नई दिल्लीः नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने सुवंसिरी प्रोजेक्ट को लेकर बनी कमेटी पर केंद्रीय पर्यावरण और वन मंत्रालय की कड़ी आलोचना की है. 2000 मेगा वॉट लोवर सुवंसिरी प्रोजेक्ट को लेकर असम पब्लिक वर्कस द्वारा दर्ज केस को सुप्रीम कोर्ट ने NGT (नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल) को सौंप दिया था. उसी सिलसिले में आज NGT में सुनवाई थी.
गौरतलब है कि, तीन सदस्यों की इस समिति के विरोध में असम पब्लिक वर्कस ने याचिका दायर की थी. जिसके बाद NGT ने यह निश्चित किया कि, कमेटी में दो या तीन और स्वतंत्र विशेषज्ञों को शामिल किया जा सकता है.
इस संबंध में APW (असम पब्लिक वर्कस) के अध्यक्ष अभिजीत शर्मा ने ईटीवी भारत से खास बातचीत की है.
शर्मा ने कहा, NGT ने हमारे दावे का समर्थन किया है. माननीय कोर्ट ने सरकार से कमेटी में कुछ स्वतंत्र विशेषज्ञों को भी शामिल करने को कहा है.
NGT की बेंच ने मंत्रालय से नए सदस्यों को शामिल करने को लेकर जवाब मांगा है.
बता दें कि, NGT की इस बेंच में जस्टिस आदर्श कुमार गोयल, जस्टिस एसपी वांगड़ी, जस्टिस के रामजृष्णन और बेंच के खास सदस्य सदस्य डॉ नागिन नंदा शामिल हैं.
याचिकाकर्ता के वकील संजय उपाध्याय ने कहा, NGT ने हमारी बात सुनी और विशेषज्ञ समिति में 2-3 और स्वतंत्र सदस्यों को शामिल करने का फैसला लिया.
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गौरतलब है कि, केंद्रीय पर्यावरण ने 2000 मेगावाट की लोअर सुबनसिरी परियोजना के मुद्दों पर गौर करने के लिए एक खास कमेटी गठित की थी. लेकिन APW ने इस समिति का विरोध कर कोर्ट में याचिका दायर की है.
APW का आरोप है कि, समिति के सभी सदस्य NHPC (जल विद्युत निगम) का पक्षपात करते हैं.
आपको बता दें कि, NHPC ने असम अरुणाचल प्रदेश की सीमा के साथ 2000 मेगावाट की राष्ट्रीय जल विद्युत परियोजना की शुरुआत की थी. लेकिन पिछले कई सालों से APW, कृषक मुक्ति संग्राम समिति (KMSS), AASU सहित कई संगठनों ने इस बांध को लोगों और पर्यावरण के लिए जोखिम भरा बताकर इसका विरोध किया है.