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'एक देश, एक चुनाव' पर राजनीतिक दलों के बीच सर्वसम्मति की जरूरत : CEC

मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा ने कहा है कि 'एक देश, एक कानून' बहुत जल्द नहीं बनने वाला है और न ही चुनाव आयोग इस मामले में बहुत कुछ कर सकता है. इसके लिए राजनीतिक दलों में सहमति होना आवश्यक है. पढ़ें पूरी खबर...

सुनील अरोड़ा
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Published : Nov 16, 2019, 10:38 PM IST

अहमदाबाद : 'एक देश, एक चुनाव' की चर्चाओं के बीच मुख्य चुनाव आयुक्त (सीईसी) सुनील अरोड़ा ने कहा है कि लोकसभा और विधानसभा के चुनाव एक साथ कराया जाना जल्द नहीं होने वाला है, यह तब तक नहीं हो सकता, जब तक कि राजनीतिक दल साथ बैठ कर सर्वसम्मति पर नहीं पहुंच जाते और कानून में जरूरी संशोधन नहीं लाया जाता.

मुख्य चुनाव आयुक्त ने शनिवार को यहां निरमा विश्वविद्यालय में आयोजित एक कार्यक्रम में कहा कि चुनाव आयोग इस मामले में बहुत कुछ नहीं कर सकता, लेकिन वह ऐसी व्यवस्था को तरजीह देगा. उन्होंने कहा, 'मैं महज इतना कह रहा हूं कि हमलोग सैद्धांतिक रूप से इस पर सहमत हैं.'

उन्होंने कहा कि हालांकि यह राजनीतिक दलों पर निर्भर करता है कि वे (इस विषय पर) एकसाथ बैठें और किसी निष्कर्ष पर पहुंचे, कानून में संशोधन करें ताकि देशभर में लोकसभा व विधानसभा चुनाव एक साथ कराये जा सकें.

अरोड़ा ने कहा, 'जब तक ऐसा नहीं होता है, तब तक सेमिनारों में बात करने के लिए यह एक अच्छा विषय है. लेकिन यह बहुत जल्द भी नहीं होने वाला है. एक साथ चुनाव 1967 तक देश में हो रहे थे, उसके बाद कुछ राज्यों में विधानसभाओं के भंग होने और अन्य कारणों के चलते 'इस व्यवस्था में असंतुलन' पैदा हुआ.'

चुनाव आयुक्त ने कहा कि इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) से छेड़छाड़ नहीं की जा सकती, इसके बावजूद कुछ लोग इसके विपरीत दावा कर रहे हैं.

उन्होंने कहा, 'मैं आप सभी से जिम्मेदारीपूर्वक कहना चाहूंगा कि ईवीएम के साथ छेड़छाड़ नहीं की जा सकती. इसमें खराबी आ सकती है, जैसा कि आपकी कार या दोपहिया वाहनों में होता है, लेकिन इनसे छेड़छाड़ नहीं की जा सकती.'

पढ़ें : शेषन हमेशा हमारे आइकन बने रहेंगे : सुनील अरोड़ा

अरोड़ा ने कहा कि 'प्रख्यात वैज्ञानिकों' ने चुनाव आयोग के लिए ईवीएम और 'वोटर वेरिफाइड पेपर ऑडिट ट्रेल' (वीवीपैट) पर काम किया है और इतना सारा काम करने के बाद वीवीपैट तथा ईवीएम को लेकर संदेह जताने पर उन्हें काफी नाखुशी तथा मायूसी होती है.

उन्होंने कहा, 'जब हम इस संबंध में ईवीएम (से छेड़छाड़ इत्यादि) को लेकर बातचीत करते हैं तो हमलोग थोड़े अतार्किक हो जाते हैं.'

ईवीएम से छेड़छाड़ नहीं हो सकने पर चुनाव आयुक्त ने अपना पक्ष रखने के लिए वर्ष 2014 के बाद से हुए कई चुनावों का उदाहरण दिया.

