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'...मोदी नहीं, नीतीश कुमार होंगे अगले प्रधानमंत्री'

इस वक्त यह कहना मुश्किल है कि अगला प्रधानमंत्री कौन होगा. भाजपा को बहुमत मिला, तो मोदी अगले पीएम बनेंगे. लेकिन पार्टी को कम सीटें मिलीं, तो सहयोगी पार्टियों का रूख क्या होगा, कहना मुश्किल है. बदली हुई परिस्थिति में गठबंधन का क्या रूख होगा, यह देखना दिलचस्प होगा. पढ़ें, जनता दल यू के नेता इस पर क्या सोचते हैं.

नीतीश कुमार और नरेंद्र मोदी.
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Published : May 10, 2019, 12:55 PM IST

नई दिल्ली/पटना: राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) नरेन्द्र मोदी के चेहरे पर चुनाव लड़ रहा है. लेकिन किसी कारणवश, एनडीए को बहुमत नहीं मिला या भारतीय जनता पार्टी को अपेक्षित नंबर नहीं मिले, तो क्या होगा. यह सवाल अभी से पूछे जाने लगे हैं. और सवाल हैं, तो जवाब भी आने शुरू हो गए हैं. जनता दल यू के एक नेता ने नीतीश कुमार का नाम आगे कर दिया है.

जदयू नेता व विधान परिषद गुलाम रसूल बलियावी ने ईटीवी भारत को बताया कि नीतीश कुमार बिहार के सबसे बड़े नेता हैं. उनकी वजह से मुस्लिम बिरादरी बड़ी तादाद में वोट कर रहे हैं. उनके कार्यों से बिहार में विकास की बयार आई है. पूरे देश में उनकी छवि सराहनीय है.

उन्होंने कहा कि यह एनडीए कि लोग सोचें कि उनको बहुमत मिल रहा है या नहीं. हमारी पार्टी भले ही छोटी है. लेकिन हमारे नेता का चेहरा काफी बड़ा है. फिलहाल बिहार के नेताओं में सबसे बड़ा चेहरा नीतीश कुमार का ही है.

बलियावी ने एक अन्य मीडिया को दिए गए इंटरव्यू में साफ तौर पर कह दिया कि इस बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदीजी को बहुमत नहीं मिल रहा है. इसलिए नीतीश कुमार को प्रधानमंत्री उम्मीदवार के रूप में पेश किया जाना चाहिए.

पढ़ें-'गांधी परिवार ने INS विराट को निजी टैक्सी की तरह इस्तेमाल किया'

वैसे, बलियावी जदयू के बड़े नेताओं में आते हैं या नहीं, यह विषय उतना महत्वपूर्ण नहीं है. लेकिन जो जवाब उन्होंने दिया है, इससे भाजपा के नेता हैरान जरूर होंगे.

गुलाम रसूल बलियावी से बातचीत.

विश्लेषक बताते हैं कि पिछले सप्ताह मोदी और नीतीश कुमार एक ही मंच पर मौजूद थे. मोदी ने वंदे मातरम के नारे लगाए, लेकिन नीतीश कुमार बैठे रहे. उन्होंने न वंदे मातरम कहा, न हाथ उठाया. यह साफ तौर पर बड़ा इशारा था.

राजद नेता शिवानंद तिवारी ने अपने फेसबुक पोस्ट पर लिखा है कि शायद नीतीश कुमार मोदी से दूरी बनाकर अपनी छवि बचाने का असफल प्रयास कर रहे हैं.

इस बाबत जब सवाल पूछा गया, तो जदयू नेता केसी त्यागी ने कहा कि यह एनडीए के एजेंडे में शामिल नहीं है. वंदे मातरम पर बोलना है या नहीं, पार्टी का इस पर अलग रूख है.

त्यागी कहते हैं कि आज भी हम धारा 370, राम मंदिर और समान नागरिक संहिता के सवाल पर भाजपा से अलग राय रखते हैं. उन्होंने कहा कि यह मत भिन्नता 1977 से चली आ रही है. इसमें कोई हर्ज नहीं है. भाजपा अलग पार्टी है और जदयू अलग पार्टी है.

हालांकि, पीएम के सवाल पर जदयू का कोई दूसरा नेता बोलने के लिए तैयार नहीं हैं. हां, इस बात पर चर्चा अवश्य है कि अगर कहीं ऐसी परिस्थिति बनी, भाजपा को कम सीटें मिलीं, तो देखा जाएगा.

चुनाव के पहले नीतीश कुमार से जब भी इस तरह के सवाल पूछे गए हैं. उन्होंने साफ तौर पर कहा है कि वो पीएम पद की रेस में शामिल नहीं हैं. पर, राजनीति में कोई भी नेता अपनी दावेदारी स्वतः नहीं जताता है, यह भी सर्वविदित है.

चर्चा ये भी है कि एनडीए को कम सीटें मिलीं, तो एनडीए तेलंगाना राष्ट्र समिति, बीजद और वाईएसआर से संपर्क कर सकता है.

