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हार्वे जे ऑल्टर, माइकल ह्यूटन और चार्ल्स एम राइस को मेडिसिन का नोबेल पुरस्कार

चिकित्सा क्षेत्र में (मेडिसिन) नोबेल पुरस्कार हार्वे जे ऑल्टर, माइकल ह्यूटन और चार्ल्स एम राइस को प्रदान किया गया. पिछले साल मेडिसिन का नोबेल ग्रेग एल सीमेंजा (Gregg. L Semenza), सर पीटर जे रैटक्लिफी (Sir Oeter J. Ratcliffe) और विलियम जी काएलिन जूनियर (William G. Kaelin Jr) को दिया गया था.

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Published : Oct 5, 2020, 3:14 PM IST

Updated : Oct 7, 2020, 4:14 PM IST

नई दिल्ली : चिकित्सा क्षेत्र में 2020 के नोबेल पुरस्कार की घोषणा कर दी गई है. तीन लोगों को यह पुरस्कार दिया गया है. नोबेल सम्मान हासिल करने वाले लोगों में हार्वे जे ऑल्टर, माइकल ह्यूटन और चार्ल्स एम राइस शामिल हैं.

अमेरिकी वैज्ञानिक हार्वे जे आल्टर और चार्ल्स एम राइस तथा ब्रिटिश विज्ञानी माइकल हफटन को हेपेटाइटिस सी वायरस की खोज के लिए सोमवार को चिकित्सा के क्षेत्र के नोबेल पुरस्कार के लिए चुना गया है.

मेडिसिन के नोबेल पुरस्कार की घोषणा..

नोबेल पुरस्कार समिति ने सोमवार को स्टाकहोम में इसकी घोषणा करते हुए कहा कि तीनों वैज्ञानिकों के अनुसंधान से रक्त से होने वाले हेपेटाइटिस संक्रमण के प्रमुख स्रोत की व्याख्या करने में मदद मिली, जो हेपेटाइटिस ए और बी बिषाणुओं द्वारा नहीं की जा सकी थी.

समिति ने कहा कि उनके अनुसंधान कार्य से रक्त की जांच और नयी दवाओं की खोज में मदद मिल सकी जिससे लाखों लोगों की जान बच सकी.

नोबेल समिति के अनुसार उनकी खोज का परिणाम है कि आज वायरस के लिए अत्यंत सटीक परिणाम देने वाली खून जांच उपलब्ध है. इससे दुनियाभर के अनेक हिस्सों में रक्त चढ़ाने के कारण हेपेटाइटिस संक्रमण को रोका जा सकता है और वैश्विक रूप से स्वास्थ्य संबंधी व्यापक सुधार हुआ है.

उसने कहा कि उनकी खोज से हेपेटाइटिस सी के लिए एंटीवायरल दवा के त्वरित विकास की दिशा में भी काम हुआ है. इतिहास में पहली बार अब रोग का उपचार किया जा सकता है जिससे दुनियाभर से हेपेटाइटिस सी वायरस के उन्मूलन की उम्मीदें बढ़ी हैं.

विश्व स्वास्थ्य संगठन के आकलन के अनुसार दुनियाभर में हेपेटाइिटस के सात करोड़ से अधिक मामले हैं और हर साल इससे चार लाख से अधिक लोगों की मृत्यु हो जाती है. यह बीमारी गंभीर है और इससे यकृत संबंधी समस्या और कैंसर तक होने की आशंका होती है.

प्रतिष्ठित नोबेल पुरस्कार में स्वर्ण पदक और एक करोड़ स्वीडिश क्रोनोर (11,18,000 अमेरिकी डॉलर से अधिक) की पुरस्कार राशि प्रदान की जाती है. पुरस्कार की शुरुआत 124 साल पहले स्वीडन के वैज्ञानिक अल्फ्रेड नोबेल ने की थी.

इस साल चिकित्सा क्षेत्र के पुरस्कार का विशेष महत्व है जहां कोरोना वायरस महामारी के कारण दुनियाभर के समाजों और अर्थव्यवस्थाओं के लिए चिकित्सा अनुसंधान की अहमियत रेखांकित हुई है. इसके अलावा हर वर्ष भौतिकी, रसायनशास्त्र, साहित्य, शांति और अर्थशास्त्र के क्षेत्रों में उत्कृष्ट कार्य के लिए नोबेल पुरस्कार प्रदान किये जाते हैं.

बता दें कि साल 2019 में मेडिसिन का नोबेल ग्रेग एल सीमेंजा (Gregg. L Semenza), सर पीटर जे रैटक्लिफी (Sir Oeter J. Ratcliffe) और विलियम जी काएलिन जूनियर (William G. Kaelin Jr) को दिया गया था. इन तीनों लोगों को ऑक्सीजन पर काम करने के लिए नोबेल पुरस्कार दिया गया था.

नोबेल समिति ने उन्हें 'कोशिकाओं के ऑक्सीजन की उपलब्धता का आभास करने और उसके अनुकूल बनने' पर उनकी खोज के लिए संयुक्त रूप से विजेता घोषित किया था.