विश्वविद्यालय के छात्रों को संबोधित करते हुए अरोड़ा ने कहा कि जब मतदान की बारी आती है तो आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लोग समाज के समृद्ध वर्ग की तुलना में अधिक सक्रियता दिखाते हैं.

उन्होंने कहा, 'मतदाता जागरूकता के लिए ऐसे लोगों (समृद्ध लोगों) को नुक्कड़ नाटक नहीं दिखाया जा सकता है. उनके लिए जागरुकता निश्चित रूप से उनके भीतर से आनी चाहिए.'

उन्होंने पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त टी.एन. शेषन के 'युवाओं एवं आकांक्षी भारतीयों के साथ विशेष संबंध' की याद में सेंटर फॉर डेवलपमेंट एट इंडिया इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ डेमोक्रेसी एंड इलेक्शन मैनेजमेंट में चुनाव अध्ययन पर एक 'चेयर' स्थापित करने की घोषणा की.

पढ़ें : पूर्व CEC टीएन शेषन के निधन पर लोगों ने दी श्रद्धांजलि

गौरतलब है कि टी.एन. शेषन का गत 10 नवम्बर को निधन हो गया था. वह 1990 और 1996 के बीच भारत के मुख्य चुनाव आयुक्त थे.

अहमदाबाद : 'एक देश, एक चुनाव' की चर्चाओं के बीच मुख्य चुनाव आयुक्त (सीईसी) सुनील अरोड़ा ने कहा है कि लोकसभा और विधानसभा के चुनाव एक साथ कराया जाना जल्द नहीं होने वाला है, यह तब तक नहीं हो सकता, जब तक कि राजनीतिक दल साथ बैठ कर सर्वसम्मति पर नहीं पहुंच जाते और कानून में जरूरी संशोधन नहीं लाया जाता.

मुख्य चुनाव आयुक्त ने शनिवार को यहां निरमा विश्वविद्यालय में आयोजित एक कार्यक्रम में कहा कि चुनाव आयोग इस मामले में बहुत कुछ नहीं कर सकता, लेकिन वह ऐसी व्यवस्था को तरजीह देगा. उन्होंने कहा, 'मैं महज इतना कह रहा हूं कि हमलोग सैद्धांतिक रूप से इस पर सहमत हैं.'

उन्होंने कहा कि हालांकि यह राजनीतिक दलों पर निर्भर करता है कि वे (इस विषय पर) एकसाथ बैठें और किसी निष्कर्ष पर पहुंचे, कानून में संशोधन करें ताकि देशभर में लोकसभा व विधानसभा चुनाव एक साथ कराये जा सकें.

अरोड़ा ने कहा, 'जब तक ऐसा नहीं होता है, तब तक सेमिनारों में बात करने के लिए यह एक अच्छा विषय है. लेकिन यह बहुत जल्द भी नहीं होने वाला है. एक साथ चुनाव 1967 तक देश में हो रहे थे, उसके बाद कुछ राज्यों में विधानसभाओं के भंग होने और अन्य कारणों के चलते 'इस व्यवस्था में असंतुलन' पैदा हुआ.'

चुनाव आयुक्त ने कहा कि इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) से छेड़छाड़ नहीं की जा सकती, इसके बावजूद कुछ लोग इसके विपरीत दावा कर रहे हैं.

उन्होंने कहा, 'मैं आप सभी से जिम्मेदारीपूर्वक कहना चाहूंगा कि ईवीएम के साथ छेड़छाड़ नहीं की जा सकती. इसमें खराबी आ सकती है, जैसा कि आपकी कार या दोपहिया वाहनों में होता है, लेकिन इनसे छेड़छाड़ नहीं की जा सकती.'

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अरोड़ा ने कहा कि 'प्रख्यात वैज्ञानिकों' ने चुनाव आयोग के लिए ईवीएम और 'वोटर वेरिफाइड पेपर ऑडिट ट्रेल' (वीवीपैट) पर काम किया है और इतना सारा काम करने के बाद वीवीपैट तथा ईवीएम को लेकर संदेह जताने पर उन्हें काफी नाखुशी तथा मायूसी होती है.

