नई दिल्ली : केंद्र सरकार और किसान संगठनों के बीच शुक्रवार को एक बार फिर बातचीत का दौर चला. सुप्रीम कोर्ट द्वारा बनाई गई कमेटी के बाद सरकार-किसान के बीच हुई ये पहली बैठक थी, लेकिन इस बार भी कुछ अलग नहीं दिखा. किसान संगठनों की ओर से अब भी कृषि कानून वापस लेने की मांग की जा रही है, जबकि सरकार संशोधनों का हवाला दे रही है. सरकार और किसान संगठनों के बीच अब अगली बैठक 19 जनवरी को होगी.
बता दें किसान नेताओं और केंद्रीय मंत्रियों के बीच शुक्रवार को पांच घंटे तक चली वार्ता भी किसी ठोस निष्कर्ष तक नहीं पहुंची. ऐसे में यह सवाल उठता है कि जब घंटों की वार्ता के बाद भी कोई निष्कर्ष नहीं निकलता तो ये चर्चाएं क्यों की जा रही हैं. कृषि कानूनों के लागू करने पर सुप्रीम कोर्ट ने पहले ही स्टे लगा दिया है, ऐसे में सरकार ने शुक्रवार की वार्ता में प्रयास किया कि किसान नेता तीन कानून से क्या समस्याएं हैं उस पर बिंदुवार तरीके से चर्चा करें.
ईटीवी भारत ने शुक्रवार की बैठक और आंदोलन के आगे की रूप रेखा पर राष्ट्रीय किसान महासंघ के नेता अभिमन्यु कोहाड़ से बातचीत की, जिन्होंने बताया कि शुक्रवार की वार्ता में भी सरकार का रुख वही रहा जो पहले था. घंटों की चर्चा के बाद एक और तारीख तय कर दी गई और मुद्दे को टालने का काम किया गया. अभिमन्यु ने कहा है कि आंदोलन की जो योजना तैयार की गई है उसी कार्यक्रम पर आंदोलन आगे बढ़ेगा. 17 जनवरी को आंदोलन में शामिल सभी जत्थेबंदियों की एक बैठक होगी जिसके बाद ट्रैक्टर परेड पर भी निर्णय लिया जाएगा.
'केवल पंजाब हरियाणा तक सीमित नहीं है आंदोलन'
किसानों के आंदोलन को बार बार पंजाब और हरियाणा के किसानों का ही आंदोलन बताया जाता है लेकिन देश के अलग अलग राज्यों से भी आंदोलन में प्रतिनिधित्व लगातार बढ़ता दिखाई दे रहा है. मध्य प्रदेश से किसानों के जत्थे के साथ पहुंचे जसदेव सिंह भी शुक्रवार की बैठक में शामिल थे. जसदेव सिंह ने ईटीवी भारत से बातचीत में कहा कि किसानों और सरकार के बीच का गतिरोध तभी खत्म होगा जब सरकार एक सकारात्मक रुख के साथ किसानों की मांग पर विचार करेगी.