ETV Bharat / bharat

'नीतीश कभी भी BJP को धोखा नंबर-2 दे सकते हैं' - नीतीश की वापसी

राजनीति में कब कौन करवट ले लेगा, कहना मुश्किल है. जदयू और भाजपा के बीच शीत युद्ध जैसी स्थिति फिर से पैदा हो रही है. पार्टी के नेता इशारों में ही सही, एक दूसरे पर निशाना भी साध रहे हैं और सबकुछ ठीक होने का दावा भी कर रहे हैं. ऐसे में राजद कहां पीछे रहने वाली है. वह तो मौके की तलाश में बैठी हुई है. जानें, राजद ने नीतीश को क्या ऑफर किया है.

नीतीश कुमार, बिहार के मुख्यमंत्री.
author img

By

Published : Jun 3, 2019, 2:51 PM IST

Updated : Jun 3, 2019, 4:35 PM IST

नई दिल्ली/पटना: बिहार की राजनीति में कब करवट आ जाए, कहना मुश्किल है. एक बार फिर से 2015 जैसे हालात बनते दिख रहे हैं. तब बिहार विधानसभा चुनाव में जदयू और राजद ने हाथ मिला लिया था, और भाजपा को हार का सामना करना पड़ा. जबकि 2014 के लोकसभा चुनाव में एनडीए ने अच्छी-खासी बढ़त हासिल की थी. उस समय नीतीश कुमार भाजपा से अलग हो चुके थे.

क्या फिर से ऐसी कोई स्थिति बन रही है. मीडिया में राष्ट्रीय जनता दल के वरिष्ठ नेता रघुवंश प्रसाद का एक बयान सामने आया है. इसके अनुसार भाजपा को हराना है, तो सभी दलों को एक साथ आना होगा. इनमें नीतीश कुमार की पार्टी भी शामिल है. यह बयान मीडिया में सुर्खियां बटोर रहा है.

रालोसपा नेता उपेन्द्र कुशवाहा ने साफ तौर पर कहा है कि भाजपा को धोखा नंबर दो के लिए तैयार रहना चाहिए. उन्होंने कहा कि नीतीश की ये पुरानी आदत है. वो जनता के मत का कभी भी आदर नहीं करते हैं. यूज करके फिर धोखा देना, ये उनकी पुरानी आदत है.

etv bharat
उपेन्द्र कुशवाहा.

हालांकि, आपको बता दें कि जनता दल यू और भाजपा दोनों ने कहा है कि उनके बीच कोई मतभेद नहीं है.

वैसे, राजनीति में नकारने का सिद्धन्त अंत तक चलता रहता है. यह कोई नई बात नहीं है. दरअसल, इस स्थिति को हवा इसलिए मिली है, क्योंकि एक दिन पहले ही नीतीश कुमार ने बिहार में कैबिनेट का विस्तार किया. लेकिन इसमें भाजपा शामिल नहीं हुई.

सूत्रों का कहना है कि नीतिश ने कैबिनेट के लिए एक बर्थ भाजपा को दिया था. लेकिन पार्टी ने इसे ठुकरा दिया. यह ठीक उसी प्रकार का है, जिस तरह से भाजपा ने जदयू के केन्द्रीय कैबिनेट में शामिल होने के लिए एक मंत्री पद का ऑफर दिया था.

जदयू के नेता केसी त्यागी का भी बयान सामने आया है. उन्होंने कहा कि जदयू अब केन्द्रीय मंत्रिमंडल में शामिल नहीं होगी. यह पार्टी का अंतिम फैसला है.

इसके अलावा एक दिन पहले भाजपा नेता नीतीश द्वारा आोयजित इफ्तार पार्टी में शामिल नहीं हुए थे. और ना ही नीतीश कुमार सुशील मोदी द्वारा आोयजित इफ्तार पार्टी में शामिल होने गए.

इस बीच खबर ये भी है कि बिहार के पूर्व सीएम जीतन राम मांझी राजद और नीतीश कुमार द्वारा आोयजित दोनों ही इफ्तार पार्टी में शामिल हुए.

