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मतपत्रों से मतदान कराने का सवाल ही नहीं उठता : CEC सुनील अरोड़ा

CEC सुनील अरोड़ा ने मतपत्रों से मतदान कराने की ममता बनर्जी की मांग को खारिज कर दिया. उन्होंने कहा कि जम्मू कश्मीर में विधानसभा चुनाव तभी होंगे जब इस संबंध में केंद्रीय गृह एवं विधि मंत्रालय से संदेश मिलेगा......

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Published : Aug 10, 2019, 2:12 AM IST

कोलकाता: मुख्य निर्वाचन आयुक्त (सीईसी) सुनील अरोड़ा ने उच्चतम न्यायालय के पूर्व के फैसले का हवाला देते हुए शुक्रवार को इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों के बजाय मतपत्रों से मतदान कराने की पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की मांग को खारिज कर दिया.

उन्होंने कहा कि जम्मू कश्मीर में विधानसभा चुनाव तभी होंगे जब इस संबंध में केंद्रीय गृह एवं विधि मंत्रालय से संदेश मिलेगा.

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी समेत तेलुगु देशम पार्टी (तेदेपा) के एन चंद्रबाबू नायडू, नेशनल कांफ्रेंस (नेकां) के फारुक अब्दुल्ला और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) के अध्यक्ष राज ठाकरे समेत अन्य विपक्षी नेता बार-बार यह दावा कर रहे हैं कि इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन से छेड़छाड़ की जा सकती है और वे मतपत्रों की ओर लौटने की मांग कर रहे हैं.

उन्होंने कहा, 'हम मतपत्रों के युग में वापस नहीं जाने वाले.'

अरोड़ा ने कोलकाता हवाईअड्डे पर पत्रकारों से कहा कि उच्चतम न्यायालय कई बार कह चुका है कि मतपत्र अतीत की बात है.

पढ़ें: जम्मू में धारा 144 हटाई गई, डोडा और किश्तवाड में कर्फ्यू में ढील

बनर्जी अक्सर कहती हैं कि ईवीएम इससे पहले विकसित देशों अमेरिका, ब्रिटेन और जर्मनी में इस्तेमाल होते थे लेकिन ये सभी देश अब मतपत्रों की ओर लौट आये हैं.

अरोड़ा पश्चिम बंगाल नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ जुरिडिकल साइंसेज और आईआईएम (कलकत्ता) द्वारा शुक्रवार एवं शनिवार को आयोजित होने वाले कार्यक्रम में हिस्सा लेने के लिये शहर आये थे.

जम्मू कश्मीर में विधानसभा चुनाव की संभावनाओं पर अरोड़ा ने कहा कि गृह और विधि मंत्रालयों से औपचारिक संदेश का इंतजार है. पिछले साल नवंबर से वहां विधानसभा भंग है.

उन्होंने कहा, 'गृह और विधि मंत्रालयों से हमें औपचारिक संदेश का इंतजार है.'

केंद्र ने जम्मू कश्मीर को विशेष दर्जा प्रदान करने वाले संविधान के अनुच्छेद 370 के कुछ प्रावधानों को सोमवार को हटा दिया था और राज्य को दो केंद्र शासित क्षेत्रों में विभाजित कर दिया था.

केंद्र शासित क्षेत्र जम्मू कश्मीर में दिल्ली की तरह ही विधानसभा होगी जबकि लद्दाख चंडीगढ़ की तरह केंद्रशासित क्षेत्र होगा.

यह पूछे जाने पर कि क्या राष्ट्रीय नागरिक पंजीकरण (एनआरसी) को पश्चिम में भी लागू किया जायेगा, इस पर अरोड़ा ने कहा कि मामला उच्चतम न्यायालय देख रहा है. असम में एनआरसी के मुद्दे को लेकर काफी विवाद है.

उन्होंने कहा, 'पहले उच्चतम न्यायालय को कोई फैसला सुनाने दें. फिलहाल यह सिर्फ असम के लिये है. उच्चतम न्यायालय ने इस बारे में कोई फैसला नहीं सुनाया है. मैं कोई फैसला नहीं सुना सकता और न ही कोई पूर्वानुमान लगा सकता हूं.'

लोकसभा चुनावों के दौरान रैलियों को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा प्रमुख अमित शाह ने पश्चिम बंगाल में भी एनआरसी की जोरदार वकालत की थी.