सवाल ये भी है कि क्या केसीआर, नवीन पटनायक और वाईएसआर मोदी को आगे करना चाहेंगे या किसी और का नाम. अभी ये सब सवाल भविष्य के गर्भ है. वैसे, राजनीति में कब क्या हो जाए, कहना मुश्किल है. कब, किस समय, किसकी किस्मत चमक उठेगी, यह देखना सचमुच दिलचस्प होगा.

नई दिल्ली/पटना: राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) नरेन्द्र मोदी के चेहरे पर चुनाव लड़ रहा है. लेकिन किसी कारणवश, एनडीए को बहुमत नहीं मिला या भारतीय जनता पार्टी को अपेक्षित नंबर नहीं मिले, तो क्या होगा. यह सवाल अभी से पूछे जाने लगे हैं. और सवाल हैं, तो जवाब भी आने शुरू हो गए हैं. जनता दल यू के एक नेता ने नीतीश कुमार का नाम आगे कर दिया है.

जदयू नेता व विधान परिषद गुलाम रसूल बलियावी ने ईटीवी भारत को बताया कि नीतीश कुमार बिहार के सबसे बड़े नेता हैं. उनकी वजह से मुस्लिम बिरादरी बड़ी तादाद में वोट कर रहे हैं. उनके कार्यों से बिहार में विकास की बयार आई है. पूरे देश में उनकी छवि सराहनीय है.

उन्होंने कहा कि यह एनडीए कि लोग सोचें कि उनको बहुमत मिल रहा है या नहीं. हमारी पार्टी भले ही छोटी है. लेकिन हमारे नेता का चेहरा काफी बड़ा है. फिलहाल बिहार के नेताओं में सबसे बड़ा चेहरा नीतीश कुमार का ही है.

बलियावी ने एक अन्य मीडिया को दिए गए इंटरव्यू में साफ तौर पर कह दिया कि इस बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदीजी को बहुमत नहीं मिल रहा है. इसलिए नीतीश कुमार को प्रधानमंत्री उम्मीदवार के रूप में पेश किया जाना चाहिए.

पढ़ें-'गांधी परिवार ने INS विराट को निजी टैक्सी की तरह इस्तेमाल किया'

वैसे, बलियावी जदयू के बड़े नेताओं में आते हैं या नहीं, यह विषय उतना महत्वपूर्ण नहीं है. लेकिन जो जवाब उन्होंने दिया है, इससे भाजपा के नेता हैरान जरूर होंगे.

गुलाम रसूल बलियावी से बातचीत.

विश्लेषक बताते हैं कि पिछले सप्ताह मोदी और नीतीश कुमार एक ही मंच पर मौजूद थे. मोदी ने वंदे मातरम के नारे लगाए, लेकिन नीतीश कुमार बैठे रहे. उन्होंने न वंदे मातरम कहा, न हाथ उठाया. यह साफ तौर पर बड़ा इशारा था.

राजद नेता शिवानंद तिवारी ने अपने फेसबुक पोस्ट पर लिखा है कि शायद नीतीश कुमार मोदी से दूरी बनाकर अपनी छवि बचाने का असफल प्रयास कर रहे हैं.

इस बाबत जब सवाल पूछा गया, तो जदयू नेता केसी त्यागी ने कहा कि यह एनडीए के एजेंडे में शामिल नहीं है. वंदे मातरम पर बोलना है या नहीं, पार्टी का इस पर अलग रूख है.

त्यागी कहते हैं कि आज भी हम धारा 370, राम मंदिर और समान नागरिक संहिता के सवाल पर भाजपा से अलग राय रखते हैं. उन्होंने कहा कि यह मत भिन्नता 1977 से चली आ रही है. इसमें कोई हर्ज नहीं है. भाजपा अलग पार्टी है और जदयू अलग पार्टी है.

हालांकि, पीएम के सवाल पर जदयू का कोई दूसरा नेता बोलने के लिए तैयार नहीं हैं. हां, इस बात पर चर्चा अवश्य है कि अगर कहीं ऐसी परिस्थिति बनी, भाजपा को कम सीटें मिलीं, तो देखा जाएगा.

चुनाव के पहले नीतीश कुमार से जब भी इस तरह के सवाल पूछे गए हैं. उन्होंने साफ तौर पर कहा है कि वो पीएम पद की रेस में शामिल नहीं हैं. पर, राजनीति में कोई भी नेता अपनी दावेदारी स्वतः नहीं जताता है, यह भी सर्वविदित है.

चर्चा ये भी है कि एनडीए को कम सीटें मिलीं, तो एनडीए तेलंगाना राष्ट्र समिति, बीजद और वाईएसआर से संपर्क कर सकता है.

सवाल ये भी है कि क्या केसीआर, नवीन पटनायक और वाईएसआर मोदी को आगे करना चाहेंगे या किसी और का नाम. अभी ये सब सवाल भविष्य के गर्भ है. वैसे, राजनीति में कब क्या हो जाए, कहना मुश्किल है. कब, किस समय, किसकी किस्मत चमक उठेगी, यह देखना सचमुच दिलचस्प होगा.

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