कोच्चि : केरल उच्च न्यायालय ने गुरुवार को प्रवर्तन निदेशालय को निर्देश दिया कि सोना तस्करी मामले में मुख्यमंत्री कार्यालय के पूर्व प्रमुख सचिव एम शिवशंकर को 23 अक्टूबर तक गिरफ्तार न करें.
शिवशंकर की अग्रिम जमानत याचिका पर जस्टिस अशोक मेनन की सिंगल-जज बेंच ने अंतरिम जमानत के याचिका पर आदेश जारी किया. जिसमें ईडी मामले में गिरफ्तारी से सुरक्षा की मांग की गई थी.
शिवशंकर की ओर से पेश वकील ने अदालत के समक्ष कहा कि आवेदक एजेंसी के सामने पेश होने और सोने की कथित तस्करी में धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत दर्ज मामले में जांच में सहयोग करने के लिए तैयार है.
शिवशंकर के वकील ने कहा कि राष्ट्रीय जांच एजेंसी और कस्टम विभाग द्वारा लगभग 90 घंटों तक पूछताछ की गई थी. जांच के 100 दिनों के बाद भी एजेंसियों को उसके खिलाफ कुछ भी नहीं मिला है. शिवशंकर एक जिम्मेदार अधिकारी हैं, जिन्हें मीडिया के दबाव के कारण सीएमओ के सचिव के पद से बर्खास्त किया गया था.
ईडी की ओर से पेश वकील ने कहा कि एजेंसी को मामले में पक्षकार नहीं बनाया गया है. इस मामले में शीर्ष स्तर के अधिकारियों का तस्करी से तार जुड़ा हुआ है. यह मामला बहुत गंभीर है. एजेंसी ने आज तक उसे गिरफ्तार नहीं किया है.
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अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल के अनुरोध पर मामले में जवाब दाखिल करने के लिए समय मांगा गया है. उच्च न्यायालय ने मामले की सुनवाई 23 अक्टूबर तक के लिए स्थगित कर दी और निर्देश दिया कि शिवशंकर को तब तक गिरफ्तार नहीं किया जाएगा.
ईडी द्वारा विशेष धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत अदालत के समक्ष मामले में चार्जशीट पेश किया गया था, जिसके बाद शिवशंकर ने अग्रिम जमानत की अर्जी दाखिल की थी. उन्होंने कहा कि केंद्रीय एजेंसी की चार्जशीट में उनके खिलाफ आरोप और अभियोग लगाए गए थे, जिससे उन्हें गिरफ्तारी का डर था.