शीर्ष अदालत की निगरानी में असम में एनआरसी का अद्यतन किया जा रहा है और इसका उद्देश्य राज्य में रह रहे मूल भारतीय नागरिकों और अवैध प्रवासियों की पहचान करना है.

कोलकाता: मुख्य निर्वाचन आयुक्त (सीईसी) सुनील अरोड़ा ने उच्चतम न्यायालय के पूर्व के फैसले का हवाला देते हुए शुक्रवार को इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों के बजाय मतपत्रों से मतदान कराने की पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की मांग को खारिज कर दिया.

उन्होंने कहा कि जम्मू कश्मीर में विधानसभा चुनाव तभी होंगे जब इस संबंध में केंद्रीय गृह एवं विधि मंत्रालय से संदेश मिलेगा.

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी समेत तेलुगु देशम पार्टी (तेदेपा) के एन चंद्रबाबू नायडू, नेशनल कांफ्रेंस (नेकां) के फारुक अब्दुल्ला और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) के अध्यक्ष राज ठाकरे समेत अन्य विपक्षी नेता बार-बार यह दावा कर रहे हैं कि इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन से छेड़छाड़ की जा सकती है और वे मतपत्रों की ओर लौटने की मांग कर रहे हैं.

उन्होंने कहा, 'हम मतपत्रों के युग में वापस नहीं जाने वाले.'

अरोड़ा ने कोलकाता हवाईअड्डे पर पत्रकारों से कहा कि उच्चतम न्यायालय कई बार कह चुका है कि मतपत्र अतीत की बात है.

पढ़ें: जम्मू में धारा 144 हटाई गई, डोडा और किश्तवाड में कर्फ्यू में ढील

बनर्जी अक्सर कहती हैं कि ईवीएम इससे पहले विकसित देशों अमेरिका, ब्रिटेन और जर्मनी में इस्तेमाल होते थे लेकिन ये सभी देश अब मतपत्रों की ओर लौट आये हैं.

अरोड़ा पश्चिम बंगाल नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ जुरिडिकल साइंसेज और आईआईएम (कलकत्ता) द्वारा शुक्रवार एवं शनिवार को आयोजित होने वाले कार्यक्रम में हिस्सा लेने के लिये शहर आये थे.

जम्मू कश्मीर में विधानसभा चुनाव की संभावनाओं पर अरोड़ा ने कहा कि गृह और विधि मंत्रालयों से औपचारिक संदेश का इंतजार है. पिछले साल नवंबर से वहां विधानसभा भंग है.

उन्होंने कहा, 'गृह और विधि मंत्रालयों से हमें औपचारिक संदेश का इंतजार है.'

केंद्र ने जम्मू कश्मीर को विशेष दर्जा प्रदान करने वाले संविधान के अनुच्छेद 370 के कुछ प्रावधानों को सोमवार को हटा दिया था और राज्य को दो केंद्र शासित क्षेत्रों में विभाजित कर दिया था.

केंद्र शासित क्षेत्र जम्मू कश्मीर में दिल्ली की तरह ही विधानसभा होगी जबकि लद्दाख चंडीगढ़ की तरह केंद्रशासित क्षेत्र होगा.

यह पूछे जाने पर कि क्या राष्ट्रीय नागरिक पंजीकरण (एनआरसी) को पश्चिम में भी लागू किया जायेगा, इस पर अरोड़ा ने कहा कि मामला उच्चतम न्यायालय देख रहा है. असम में एनआरसी के मुद्दे को लेकर काफी विवाद है.

उन्होंने कहा, 'पहले उच्चतम न्यायालय को कोई फैसला सुनाने दें. फिलहाल यह सिर्फ असम के लिये है. उच्चतम न्यायालय ने इस बारे में कोई फैसला नहीं सुनाया है. मैं कोई फैसला नहीं सुना सकता और न ही कोई पूर्वानुमान लगा सकता हूं.'

लोकसभा चुनावों के दौरान रैलियों को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा प्रमुख अमित शाह ने पश्चिम बंगाल में भी एनआरसी की जोरदार वकालत की थी.

शीर्ष अदालत की निगरानी में असम में एनआरसी का अद्यतन किया जा रहा है और इसका उद्देश्य राज्य में रह रहे मूल भारतीय नागरिकों और अवैध प्रवासियों की पहचान करना है.

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