उन्होंने कहा, 'जब हम इस संबंध में ईवीएम (से छेड़छाड़ इत्यादि) को लेकर बातचीत करते हैं तो हमलोग थोड़े अतार्किक हो जाते हैं.'

ईवीएम से छेड़छाड़ नहीं हो सकने पर चुनाव आयुक्त ने अपना पक्ष रखने के लिए वर्ष 2014 के बाद से हुए कई चुनावों का उदाहरण दिया.

विश्वविद्यालय के छात्रों को संबोधित करते हुए अरोड़ा ने कहा कि जब मतदान की बारी आती है तो आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लोग समाज के समृद्ध वर्ग की तुलना में अधिक सक्रियता दिखाते हैं.

उन्होंने कहा, 'मतदाता जागरूकता के लिए ऐसे लोगों (समृद्ध लोगों) को नुक्कड़ नाटक नहीं दिखाया जा सकता है. उनके लिए जागरुकता निश्चित रूप से उनके भीतर से आनी चाहिए.'

उन्होंने पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त टी.एन. शेषन के 'युवाओं एवं आकांक्षी भारतीयों के साथ विशेष संबंध' की याद में सेंटर फॉर डेवलपमेंट एट इंडिया इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ डेमोक्रेसी एंड इलेक्शन मैनेजमेंट में चुनाव अध्ययन पर एक 'चेयर' स्थापित करने की घोषणा की.

पढ़ें : पूर्व CEC टीएन शेषन के निधन पर लोगों ने दी श्रद्धांजलि

गौरतलब है कि टी.एन. शेषन का गत 10 नवम्बर को निधन हो गया था. वह 1990 और 1996 के बीच भारत के मुख्य चुनाव आयुक्त थे.

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.AHMEDABAD BOM8
GJ-CEC
Consensus needed among parties on 'one nation, one poll': CEC
         Ahmedabad, Nov 16 (PTI) Simultaneous polls, or 'one
nation, one election', was "not happening very shortly" unless
political parties sit together and evolve consensus and bring
about requisite amendments in law, Chief Election Commissioner
Sunil Arora said here on Saturday.
         This is not something in which the EC could do much
except saying it would also prefer such an arrangement, he
added.
         "And this is not a bureaucratic statement, just saying
we agree in principle, etc. However, it is for the political
parties to sit together and evolve some consensus, do the
requisite amendments in law so that the (election) cycle can
be brought together," Arora said.
         "Unless that is done, it is kind of a good thing to
talk at seminars, but it is not happening very shortly," Arora
said at a function in Nirma University here.
         He said simultaneous elections were in practice in the
country till 1967, before a "cyclic imbalance" was created due
to dissolution of some state assemblies, among other reasons.
         The CEC also asserted that Electronic Voting Machine
(EVM) cannot be tampered with, despite claims to the contrary
from some people.
         "I would like to say to all of you responsibly as the
CEC of the country that EVMs cannot be tempered with. They can
malfunction, like your car or two-wheelers, but they cannot be
tampered with," he asserted.
         Arora said "eminent scientists" working on EVMs and
VVPATs for the Election Commission "feel very unhappy and
deeply anguished that after all this work, the integrity of
the VVPAT and EVMs gets doubted".
         "We sound quite irrational when we talk about EVMs in
this manner (that it has been tampered with, etc.)," he said.
         The CEC cited results of various polls since 2014 to
buttress his point that EVMs cannot be tampered with.
         Addressing a gathering of students of the university,
Arora also said people from economically-weaker sections are
more active when it comes to voting in comparison to those
from the upper strata of society.
         "Such people cannot be shown nukkad natak to raise
voting awareness. For them, awareness must come from within,"
he said.
         He announced setting up of 'chair on interdisciplinary
approach to electoral studies' in the Centre for Development
at India International Institute of Democracy and Election
Management to "commemorate and celebrate" former Chief
Election Commissioner TN Seshan's "special connection with the
young and aspiring Indians".
         Seshan, who was CEC between 1990 and 1996, died on
November 10. PTI KA BNM
NSK
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11161628
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