ETV Bharat / bharat

निर्भया मामला : दोषियों के अंगदान के विकल्प हेतु SC में याचिका दायर

सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर कर सरकार/जेल प्राधिकारियों को अंगदान का विकल्प देने का निर्देश देने की मांग की गई है. यह याचिका बॉम्बे हाईकोर्ट के पूर्व जस्टिस माइकल एफ सल्दान्हा द्वारा दायर की गई है.

etv bharat
बॉम्बे हाईकोर्ट के पूर्व जस्टिस माइकल एफ सल्दान्हा द्वारा दायर की गई है
author img

By

Published : Feb 22, 2020, 8:58 PM IST

Updated : Mar 2, 2020, 5:30 AM IST

नई दिल्ली : बॉम्बे हाईकोर्ट के पूर्व जस्टिस माइकल एफ सल्दान्हा ने कर्नाटक के दो अधिवक्ताओं के साथ सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर कर सरकार/जेल प्राधिकारियों को अंगदान का विकल्प देने का निर्देश देने की मांग की है. सल्दान्हा ने मेडिकल रिसर्च और ऑर्गन रिट्रीवल के लिए यह मांग की है.

याचिका में कहा गया है कि फांसी की सजा इन दोषियों को उस कृत्य के लिए दी जाएगी, जो उन्होंने किया है. लेकिन उन्हें अपने अंगों का दान करने के लिए एक अवसर दिया जाना चाहिए. जिससे वे किसी ऐसे व्यक्ति की सेवा कर सकें, जिसे अंग प्रत्यारोपण की सख्त जरूरत है. ऐसे में इन्हें दूसरे व्यक्ति का जीवन बचाने हेतु सुधार का एक मौका मिलेगा.

सिंगापुर, बेल्जियम और स्पेन में अंगदान की नीतियों का उदाहरण देते हुए, याचिकाकर्ताओं का तर्क है कि भारत में नीतियों की कमी के कारण अंगदान नहीं किया जाता. उन देशों के समान नीतियों को लागू करके अंगों की कमी के कारण होने वाली मौतों के कारणों में सुधार किए जा सकते हैं.

पढ़ें : निर्भया के दोषियों से अंगदान करने की अपील, तिहाड़ जेल प्रशासन को लिखा गया पत्र

गौरतलब है कि दिल्ली, महाराष्ट्र, जम्मू और कश्मीर, केरल, तमिलनाडु आदि राज्यों में पहले से ही लावारिस शवों के अंगों को दान करने की नीतियां हैं.

बॉम्बे हाई कोर्ट में एक न्यायाधीश के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान, न्यायमूर्ति सल्दान्हा ने सरकार और जेल अधिकारियों को निर्देश दिया था के वे दोषी (जिसे मृत्युदंड दिया गया था) द्वारा अपने अंगों को दान करने के अनुरोध का खास ध्यान रखें.

बता दें कि मामले में अपराधी ने, जिसके ऊपर हत्या का आरोप था, कोर्ट द्वारा दिए आदेश को चुनौती नहीं दी. दोषी के अंगदान के अनुरोध के अनुसार उसके अंगों को तुरंत ले जाया गया. रिपोर्ट के मुताबिक, अंगों का इस्तेमाल किया गया था.

नई दिल्ली : बॉम्बे हाईकोर्ट के पूर्व जस्टिस माइकल एफ सल्दान्हा ने कर्नाटक के दो अधिवक्ताओं के साथ सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर कर सरकार/जेल प्राधिकारियों को अंगदान का विकल्प देने का निर्देश देने की मांग की है. सल्दान्हा ने मेडिकल रिसर्च और ऑर्गन रिट्रीवल के लिए यह मांग की है.

याचिका में कहा गया है कि फांसी की सजा इन दोषियों को उस कृत्य के लिए दी जाएगी, जो उन्होंने किया है. लेकिन उन्हें अपने अंगों का दान करने के लिए एक अवसर दिया जाना चाहिए. जिससे वे किसी ऐसे व्यक्ति की सेवा कर सकें, जिसे अंग प्रत्यारोपण की सख्त जरूरत है. ऐसे में इन्हें दूसरे व्यक्ति का जीवन बचाने हेतु सुधार का एक मौका मिलेगा.

सिंगापुर, बेल्जियम और स्पेन में अंगदान की नीतियों का उदाहरण देते हुए, याचिकाकर्ताओं का तर्क है कि भारत में नीतियों की कमी के कारण अंगदान नहीं किया जाता. उन देशों के समान नीतियों को लागू करके अंगों की कमी के कारण होने वाली मौतों के कारणों में सुधार किए जा सकते हैं.

पढ़ें : निर्भया के दोषियों से अंगदान करने की अपील, तिहाड़ जेल प्रशासन को लिखा गया पत्र

गौरतलब है कि दिल्ली, महाराष्ट्र, जम्मू और कश्मीर, केरल, तमिलनाडु आदि राज्यों में पहले से ही लावारिस शवों के अंगों को दान करने की नीतियां हैं.

बॉम्बे हाई कोर्ट में एक न्यायाधीश के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान, न्यायमूर्ति सल्दान्हा ने सरकार और जेल अधिकारियों को निर्देश दिया था के वे दोषी (जिसे मृत्युदंड दिया गया था) द्वारा अपने अंगों को दान करने के अनुरोध का खास ध्यान रखें.

बता दें कि मामले में अपराधी ने, जिसके ऊपर हत्या का आरोप था, कोर्ट द्वारा दिए आदेश को चुनौती नहीं दी. दोषी के अंगदान के अनुरोध के अनुसार उसके अंगों को तुरंत ले जाया गया. रिपोर्ट के मुताबिक, अंगों का इस्तेमाल किया गया था.

Last Updated : Mar 2, 2020, 5:30 AM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.