल हैं.

सांभर झील
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Published : Nov 12, 2019, 2:34 PM IST

नागौर : सांभर झील में बड़ी संख्या में प्रवासी और स्थानीय पक्षियों की मौत की घटना से एक तरफ जहां वन विभाग और स्थानीय प्रशासन में हड़कंप मच गया है. वहीं पर्यावरण प्रेमियों ने इस घटना पर चिंता जाहिर की है.

जानकारी के अनुसार, पिछले 6-7 दिन से सांभर झील में कोच्या की ढाणी के आसपास के इलाके में लगातार पक्षियों की मौत होती रही. लेकिन, स्थानीय प्रशासन और वन विभाग के अधिकारियों को इसकी भनक तक नहीं लगी. पर्यावरण प्रेमियों और स्थानीय ग्रामीणों को जब इस घटनाक्रम का पता लगा तो उन्होंने प्रशासनिक अधिकारियों और वन विभाग के अधिकारियों को इसकी जानकारी दी.

1000 से अधिक प्रवासी पक्षियों की मौत

सूचना मिलने पर सांभर तहसीलदार हरि सिंह राव और दूदू एसीएफ संजय कौशिक मौके पर पहुंचे और हालात की जानकारी ली. मौके पर झील के किनारे करीब 3-4 किमी के इलाके में पक्षियों के शव और पंख बिखरे पड़े मिले.

प्रारंभिक तौर पर वन विभाग के एसीएफ कौशिक ने शिकार जैसी किसी घटना से इनकार किया है. उनका कहना है कि पानी में किसी गड़बड़ी या बीमारी की वजह से इतनी बड़ी संख्या में पक्षियों की मौत हुई है.

पढे़ं- गलता घाटी के पुनरुद्धार के नाम पर किए गए निर्माण कार्य को ध्वस्त करे JDA- NGT

इतनी बड़ी संख्या में प्रवासी और स्थानीय पक्षियों की मौत के मामले में करीब एक सप्ताह तक स्थानीय प्रशासन और वन विभाग के अधिकारियों को इसकी भनक तक नहीं लगना इनकी कार्यशैली पर सवाल खड़े करता है.

बहरहाल, यह भी साफ नहीं हो पाया है कि इतनी बड़ी संख्या में पक्षियों की मौत का क्या कारण है. इसका पता लगाने के लिए पक्षियों के शव भोपाल और लुधियाना स्थित प्रयोगशाला में भेजे जा रहे हैं.

नागौर : सांभर झील में बड़ी संख्या में प्रवासी और स्थानीय पक्षियों की मौत की घटना से एक तरफ जहां वन विभाग और स्थानीय प्रशासन में हड़कंप मच गया है. वहीं पर्यावरण प्रेमियों ने इस घटना पर चिंता जाहिर की है.

जानकारी के अनुसार, पिछले 6-7 दिन से सांभर झील में कोच्या की ढाणी के आसपास के इलाके में लगातार पक्षियों की मौत होती रही. लेकिन, स्थानीय प्रशासन और वन विभाग के अधिकारियों को इसकी भनक तक नहीं लगी. पर्यावरण प्रेमियों और स्थानीय ग्रामीणों को जब इस घटनाक्रम का पता लगा तो उन्होंने प्रशासनिक अधिकारियों और वन विभाग के अधिकारियों को इसकी जानकारी दी.

1000 से अधिक प्रवासी पक्षियों की मौत

सूचना मिलने पर सांभर तहसीलदार हरि सिंह राव और दूदू एसीएफ संजय कौशिक मौके पर पहुंचे और हालात की जानकारी ली. मौके पर झील के किनारे करीब 3-4 किमी के इलाके में पक्षियों के शव और पंख बिखरे पड़े मिले.

प्रारंभिक तौर पर वन विभाग के एसीएफ कौशिक ने शिकार जैसी किसी घटना से इनकार किया है. उनका कहना है कि पानी में किसी गड़बड़ी या बीमारी की वजह से इतनी बड़ी संख्या में पक्षियों की मौत हुई है.

पढे़ं- गलता घाटी के पुनरुद्धार के नाम पर किए गए निर्माण कार्य को ध्वस्त करे JDA- NGT

इतनी बड़ी संख्या में प्रवासी और स्थानीय पक्षियों की मौत के मामले में करीब एक सप्ताह तक स्थानीय प्रशासन और वन विभाग के अधिकारियों को इसकी भनक तक नहीं लगना इनकी कार्यशैली पर सवाल खड़े करता है.

बहरहाल, यह भी साफ नहीं हो पाया है कि इतनी बड़ी संख्या में पक्षियों की मौत का क्या कारण है. इसका पता लगाने के लिए पक्षियों के शव भोपाल और लुधियाना स्थित प्रयोगशाला में भेजे जा रहे हैं.

Intro:राजस्थान में अब तक प्रवासी पक्षियों के प्रवास के लिए सबसे मुफीद मानी जाने वाली सांभर झील में पिछले 6-7 दिन में हजारों की संख्या में पक्षियों की मौत का बड़ा मामला सामने आया है। यहां करीब 25 प्रजातियों के एक हजार से ज्यादा पक्षियों की मौत हुई है। जिनमें बड़ी संख्या में प्रवेश पक्षी भी शामिल हैं।Body:नागौर. सांभर झील में बड़ी संख्या में प्रवासी और स्थानीय पक्षियों की मौत की घटना से एक तरफ जहां वन विभाग और स्थानीय प्रशासन में हड़कंप मच गया है। वहीं, पर्यावरण प्रेमियों ने इस घटना पर चिंता जाहिर की है। जानकारी के अनुसार, पिछले 6-7 दिन से सांभर झील में कोच्या की ढाणी के आसपास के इलाके में लगातार पक्षियों की मौत होती रही। लेकिन स्थानीय प्रशासन और वन विभाग के अधिकारियों को इसकी भनक तक नहीं लगी। पर्यावरण प्रेमियों और स्थानीय ग्रामीणों को जब इस घटनाक्रम का पता लगा तो उन्होंने प्रशासनिक अधिकारियों और वन विभाग के अधिकारियों को इसकी जानकारी दी।
सूचना मिलने पर सांभर तहसीलदार हरिसिंह राव और दूदू एसीएफ संजय कौशिक मौके पर पहुंचे और हालात की जानकारी ली। मौके पर झील के किनारे करीब 3-4 किमी के इलाके में पक्षियों के शव और पंख बिखरे पड़े मिले। प्रारंभिक तौर पर वन विभाग के एसीएफ कौशिक ने शिकार जैसी किसी घटना से इनकार किया है। उनका कहना है कि पानी में किसी गड़बड़ी या बीमारी की वजह से इतनी बड़ी संख्या में पक्षियों की मौत हुई है।Conclusion:इतनी बड़ी संख्या में प्रवासी और स्थानीय पक्षियों की मौत के मामले में करीब एक सप्ताह तक स्थानीय प्रशासन और वन विभाग के अधिकारियों को इसकी भनक तक नहीं लगना इनकी कार्यशैली पर सवाल खड़े करता है। बहरहाल, यह भी साफ नहीं हो पाया है कि इतनी बड़ी संख्या में पक्षियों की मौत का क्या कारण है। इसका पता लगाने के लिए पक्षियों के शव भोपाल और लखनऊ स्थित प्रयोगशाला में भेजे जा रहे हैं।
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बाईट 1- संजय कौशिक, एसीएफ, वन विभाग, दूदू।
बाईट 2- हरिसिंह राव, तहसीलदार, सांभर लेक।
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