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सर्वे : कोरोना से भी ज्यादा खतरनाक 15 बीमारियों की हुई पहचान - थैलेसीमिया

पूरी दुनिया कोरोना वायरस से जूझ रही है. देश के अस्पतालों में कोरोना के मरीजों की भरमार है. दीर्घकालिक स्थितियों वाले रोगियों की स्वास्थ्य स्थिति बिगड़ रही है. सरकार को तेजी से काम करना चाहिए और गैर-कोरोना रोगियों के लिए समान सुविधाएं प्रदान करनी चाहिए.

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Published : Oct 1, 2020, 10:18 PM IST

Updated : Oct 1, 2020, 11:01 PM IST

हैदराबाद : पूरी दुनिया पिछले दस महीने से कोरोना वायरस से जूझ रही है. दुनियाभर में कोरोना से मरने वालों की संख्या दस लाख पहुंच गई है. जिस देश में स्वास्थ्य सेवाएं बेहतर है, उन्हें इस महामारी की वजह से दिक्कतें झेलनी पड़ रही हैं. भारत जैसे देश में स्वास्थ्य सेवाएं इतनी बेहतर नहीं है. इस महामारी ने मौजूदा प्रणालियों में कमजोरियों को उजागर किया है.

जैसे-जैसे इस महामारी का संकट गहराता जा रहा है, विकासशील देश नॉन-कोविड (अन्य रोग) ​​स्वास्थ्य सेवाओं पर चिकित्सा ध्यान सुनिश्चित करने के लिए संघर्ष कर रहे हैं.

नवीनतम लैंसेट सर्वेक्षण ने 15 बीमारियों की पहचान की है, जो कोरोना से अधिक घातक हैं. उनमें से प्रत्येक की सालाना मृत्यु 10,00,000 है. यह अध्ययन हमारी वास्तविक स्वास्थ्य संबंधी रणनीतियों में सुधार की आवश्यकता पर जोर देता है. हृदय रोगों (1.78 करोड़), कैंसर (96 लाख), वृक्क रोगों (renal diseases ) (12 लाख), तपेदिक ( tuberculosis ) (11 लाख) लोंगो की मौत हो गई है. इन रोगों से हर साल 4.43 करोड़ लोगों की मौत हो रही है.

ज्यादातर जगहों पर इन बीमारियों के लिए चिकित्सीय चिकित्सा सुविधाएं घटिया हैं. कोरोना प्रकोप के पहले तीन महीनों के दौरान, दुनियाभर में 2.84 करोड़ सर्जरी (भारत में 5.8 लाख सहित) अनिश्चित काल के लिए स्थगित कर दी गईं.

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने चेतावनी दी कि चिकित्सा सुविधाओं की कमी के कारण इस साल 16.6 लाख लोग तपेदिक के शिकार हो सकते हैं. क्या स्थिति सब के बाद बदल जाएगी?

राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की जनगणना के अनुसार, देशभर में लाखों बच्चों को अकेले मार्च 2020 में निर्धारित समय पर टीका नहीं लग सका. कोरोना के अतिरिक्त अन्य बीमारियों के इलाज के लिए कोई डॉक्टर नहीं हैं.

हैदराबाद की एक गर्भवती महिला और उसके भ्रूण की मृत्यु हो गई, क्योंकि अस्पतालों ने भर्ती देने से इनकार कर दिया.

अधिकांश निजी अस्पतालों ने तालाबंदी के दौरान डायलिसिस, कीमोथेरेपी, रक्त आधान और बच्चे की डिलीवरी जैसी आपातकालीन सेवाओं को रद्द कर दिया गया.

केंद्र ने सख्त दिशानिर्देश जारी किए और अस्पतालों को पूर्ण कामकाज सुनिश्चित करने का आदेश दिया, लेकिन हाल ही में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने नियंत्रण क्षेत्रों में नेत्र देखभाल सुविधाओं को बंद रखने का निर्देश दिया.

आधिकारिक और अनौपचारिक प्रतिबंध कई के लिए स्वास्थ्य सेवा तक पहुंच बना रहे हैं. मानसून और मच्छर जनित संक्रमणों के बीच स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत करने के लिए पीएमओ के आधिकारिक आदेशों के बावजूद, वास्तविक स्थिति केवल बिगड़ रही है.

देश में इस समय लगभग 9 करोड़ में थैलेसीमिया और मस्कुलर डिस्ट्रॉफी जैसी दुर्लभ बीमारियों से पीड़ित हैं. लाखों लोग अन्य पुरानी बीमारियों से पीड़ित हैं.

