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नीतीश कुमार को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत, हत्या मामले में आरोप मुक्त - nitish kumar charges free in murder case

लोकसभा चुनाव से पहले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को पटना हाईकोर्ट से राहत मिली थी. हाईकोर्ट ने आदेश दिया था कि पंडारक हत्या कांड में नीतीश कुमार के खिलाफ केस नहीं चलेगा.

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नीतीश कुमार को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत
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Published : Jan 6, 2020, 1:46 PM IST

पटना/नई दिल्ली : नीतीश कुमार को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है. दरअसल, 16 दिसबंर 1991 में हुए बाढ़ हत्या आरोप में मामले में सुप्रीम कोर्ट में केस चल रहा था.

सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले को सही माना है और नीतीश कुमार को आरोप मुक्त किया. पटना हाईकोर्ट ने सुनवाई के दौरान नीतीश कुमार को निर्दोष माना था. जिसके बाद पटना हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी.

बता दें कि लोकसभा चुनाव से पहले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को पटना हाईकोर्ट से राहत मिली थी. हाईकोर्ट ने आदेश दिया था कि पंडारक हत्या कांड में नीतीश कुमार के खिलाफ केस नहीं चलेगा. कोर्ट ने एफआईआर से नीतीश का नाम हटाने का आदेश दिया था. हाईकोर्ट ने बाढ़ कोर्ट के संज्ञान को रद्द किया था.

क्या है नीतीश कुमार पर हत्या के आरोप का मामला?
16 नवंबर 1991 को बाढ़ के पंडारक में रहने वाले सीताराम सिंह की हत्या हुई थी. करीब 26 साल पुराने इस मामले में बाढ़ कोर्ट ने संज्ञान लेते हुए नीतीश कुमार को भी आरोपी माना था. इसके खिलाफ नीतीश ने 2009 में हाईकोर्ट में याचिका लगाई थी.

क्या हुआ था उस दिन?
करीब 26 साल पुराने इस मामले में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार नामजद अभियुक्त थे. मामला पटना जिले के पंडारक थाने का है. साल 1991 में 16 नवंबर लोकसभा चुनाव के मतदान का दिन था. अशोक सिंह ने दर्ज एफआईआर में आरोप लगाया था कि बाढ़ सीट पर मध्यावधि चुनाव में वह अपने भाई सीताराम सिंह के साथ वोट देने मतदान केंद्र गए थे, तभी इस सीट से जनता दल उम्मीदवार नीतीश कुमार वहां आ गए. उनके साथ मोकामा से विधायक दिलीप कुमार सिंह, दुलारचंद यादव, योगेंद्र प्रसाद और बौधु यादव भी थे. सभी लोग बंदूक, रायफल और पिस्तौल से लैस होकर आए थे. फिर अचानक नीतीश कुमार मेरे भाई को जान से मारने की नीयत से फायर किया, जिससे घटनास्थल पर ही उनकी मौत हो गई.'

अगले दिन 17 नवंबर को दर्ज हुई थी एफआईआर
बता दें कि इस हत्याकांड से संबंधित एफआईआर घटना के अगले दिन 17 नवंबर को दर्ज हुई थी. इसमें नीतीश कुमार सहित पांच लोगों को नामजद अभियुक्त बनाया गया था. यह इलाका बाढ़ लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आता है. तब नीतीश इस सीट पर जनता दल के उम्मीदवार थे. उस समय बिहार के मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव थे और नीतीश कुमार लालू प्रसाद के करीबी सहयोगी थे.

पटना/नई दिल्ली : नीतीश कुमार को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है. दरअसल, 16 दिसबंर 1991 में हुए बाढ़ हत्या आरोप में मामले में सुप्रीम कोर्ट में केस चल रहा था.

सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले को सही माना है और नीतीश कुमार को आरोप मुक्त किया. पटना हाईकोर्ट ने सुनवाई के दौरान नीतीश कुमार को निर्दोष माना था. जिसके बाद पटना हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी.

बता दें कि लोकसभा चुनाव से पहले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को पटना हाईकोर्ट से राहत मिली थी. हाईकोर्ट ने आदेश दिया था कि पंडारक हत्या कांड में नीतीश कुमार के खिलाफ केस नहीं चलेगा. कोर्ट ने एफआईआर से नीतीश का नाम हटाने का आदेश दिया था. हाईकोर्ट ने बाढ़ कोर्ट के संज्ञान को रद्द किया था.

क्या है नीतीश कुमार पर हत्या के आरोप का मामला?
16 नवंबर 1991 को बाढ़ के पंडारक में रहने वाले सीताराम सिंह की हत्या हुई थी. करीब 26 साल पुराने इस मामले में बाढ़ कोर्ट ने संज्ञान लेते हुए नीतीश कुमार को भी आरोपी माना था. इसके खिलाफ नीतीश ने 2009 में हाईकोर्ट में याचिका लगाई थी.

क्या हुआ था उस दिन?
करीब 26 साल पुराने इस मामले में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार नामजद अभियुक्त थे. मामला पटना जिले के पंडारक थाने का है. साल 1991 में 16 नवंबर लोकसभा चुनाव के मतदान का दिन था. अशोक सिंह ने दर्ज एफआईआर में आरोप लगाया था कि बाढ़ सीट पर मध्यावधि चुनाव में वह अपने भाई सीताराम सिंह के साथ वोट देने मतदान केंद्र गए थे, तभी इस सीट से जनता दल उम्मीदवार नीतीश कुमार वहां आ गए. उनके साथ मोकामा से विधायक दिलीप कुमार सिंह, दुलारचंद यादव, योगेंद्र प्रसाद और बौधु यादव भी थे. सभी लोग बंदूक, रायफल और पिस्तौल से लैस होकर आए थे. फिर अचानक नीतीश कुमार मेरे भाई को जान से मारने की नीयत से फायर किया, जिससे घटनास्थल पर ही उनकी मौत हो गई.'

अगले दिन 17 नवंबर को दर्ज हुई थी एफआईआर
बता दें कि इस हत्याकांड से संबंधित एफआईआर घटना के अगले दिन 17 नवंबर को दर्ज हुई थी. इसमें नीतीश कुमार सहित पांच लोगों को नामजद अभियुक्त बनाया गया था. यह इलाका बाढ़ लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आता है. तब नीतीश इस सीट पर जनता दल के उम्मीदवार थे. उस समय बिहार के मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव थे और नीतीश कुमार लालू प्रसाद के करीबी सहयोगी थे.

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