वायनाड: श्रीलंका में 116 साल के बाद पिगमी ट्वीग हॉपर की एक नई प्रजाति खोजी गई है. इस प्रजाति का नाम क्लाडोनोटस भास्करी रखा गया है. यह नाम केरल के युवा भारतीय शोधकर्ता धनीश भास्कर के नाम पर रखा गया है.
वायनाड के पदिंजरेथरा के मूल निवासी धानीश भास्कर ने भारत में टिड्डे के अनुसंधान के क्षेत्र में बहुत महत्वपूर्ण योगदान दिया है. युवा जीवविज्ञानी के उल्लेखनीय योगदान को देखते हुए, जर्मनी और क्रोएशिया के शोधकर्ताओं द्वारा हाल ही में श्रीलंका में सिंहराजा वर्षा वन में पाई गई ट्वीग हॉपर की एक नई प्रजाति का नाम धानीश भास्कर के नाम पर रखा गया है.
क्लैडनोटस भास्करी टिड्डी प्रजाति का सबसे छोटा टिड्डी है और यह उड़ नहीं सकती. यह केवल वर्षा वनों में पाई जाती है.
धानीश स्पीशीज सर्वाइवल कमीशन के सदस्य हैं जोकि ग्रास होपियर स्पेशलिस्ट ग्रुप है. यह ग्रुप इंटरनेशनल यूनियन ऑफ कंजर्वेशन ऑफ नेचर का हिस्सा है. धानीश केरल वन अनुसंधान संस्थान के शोधकर्ता भी हैं.
एराविकुलम नेशनल पार्क टिड्डे समेत कई कीट प्रजातियों का निवास स्थान है. धानीश ने वहां पर बड़े पैमाने पर कीट प्रजातियों पर अध्ययन किया था जिसके लिए अंतरराष्ट्रीय जगत में उनका काफी सम्मान बढ़ा था. धानीश अभी 28 साल के हैं.