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चंद्रयान 2 पर बोले नोबेल विजेता वैज्ञानिक- समस्याएं, अप्रत्याशित घटनाएं देती हैं अनुसंधान को धार

सात सितंबर को भारत चांद के साउथ पोल पर परचम लहराने की ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल करने से चंद कदम दूर रह गया. इसी को लेकर भौतिक विज्ञानी सर्जे हरोशे का बयान सामने आया है. पढ़ें पूरी खबर...

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Published : Sep 14, 2019, 12:32 PM IST

Updated : Sep 30, 2019, 1:48 PM IST

फ्रांसीसी भौतिक विज्ञानी सर्जे हरोशे

नई दिल्लीः नोबेल पुरस्कार विजेता फ्रांसीसी भौतिक विज्ञानी सर्जे हरोशे का चंद्रयान 2 को लेकर बयान सामने आया है. उन्होंने कहा कि समस्याएं, हादसे और अप्रत्याशित घटनाएं अनुसंधान को धार देने का काम करती हैं.

उन्होंने आगे कहा कि भारत को चांद के दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र में ऐतिहासिक सॉफ्ट लैंडिंग की कोशिश के दौरान आई खामी के बाद आगे की ओर देखना चाहिए.

साल 2012 में भौतिकी के क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार जीतने वाले 75 वर्षीय हरोशे 'नोबेल प्राइज सीरीज इंडिया 2019' के लिए भारत में हैं और यह देश में इस तरह की तीसरी श्रृंखला है.

चंद्रयान-2 मिशन- बड़ी वैज्ञानिक परियोजना
फ्रांसीसी वैज्ञानिक ने कहा कि चंद्रयान-2 मिशन एक बड़ी वैज्ञानिक परियोजना है और इस तरह की परियोजनाओं में आम तौर पर सरकार का काफी योगदान होता है.

प्रतिष्ठा से जुड़ी परियोजना
उन्होंने कहा, यह एक तरह से प्रतिष्ठा से जुड़ी परियोजना है जिसमें आम तौर पर काफी धन खर्च होता है और जब आपको असफलता मिलती है या कोई दुर्घटना होती है तो मीडिया का ध्यान केंद्रित होने के कारण काफी निराशा होती है.

जब हरोशे से भारत के दूसरे चंद्र मिशन को लेकर सवाल किए गए तो उन्होंने कहा कि, जब मैंने अपनी रिसर्च की तो मुझे इसके परिणाम मिलने तक किसी की भी इसमें रुचि नहीं थी...और मुझे लगता है कि इस तरह की समस्याएं, इस तरह के हादसे तथा इस तरह की अप्रत्याशित घटनाएं अनुसंधान को धार देने का ही काम करती हैं.

लैंडर का टूटा था संपर्क
उल्लेखनीय है कि चंद्रयान-2 के लैंडर विक्रम का गत सात सितंबर को चांद की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग के प्रयास के अंतिम क्षणों में इसरो के जमीनी स्टेशन से संपर्क टूट गया था.

भारत को आगे देखना चाहिए
उन्होंने कहा कि अनुसंधान के दौरान इस तरह की चीजें आम होती हैं और भारत को अब आगे की ओर देखना चाहिए.

पढ़ेंः चंद्रयान-2 का भविष्य के मिशनों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा : इसरो अधिकारी

यह केवल वैज्ञानिक मुद्दा नहीं
फ्रांसीसी वैज्ञानिक ने कहा, सवाल यह है कि आगे क्या होगा और यह केवल वैज्ञानिक मुद्दा नहीं है. यह राजनीतिक और वित्तीय मुद्दा है.

उन्होंने कहा कि देखना होगा समस्या कहां थी और फिर इसे दोबारा ठीक करने की कोशिश की जानी चाहिए.

भारतीय छात्र प्रतिभाशाली
भारतीय छात्रों से बातचीत के उनके अनुभव के बारे में पूछे जाने पर हरोशे ने कहा, वे (भारतीय छात्र) अत्यंत प्रतिभाशाली और ज्ञानी हैं. उन्होंने कई अच्छे सवाल पूछे.

भारतीय छात्रों को सलाह
यह पूछे जाने पर कि वह भारतीय छात्रों को क्या सलाह देना चाहेंगे, हरोश ने कहा कि यही कि उन्हें हर चीज के बारे में जानने की जरूरत नहीं है.

