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मानवाधिकार आयोग ने स्वास्थ्यकर्मियों के बीमा के लिए नोटिस जारी किया - स्वास्थ्यकर्मियों के बीमा के लिए नोटिस

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने एक मीडिया रिपोर्ट के आधार पर संज्ञान लिया है कि स्वास्थ्य कार्यकर्ता, जो कोरोना वायरस के संक्रमण से अधिकतम जोखिम में हैं. अधिकतर स्वास्थ्य कर्मचारियों के पास बीमा कवर नहीं है या प्रीमियम कम है.

NHRC sends notice to IRDA and Finance Ministry
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग
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Published : Jun 13, 2020, 1:33 AM IST

नई दिल्ली : जैसे-जैसे कोविड-19 मामलों की संख्या तेजी से बढ़ रही है, स्वास्थ्यकर्मियों में संक्रमण का खतरा बढ़ता जा रहा है. आधिकारिक रिपोर्टों के अनुसार कोरोना वायरस से 500 से अधिक डॉक्टरों और नर्सों सकारात्मक पाए गए है.

वहीं अधिकतम स्वास्थ्य कर्मचारियों के लिए बीमा कवर या तो नहीं है या प्रीमियम कम है.

भारतीय राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने एक मीडिया रिपोर्ट के आधार पर यह संज्ञान लिया है कि स्वास्थ्य कार्यकर्ता, जो कोरोना वायरस के संक्रमण से अधिकतम जोखिम में हैं. समूह मेडिक्लेम नीतियों को खरीदने के लिए उच्च प्रीमियम के लिए पुनर्विचार/मांगों का सामना कर रहे हैं. जबकि अधिकांश डॉक्टरों का मेडिकल कवर होता है.

इस बात पर भी भ्रम है कि क्या स्वास्थ्य कर्मियों के लिए केंद्र सरकार द्वारा प्रदान किए गए 50 लाख रुपये के स्वास्थ्य कवर में निजी डॉक्टर, कर्मचारी और गैर-कोविड काम करने वाले लोग भी शामिल हैं.

एनएचआरसी ने बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष और सचिव, वित्तीय सेवा विभाग, बीमा विभाग, केंद्रीय वित्त मंत्रालय को 4 सप्ताह के भीतर मामले में विस्तृत रिपोर्ट के लिए नोटिस जारी किया है.

एक बयान में एनएचआरसी ने कहा, 'कंपनियों द्वारा कोरोना वॉरियर्स को बीमा दावों से इनकार निश्चित रूप से उनके मनोबल को नीचे गिराएगा और इसका परिणाम अंत में आम जनता पर प्रतिकूल प्रभाव डालेगा.'

इस मुद्दे को मानवाधिकारों के उल्लंघन के मामले के रूप में देखते हुए आयोग ने इस में हस्तक्षेप को आवश्यक माना. पीड़ित के रूप में गरीब नागरिक होगा, जो पहले से ही चिकित्सा सुविधाओं की कमी के कारण कोरोना वायरस का शिकार है.

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) ने कहा है कि एक कंपनी इसके लिए सहमत है. कोविड-19 मामलों को बढ़ने के बाद अपने सदस्यों को 2 लाख रुपये तक का निश्चित बीमा कवर दे रहा है.

नई दिल्ली : जैसे-जैसे कोविड-19 मामलों की संख्या तेजी से बढ़ रही है, स्वास्थ्यकर्मियों में संक्रमण का खतरा बढ़ता जा रहा है. आधिकारिक रिपोर्टों के अनुसार कोरोना वायरस से 500 से अधिक डॉक्टरों और नर्सों सकारात्मक पाए गए है.

वहीं अधिकतम स्वास्थ्य कर्मचारियों के लिए बीमा कवर या तो नहीं है या प्रीमियम कम है.

भारतीय राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने एक मीडिया रिपोर्ट के आधार पर यह संज्ञान लिया है कि स्वास्थ्य कार्यकर्ता, जो कोरोना वायरस के संक्रमण से अधिकतम जोखिम में हैं. समूह मेडिक्लेम नीतियों को खरीदने के लिए उच्च प्रीमियम के लिए पुनर्विचार/मांगों का सामना कर रहे हैं. जबकि अधिकांश डॉक्टरों का मेडिकल कवर होता है.

इस बात पर भी भ्रम है कि क्या स्वास्थ्य कर्मियों के लिए केंद्र सरकार द्वारा प्रदान किए गए 50 लाख रुपये के स्वास्थ्य कवर में निजी डॉक्टर, कर्मचारी और गैर-कोविड काम करने वाले लोग भी शामिल हैं.

एनएचआरसी ने बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष और सचिव, वित्तीय सेवा विभाग, बीमा विभाग, केंद्रीय वित्त मंत्रालय को 4 सप्ताह के भीतर मामले में विस्तृत रिपोर्ट के लिए नोटिस जारी किया है.

एक बयान में एनएचआरसी ने कहा, 'कंपनियों द्वारा कोरोना वॉरियर्स को बीमा दावों से इनकार निश्चित रूप से उनके मनोबल को नीचे गिराएगा और इसका परिणाम अंत में आम जनता पर प्रतिकूल प्रभाव डालेगा.'

इस मुद्दे को मानवाधिकारों के उल्लंघन के मामले के रूप में देखते हुए आयोग ने इस में हस्तक्षेप को आवश्यक माना. पीड़ित के रूप में गरीब नागरिक होगा, जो पहले से ही चिकित्सा सुविधाओं की कमी के कारण कोरोना वायरस का शिकार है.

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) ने कहा है कि एक कंपनी इसके लिए सहमत है. कोविड-19 मामलों को बढ़ने के बाद अपने सदस्यों को 2 लाख रुपये तक का निश्चित बीमा कवर दे रहा है.

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