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ओडिशा सरकार पर एनएचआरसी सख्त, डीजीपी और मुख्य सचिव को नोटिस

पुरी के के रमेश की कथित हिरासत में मौत के मामले में ओडिशा सरकार घिरती नजर आ रही है. राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने मामले में ओडिशा के डीजीपी और मुख्य सचिव को नोटिस भेजा है और चार सप्ताह के भीतर एक रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है.

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Published : Nov 21, 2020, 9:54 PM IST

Odisha cm
ओडिशा सीएम

नई दिल्ली : राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने पुरी में कथित हिरासत में मौत के मामले में ओडिशा सरकार से संक्षिप्त रिपोर्ट ली. एनएचआरसी ने ओडिशा के डीजीपी और मुख्य सचिव को नोटिस भेजा है और चार सप्ताह के भीतर एक रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है. भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता संबित पात्रा शुक्रवार को इस मामले में हस्तक्षेप करने के लिए एनएचआरसी गए थे और उन्होंने एनएचआरसी के अधिकारियों से मुलाकात की थी.

पढ़ें-मंगलवार को बैठक कर सकता है कांग्रेस केंद्रीय चुनाव प्राधिकरण

मुलाकात के बाद संबित पात्रा ने कहा था कि मैंने एनएचआरसी से पुरी में के रमेश की हिरासत में हुई मौत के बारे में शिकायत की है. इसके साथ ही मैंने के रमेश के माता-पिता को स्थानीय पुलिस द्वारा उठाए जाने और अज्ञात स्थान पर रखे जाने की शिकायत की है. एनएचआरसी ने हमें मदद का आश्वासन दिया है. पात्रा ने के रमेश के परिवार के सदस्यों से भी मुलाकात की और भाजपा की स्थानीय इकाई ने मौत के खिलाफ प्रदर्शन किया और न्याय की मांग की.

पुरी के के रमेश का बुधवार रात निधन हो गया. रिपोर्टों के अनुसार, स्थानीय पुलिस ने कहा कि वह पुलिस के साथ हाथापाई के बाद गिरफ्तार किया गया था. वह तेज हथियार के साथ घूम रहा था. परिवार ने इन आरोपों से इनकार किया था और कहा कि उसे घर से गिरफ्तार किया गया था और हिरासत में यातना के कारण उसकी मृत्यु हो गई. ओडिशा विधानसभा के शीतकालीन सत्र के दौरान विपक्षी दलों ने भी इस मामले में सख्त कार्रवाई की और हंगामा हुआ था.

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने सभी राज्य सरकारों को जनवरी 2001 में कस्टोडियल मौतों के विवरण को सूचित करने की प्रक्रिया को कारगर बनाने के लिए अद्यतन दिशा-निर्देश जारी किए थे. आयोग ने 1993 में सामान्य निर्देश जारी किए थे कि किसी भी हिरासत में मृत्यु होने के 24 घंटे के भीतर आयोग को इसके बारे में सूचना देनी चाहिए.

नई दिल्ली : राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने पुरी में कथित हिरासत में मौत के मामले में ओडिशा सरकार से संक्षिप्त रिपोर्ट ली. एनएचआरसी ने ओडिशा के डीजीपी और मुख्य सचिव को नोटिस भेजा है और चार सप्ताह के भीतर एक रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है. भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता संबित पात्रा शुक्रवार को इस मामले में हस्तक्षेप करने के लिए एनएचआरसी गए थे और उन्होंने एनएचआरसी के अधिकारियों से मुलाकात की थी.

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मुलाकात के बाद संबित पात्रा ने कहा था कि मैंने एनएचआरसी से पुरी में के रमेश की हिरासत में हुई मौत के बारे में शिकायत की है. इसके साथ ही मैंने के रमेश के माता-पिता को स्थानीय पुलिस द्वारा उठाए जाने और अज्ञात स्थान पर रखे जाने की शिकायत की है. एनएचआरसी ने हमें मदद का आश्वासन दिया है. पात्रा ने के रमेश के परिवार के सदस्यों से भी मुलाकात की और भाजपा की स्थानीय इकाई ने मौत के खिलाफ प्रदर्शन किया और न्याय की मांग की.

पुरी के के रमेश का बुधवार रात निधन हो गया. रिपोर्टों के अनुसार, स्थानीय पुलिस ने कहा कि वह पुलिस के साथ हाथापाई के बाद गिरफ्तार किया गया था. वह तेज हथियार के साथ घूम रहा था. परिवार ने इन आरोपों से इनकार किया था और कहा कि उसे घर से गिरफ्तार किया गया था और हिरासत में यातना के कारण उसकी मृत्यु हो गई. ओडिशा विधानसभा के शीतकालीन सत्र के दौरान विपक्षी दलों ने भी इस मामले में सख्त कार्रवाई की और हंगामा हुआ था.

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने सभी राज्य सरकारों को जनवरी 2001 में कस्टोडियल मौतों के विवरण को सूचित करने की प्रक्रिया को कारगर बनाने के लिए अद्यतन दिशा-निर्देश जारी किए थे. आयोग ने 1993 में सामान्य निर्देश जारी किए थे कि किसी भी हिरासत में मृत्यु होने के 24 घंटे के भीतर आयोग को इसके बारे में सूचना देनी चाहिए.

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