इसके बाद कयासों का दौर शुरू हो गया है. रघुवंश प्रसाद का कहना है कि राजनीति में कोई दोस्त या दुश्मन नहीं होता है. उन्होंने कहा कि क्या तेजस्वी ने कोई स्टाम्प पेपर पर लिखकर दिया कि नीतीश कुमार महागठबंधन में नहीं आ सकते?

आरएलएसपी

वैसे, जदयू नेता नीरज कुमार ने इन खबरों का खंडन किया है. उनका कहना है कि रघुवंश प्रसाद को राजद में कोई भी नहीं सुनता है. लिहाजा, वह कुछ भी बोलें, एनडीए एकजुट है.

नई दिल्ली/पटना: बिहार की राजनीति में कब करवट आ जाए, कहना मुश्किल है. एक बार फिर से 2015 जैसे हालात बनते दिख रहे हैं. तब बिहार विधानसभा चुनाव में जदयू और राजद ने हाथ मिला लिया था, और भाजपा को हार का सामना करना पड़ा. जबकि 2014 के लोकसभा चुनाव में एनडीए ने अच्छी-खासी बढ़त हासिल की थी. उस समय नीतीश कुमार भाजपा से अलग हो चुके थे.

क्या फिर से ऐसी कोई स्थिति बन रही है. मीडिया में राष्ट्रीय जनता दल के वरिष्ठ नेता रघुवंश प्रसाद का एक बयान सामने आया है. इसके अनुसार भाजपा को हराना है, तो सभी दलों को एक साथ आना होगा. इनमें नीतीश कुमार की पार्टी भी शामिल है. यह बयान मीडिया में सुर्खियां बटोर रहा है.

रालोसपा नेता उपेन्द्र कुशवाहा ने साफ तौर पर कहा है कि भाजपा को धोखा नंबर दो के लिए तैयार रहना चाहिए. उन्होंने कहा कि नीतीश की ये पुरानी आदत है. वो जनता के मत का कभी भी आदर नहीं करते हैं. यूज करके फिर धोखा देना, ये उनकी पुरानी आदत है.

etv bharat
उपेन्द्र कुशवाहा.

हालांकि, आपको बता दें कि जनता दल यू और भाजपा दोनों ने कहा है कि उनके बीच कोई मतभेद नहीं है.

वैसे, राजनीति में नकारने का सिद्धन्त अंत तक चलता रहता है. यह कोई नई बात नहीं है. दरअसल, इस स्थिति को हवा इसलिए मिली है, क्योंकि एक दिन पहले ही नीतीश कुमार ने बिहार में कैबिनेट का विस्तार किया. लेकिन इसमें भाजपा शामिल नहीं हुई.

सूत्रों का कहना है कि नीतिश ने कैबिनेट के लिए एक बर्थ भाजपा को दिया था. लेकिन पार्टी ने इसे ठुकरा दिया. यह ठीक उसी प्रकार का है, जिस तरह से भाजपा ने जदयू के केन्द्रीय कैबिनेट में शामिल होने के लिए एक मंत्री पद का ऑफर दिया था.

जदयू के नेता केसी त्यागी का भी बयान सामने आया है. उन्होंने कहा कि जदयू अब केन्द्रीय मंत्रिमंडल में शामिल नहीं होगी. यह पार्टी का अंतिम फैसला है.

इसके अलावा एक दिन पहले भाजपा नेता नीतीश द्वारा आोयजित इफ्तार पार्टी में शामिल नहीं हुए थे. और ना ही नीतीश कुमार सुशील मोदी द्वारा आोयजित इफ्तार पार्टी में शामिल होने गए.

इस बीच खबर ये भी है कि बिहार के पूर्व सीएम जीतन राम मांझी राजद और नीतीश कुमार द्वारा आोयजित दोनों ही इफ्तार पार्टी में शामिल हुए.

इसके बाद कयासों का दौर शुरू हो गया है. रघुवंश प्रसाद का कहना है कि राजनीति में कोई दोस्त या दुश्मन नहीं होता है. उन्होंने कहा कि क्या तेजस्वी ने कोई स्टाम्प पेपर पर लिखकर दिया कि नीतीश कुमार महागठबंधन में नहीं आ सकते?

आरएलएसपी

वैसे, जदयू नेता नीरज कुमार ने इन खबरों का खंडन किया है. उनका कहना है कि रघुवंश प्रसाद को राजद में कोई भी नहीं सुनता है. लिहाजा, वह कुछ भी बोलें, एनडीए एकजुट है.