जबकि, अस्पतालों में कोरोना के मरीजों की भरमार है. दीर्घकालिक स्थितियों वाले रोगियों की स्वास्थ्य स्थिति बिगड़ रही है. सरकार को तेजी से काम करना चाहिए और गैर-कोरोना रोगियों के लिए समान सुविधाएं प्रदान करनी चाहिए.

हैदराबाद : पूरी दुनिया पिछले दस महीने से कोरोना वायरस से जूझ रही है. दुनियाभर में कोरोना से मरने वालों की संख्या दस लाख पहुंच गई है. जिस देश में स्वास्थ्य सेवाएं बेहतर है, उन्हें इस महामारी की वजह से दिक्कतें झेलनी पड़ रही हैं. भारत जैसे देश में स्वास्थ्य सेवाएं इतनी बेहतर नहीं है. इस महामारी ने मौजूदा प्रणालियों में कमजोरियों को उजागर किया है.

जैसे-जैसे इस महामारी का संकट गहराता जा रहा है, विकासशील देश नॉन-कोविड (अन्य रोग) ​​स्वास्थ्य सेवाओं पर चिकित्सा ध्यान सुनिश्चित करने के लिए संघर्ष कर रहे हैं.

नवीनतम लैंसेट सर्वेक्षण ने 15 बीमारियों की पहचान की है, जो कोरोना से अधिक घातक हैं. उनमें से प्रत्येक की सालाना मृत्यु 10,00,000 है. यह अध्ययन हमारी वास्तविक स्वास्थ्य संबंधी रणनीतियों में सुधार की आवश्यकता पर जोर देता है. हृदय रोगों (1.78 करोड़), कैंसर (96 लाख), वृक्क रोगों (renal diseases ) (12 लाख), तपेदिक ( tuberculosis ) (11 लाख) लोंगो की मौत हो गई है. इन रोगों से हर साल 4.43 करोड़ लोगों की मौत हो रही है.

ज्यादातर जगहों पर इन बीमारियों के लिए चिकित्सीय चिकित्सा सुविधाएं घटिया हैं. कोरोना प्रकोप के पहले तीन महीनों के दौरान, दुनियाभर में 2.84 करोड़ सर्जरी (भारत में 5.8 लाख सहित) अनिश्चित काल के लिए स्थगित कर दी गईं.

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने चेतावनी दी कि चिकित्सा सुविधाओं की कमी के कारण इस साल 16.6 लाख लोग तपेदिक के शिकार हो सकते हैं. क्या स्थिति सब के बाद बदल जाएगी?

राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की जनगणना के अनुसार, देशभर में लाखों बच्चों को अकेले मार्च 2020 में निर्धारित समय पर टीका नहीं लग सका. कोरोना के अतिरिक्त अन्य बीमारियों के इलाज के लिए कोई डॉक्टर नहीं हैं.

हैदराबाद की एक गर्भवती महिला और उसके भ्रूण की मृत्यु हो गई, क्योंकि अस्पतालों ने भर्ती देने से इनकार कर दिया.

अधिकांश निजी अस्पतालों ने तालाबंदी के दौरान डायलिसिस, कीमोथेरेपी, रक्त आधान और बच्चे की डिलीवरी जैसी आपातकालीन सेवाओं को रद्द कर दिया गया.

केंद्र ने सख्त दिशानिर्देश जारी किए और अस्पतालों को पूर्ण कामकाज सुनिश्चित करने का आदेश दिया, लेकिन हाल ही में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने नियंत्रण क्षेत्रों में नेत्र देखभाल सुविधाओं को बंद रखने का निर्देश दिया.

आधिकारिक और अनौपचारिक प्रतिबंध कई के लिए स्वास्थ्य सेवा तक पहुंच बना रहे हैं. मानसून और मच्छर जनित संक्रमणों के बीच स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत करने के लिए पीएमओ के आधिकारिक आदेशों के बावजूद, वास्तविक स्थिति केवल बिगड़ रही है.

देश में इस समय लगभग 9 करोड़ में थैलेसीमिया और मस्कुलर डिस्ट्रॉफी जैसी दुर्लभ बीमारियों से पीड़ित हैं. लाखों लोग अन्य पुरानी बीमारियों से पीड़ित हैं.

जबकि, अस्पतालों में कोरोना के मरीजों की भरमार है. दीर्घकालिक स्थितियों वाले रोगियों की स्वास्थ्य स्थिति बिगड़ रही है. सरकार को तेजी से काम करना चाहिए और गैर-कोरोना रोगियों के लिए समान सुविधाएं प्रदान करनी चाहिए.

Last Updated : Oct 1, 2020, 11:01 PM IST
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