भुवनेश्वर : अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स), भुवनेश्वर ने हिन्दी भाषा के उपयोग संबंधी निर्देश जारी किए हैं. बीजू जनता दल (बीजद) ने हिन्दी भाषा के उपयोग को लेकर जारी निर्देश का विरोध किया है. विरोध के बाद अस्पताल प्रशासन ने स्पष्ट किया है कि यह आदेश उन कर्मचारियों के लिए है जो, हिन्दी में कुशल हैं या जिन्हें इसका ज्ञान हैं.
दरअसल, एम्स भुवनेश्वर ने 20 फरवरी के आदेश का संज्ञान लिया है. एम्स, भुवनेश्वर की निदेशक डॉ गीताजंली ने बताया है कि हिन्दी का प्रयोग पर प्रशासनिक कार्यों के लिए है.
एम्स निदेशक डॉ. गीताजंली ने कहा कि यह आदेश उन कर्मचारियों द्वारा प्रशासनिक कार्य पर लागू होता है जो या तो हिन्दी में कुशल हैं या उन्हें इसके बारे में जानकारी है. यह अन्य कर्मचारियों पर लागू नहीं है.
एम्स निदेशक डॉ. गीताजंलि ने कहा कि यह आदेश उन कर्मचारियों द्वारा प्रशासनिक कार्य पर लागू होता है, जो या तो हिन्दी में कुशल हैं या उन्हें इसके बारे में जानकारी है और यह अन्य कर्मचारियों के लिए लागू नहीं है. यह मरीजों के देखभाल, पर्चे से संबंधित किसी भी गतिविधी में शामिल नहीं किया जाएगा.
उन्होंने कहा कि यह केवल उन लोगों के लिए है जो हिन्दी में कुशल हैं और प्रशासनिक कार्यों के लिए है. फॉर्म केवल उड़िया और अंग्रेजी में हैं.
बता दें कि इससे पहले, बीजद सांसद पिनाकी मिश्रा ने कहा था कि उनकी पार्टी स्वास्थ्य मंत्रालय के साथ औपचारिक रूप से अपना विरोध जताएगी और निर्देश में बदलाव के लिए कहेगी.
पिनाकी ने कहा, 'ओडिशा भाषाई आधार पर बनने वाला राज्य है और हम किसी को भी अपनी मातृभाषा को दरकिनार करने की अनुमति नहीं देना चाहेंगे, विशेषकर ऐसी कोई भी संस्था जो हमारे राज्य के लोगों के लिए काम कर रही है.'
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उन्होंने कहा, 'हम उड़िया पर जोर दे रहे हैं क्योंकि हमारे लोग इससे परिचित हैं और इससे एम्स में सेवा का काम आसान हो जाएगा और हम स्वास्थ्य मंत्रालय के साथ औपचारिक रूप से अपना विरोध दर्ज कराएंगे और इस निर्देश में बदलाव के लिए कहेंगे.'
बता दें कि 20 फरवरी को एम्स भुवनेश्वर के एक कार्यालय के आदेशानुसार, सरकारी कर्मचारियों को हिन्दी में काम करने का निर्देश दिया गया है.