Intro:Body:





राजनीति में कब कौन करवट ले लेगा, कहना मुश्किल है. जदयू और भाजपा के बीच शीत युद्ध जैसी स्थिति फिर से पैदा हो रही है. पार्टी के नेता इशारों में ही सही, एक दूसरे पर निशाना भी साध रहे हैं और सबकुछ ठीक होने का दावा भी कर रहे हैं. ऐसे में राजद कहां पीछे रहने वाली है. वह तो मौके की तलाश में बैठी हुई है. जानें, राजद ने नीतीश को क्या ऑफर किया है.

 



राजद नेता ने दिए संकेत,  नीतीश की वापसी संभव !





नई दिल्ली/पटना: बिहार की राजनीति में कब करवट आ जाए, कहना मुश्किल है. एक बार फिर से 2015 जैसे हालात बनते दिख रहे हैं. तब बिहार विधानसभा चुनाव में जदयू और राजद ने हाथ मिला लिया था, और भाजपा को हार का सामना करना पड़ा. जबकि 2014 के लोकसभा चुनाव में एनडीए ने अच्छी-खासी बढ़त हासिल की थी. उस समय नीतीश कुमार भाजपा से अलग हो चुके थे. 

क्या फिर से ऐसी कोई स्थिति बन रही है. मीडिया में राष्ट्रीय जनता दल के वरिष्ठ नेता रघुवंश प्रसाद का एक बयान सामने आया है. इसके अनुसार भाजपा को हराना है, तो सभी दलों को एक साथ आना होगा. इनमें नीतीश कुमार की पार्टी भी शामिल है. यह बयान मीडिया में सुर्खियां बटोर रहा है. 

हालांकि, आपको बता दें कि जनता दल यू और भाजपा दोनों ने कहा है कि उनके बीच कोई मतभेद नहीं है. 

वैसे, राजनीति में नकारने का सिद्धन्त अंत तक चलता रहता है. यह कोई नई बात नहीं है. दरअसल, इस स्थिति को हवा इसलिए मिली है, क्योंकि एक दिन पहले ही नीतीश कुमार ने बिहार में कैबिनेट का विस्तार किया. लेकिन इसमें भाजपा शामिल नहीं हुई. 

सूत्रों का कहना है कि नीतिश ने कैबिनेट के लिए एक बर्थ भाजपा को दिया था. लेकिन पार्टी ने इसे ठुकरा दिया. यह ठीक उसी प्रकार का है, जिस तरह से भाजपा ने जदयू के केन्द्रीय कैबिनेट में शामिल होने के लिए एक मंत्री पद का ऑफर दिया था. 

जदयू के नेता केसी त्यागी का भी बयान सामने आया है. उन्होंने कहा कि जदयू अब केन्द्रीय मंत्रिमंडल में शामिल नहीं होगी. यह पार्टी का अंतिम फैसला है. 

इसके अलावा एक दिन पहले भाजपा नेता नीतीश द्वारा आोयजित इफ्तार पार्टी में शामिल नहीं हुए थे. और ना ही नीतीश कुमार सुशील मोदी द्वारा आोयजित इफ्तार पार्टी में शामिल होने गए. 

इस बीच खबर ये भी है कि बिहार के पूर्व सीएम जीतन राम मांझी राजद और नीतीश कुमार द्वारा आोयजित दोनों ही इफ्तार पार्टी में शामिल हुए. 

इसके बाद कयासों का दौर शुरू हो गया है. रघुवंश प्रसाद का कहना है कि राजनीति में कोई दोस्त या दुश्मन नहीं होता है. उन्होंने कहा कि क्या तेजस्वी ने कोई स्टाम्प पेपर पर लिखकर दिया कि नीतीश कुमार महागठबंधन में नहीं आ सकते? 

वैसे, जदयू नेता नीरज कुमार ने इन खबरों का खंडन किया है. उनका कहना है कि रघुवंश प्रसाद को राजद में कोई भी नहीं सुनता है. लिहाजा, वह कुछ भी बोलें, एनडीए एकजुट है. 

 


Conclusion:
Last Updated : Jun 3, 2019, 4:35 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.