उन्होंने कहा, सबसे पहले मैं छात्रों से कहना चाहूंगा कि आप वह विषय चुनें जिसके प्रति आपका जुनून है और फिर इस पर आगे बढ़ें.

नई दिल्लीः नोबेल पुरस्कार विजेता फ्रांसीसी भौतिक विज्ञानी सर्जे हरोशे का चंद्रयान 2 को लेकर बयान सामने आया है. उन्होंने कहा कि समस्याएं, हादसे और अप्रत्याशित घटनाएं अनुसंधान को धार देने का काम करती हैं.

उन्होंने आगे कहा कि भारत को चांद के दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र में ऐतिहासिक सॉफ्ट लैंडिंग की कोशिश के दौरान आई खामी के बाद आगे की ओर देखना चाहिए.

साल 2012 में भौतिकी के क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार जीतने वाले 75 वर्षीय हरोशे 'नोबेल प्राइज सीरीज इंडिया 2019' के लिए भारत में हैं और यह देश में इस तरह की तीसरी श्रृंखला है.

चंद्रयान-2 मिशन- बड़ी वैज्ञानिक परियोजना
फ्रांसीसी वैज्ञानिक ने कहा कि चंद्रयान-2 मिशन एक बड़ी वैज्ञानिक परियोजना है और इस तरह की परियोजनाओं में आम तौर पर सरकार का काफी योगदान होता है.

प्रतिष्ठा से जुड़ी परियोजना
उन्होंने कहा, यह एक तरह से प्रतिष्ठा से जुड़ी परियोजना है जिसमें आम तौर पर काफी धन खर्च होता है और जब आपको असफलता मिलती है या कोई दुर्घटना होती है तो मीडिया का ध्यान केंद्रित होने के कारण काफी निराशा होती है.

जब हरोशे से भारत के दूसरे चंद्र मिशन को लेकर सवाल किए गए तो उन्होंने कहा कि, जब मैंने अपनी रिसर्च की तो मुझे इसके परिणाम मिलने तक किसी की भी इसमें रुचि नहीं थी...और मुझे लगता है कि इस तरह की समस्याएं, इस तरह के हादसे तथा इस तरह की अप्रत्याशित घटनाएं अनुसंधान को धार देने का ही काम करती हैं.

लैंडर का टूटा था संपर्क
उल्लेखनीय है कि चंद्रयान-2 के लैंडर विक्रम का गत सात सितंबर को चांद की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग के प्रयास के अंतिम क्षणों में इसरो के जमीनी स्टेशन से संपर्क टूट गया था.

भारत को आगे देखना चाहिए
उन्होंने कहा कि अनुसंधान के दौरान इस तरह की चीजें आम होती हैं और भारत को अब आगे की ओर देखना चाहिए.

पढ़ेंः चंद्रयान-2 का भविष्य के मिशनों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा : इसरो अधिकारी

यह केवल वैज्ञानिक मुद्दा नहीं
फ्रांसीसी वैज्ञानिक ने कहा, सवाल यह है कि आगे क्या होगा और यह केवल वैज्ञानिक मुद्दा नहीं है. यह राजनीतिक और वित्तीय मुद्दा है.

उन्होंने कहा कि देखना होगा समस्या कहां थी और फिर इसे दोबारा ठीक करने की कोशिश की जानी चाहिए.

भारतीय छात्र प्रतिभाशाली
भारतीय छात्रों से बातचीत के उनके अनुभव के बारे में पूछे जाने पर हरोशे ने कहा, वे (भारतीय छात्र) अत्यंत प्रतिभाशाली और ज्ञानी हैं. उन्होंने कई अच्छे सवाल पूछे.

भारतीय छात्रों को सलाह
यह पूछे जाने पर कि वह भारतीय छात्रों को क्या सलाह देना चाहेंगे, हरोश ने कहा कि यही कि उन्हें हर चीज के बारे में जानने की जरूरत नहीं है.

उन्होंने कहा, सबसे पहले मैं छात्रों से कहना चाहूंगा कि आप वह विषय चुनें जिसके प्रति आपका जुनून है और फिर इस पर आगे बढ़ें.

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Last Updated : Sep 30, 2019, 1:48 PM IST
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