कैरोलिंस्का इंस्टीट्यूटेट ने एक बयान में बताया कि तीनों 90 लाख क्रोनोर (9,18,000 डॉलर) की नकद राशि बराबर साझा करेंगे. तीनों वैज्ञानिकों की इस महत्वपूर्ण खोज का शरीर विज्ञान के लिए बुनियादी महत्व है और इससे एनीमिया (रक्तालप्ता), कैंसर तथा अन्य कई बीमारियों से लड़ने की नयी रणनीतियों का रास्ता साफ हुआ था.

नई दिल्ली : चिकित्सा क्षेत्र में 2020 के नोबेल पुरस्कार की घोषणा कर दी गई है. तीन लोगों को यह पुरस्कार दिया गया है. नोबेल सम्मान हासिल करने वाले लोगों में हार्वे जे ऑल्टर, माइकल ह्यूटन और चार्ल्स एम राइस शामिल हैं.

अमेरिकी वैज्ञानिक हार्वे जे आल्टर और चार्ल्स एम राइस तथा ब्रिटिश विज्ञानी माइकल हफटन को हेपेटाइटिस सी वायरस की खोज के लिए सोमवार को चिकित्सा के क्षेत्र के नोबेल पुरस्कार के लिए चुना गया है.

मेडिसिन के नोबेल पुरस्कार की घोषणा..

नोबेल पुरस्कार समिति ने सोमवार को स्टाकहोम में इसकी घोषणा करते हुए कहा कि तीनों वैज्ञानिकों के अनुसंधान से रक्त से होने वाले हेपेटाइटिस संक्रमण के प्रमुख स्रोत की व्याख्या करने में मदद मिली, जो हेपेटाइटिस ए और बी बिषाणुओं द्वारा नहीं की जा सकी थी.

समिति ने कहा कि उनके अनुसंधान कार्य से रक्त की जांच और नयी दवाओं की खोज में मदद मिल सकी जिससे लाखों लोगों की जान बच सकी.

नोबेल समिति के अनुसार उनकी खोज का परिणाम है कि आज वायरस के लिए अत्यंत सटीक परिणाम देने वाली खून जांच उपलब्ध है. इससे दुनियाभर के अनेक हिस्सों में रक्त चढ़ाने के कारण हेपेटाइटिस संक्रमण को रोका जा सकता है और वैश्विक रूप से स्वास्थ्य संबंधी व्यापक सुधार हुआ है.

उसने कहा कि उनकी खोज से हेपेटाइटिस सी के लिए एंटीवायरल दवा के त्वरित विकास की दिशा में भी काम हुआ है. इतिहास में पहली बार अब रोग का उपचार किया जा सकता है जिससे दुनियाभर से हेपेटाइटिस सी वायरस के उन्मूलन की उम्मीदें बढ़ी हैं.

विश्व स्वास्थ्य संगठन के आकलन के अनुसार दुनियाभर में हेपेटाइिटस के सात करोड़ से अधिक मामले हैं और हर साल इससे चार लाख से अधिक लोगों की मृत्यु हो जाती है. यह बीमारी गंभीर है और इससे यकृत संबंधी समस्या और कैंसर तक होने की आशंका होती है.

प्रतिष्ठित नोबेल पुरस्कार में स्वर्ण पदक और एक करोड़ स्वीडिश क्रोनोर (11,18,000 अमेरिकी डॉलर से अधिक) की पुरस्कार राशि प्रदान की जाती है. पुरस्कार की शुरुआत 124 साल पहले स्वीडन के वैज्ञानिक अल्फ्रेड नोबेल ने की थी.

इस साल चिकित्सा क्षेत्र के पुरस्कार का विशेष महत्व है जहां कोरोना वायरस महामारी के कारण दुनियाभर के समाजों और अर्थव्यवस्थाओं के लिए चिकित्सा अनुसंधान की अहमियत रेखांकित हुई है. इसके अलावा हर वर्ष भौतिकी, रसायनशास्त्र, साहित्य, शांति और अर्थशास्त्र के क्षेत्रों में उत्कृष्ट कार्य के लिए नोबेल पुरस्कार प्रदान किये जाते हैं.

बता दें कि साल 2019 में मेडिसिन का नोबेल ग्रेग एल सीमेंजा (Gregg. L Semenza), सर पीटर जे रैटक्लिफी (Sir Oeter J. Ratcliffe) और विलियम जी काएलिन जूनियर (William G. Kaelin Jr) को दिया गया था. इन तीनों लोगों को ऑक्सीजन पर काम करने के लिए नोबेल पुरस्कार दिया गया था.

नोबेल समिति ने उन्हें 'कोशिकाओं के ऑक्सीजन की उपलब्धता का आभास करने और उसके अनुकूल बनने' पर उनकी खोज के लिए संयुक्त रूप से विजेता घोषित किया था.

कैरोलिंस्का इंस्टीट्यूटेट ने एक बयान में बताया कि तीनों 90 लाख क्रोनोर (9,18,000 डॉलर) की नकद राशि बराबर साझा करेंगे. तीनों वैज्ञानिकों की इस महत्वपूर्ण खोज का शरीर विज्ञान के लिए बुनियादी महत्व है और इससे एनीमिया (रक्तालप्ता), कैंसर तथा अन्य कई बीमारियों से लड़ने की नयी रणनीतियों का रास्ता साफ हुआ था.

Last Updated : Oct 7, 2020, 4:14 PM IST
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