ETV Bharat / bharat

जम्मू और कश्मीर में दहेज विरोधी कानून लागू

पुनर्गठन अधिनियम के तहत जम्मू-कश्मीर में दहेज विरोधी कानून लागू किया गया है. इस कानून के तहत दहेज उत्पीड़न के आरोपी को 5 साल तक की सजा का प्रावधान है.

author img

By

Published : Nov 19, 2019, 12:07 AM IST

कॉन्सेप्ट इमेज

श्रीनगर : जम्मू और कश्मीर और लद्दाख को केंद्रीय क्षेत्रों में बदलने के साथ पुनर्गठन अधिनियम के तहत 164 केंद्रीय कानून लागू हुए हैं. इनमें सबसे कठोर दहेज विरोधी कानून है जिसको राज्य में लागू किया गया है. इस कानून के तहत आरोपी को 5 साल तक की सजा का प्रावधान है.

इससे पहले, राज्य के दहेज विरोधी कानून को केवल एक साल की सजा और दहेज की राशि के रूप में जुर्माना लगाना पड़ता था.

पिछले महीने 31 अक्टूबर से जम्मू और कश्मीर और लद्दाख के केंद्र शासित प्रदेश बनने के बाद अब वहां दहेज मांगने वालों के खिलाफ दहेज विरोधी कानून के तहत कारवाई की जाएगी.

महिलाओं के खिलाफ अत्याचार पर अंकुश लगाने वाले इस कानून का सामाजिक कार्यकर्ताओं ने स्वागत किया है. उनका मानना ​​है कि कानून से समाज में फैली बुराई को समाप्त करना संभव हो जाएगा.

सामाजिक कार्यकर्ताओं ने यह भी कहा कि कश्मीर में दहेज उत्पीड़न की घटनाएं बढ़ रही हैं और इसके कारण कई महिलाओं की हत्या हुई है.

दूसरी ओर, स्थानीय महिलाओं ने दहेज विरोधी कानून का स्वागत किया और इसे सख्ती से लागू करने की आवश्यकता पर जोर दिया.

पढ़ें- ED की बड़ी कारवाई, दो आतंकियों की जमीन जब्त की

गौरतलब है कि 1960 में असिस्टेड दहेज अधिनियम लागू हुआ, लेकिन यह कानून 1961 में संसद में पारित किया गया, जो राज्य के कानून का विरोधाभासी है.

हालांकि यह कानून यहां लागू नहीं किया गया था क्योंकि जम्मू और कश्मीर को संविधान में एक विशेष दर्जा प्राप्त था।

श्रीनगर : जम्मू और कश्मीर और लद्दाख को केंद्रीय क्षेत्रों में बदलने के साथ पुनर्गठन अधिनियम के तहत 164 केंद्रीय कानून लागू हुए हैं. इनमें सबसे कठोर दहेज विरोधी कानून है जिसको राज्य में लागू किया गया है. इस कानून के तहत आरोपी को 5 साल तक की सजा का प्रावधान है.

इससे पहले, राज्य के दहेज विरोधी कानून को केवल एक साल की सजा और दहेज की राशि के रूप में जुर्माना लगाना पड़ता था.

पिछले महीने 31 अक्टूबर से जम्मू और कश्मीर और लद्दाख के केंद्र शासित प्रदेश बनने के बाद अब वहां दहेज मांगने वालों के खिलाफ दहेज विरोधी कानून के तहत कारवाई की जाएगी.

महिलाओं के खिलाफ अत्याचार पर अंकुश लगाने वाले इस कानून का सामाजिक कार्यकर्ताओं ने स्वागत किया है. उनका मानना ​​है कि कानून से समाज में फैली बुराई को समाप्त करना संभव हो जाएगा.

सामाजिक कार्यकर्ताओं ने यह भी कहा कि कश्मीर में दहेज उत्पीड़न की घटनाएं बढ़ रही हैं और इसके कारण कई महिलाओं की हत्या हुई है.

दूसरी ओर, स्थानीय महिलाओं ने दहेज विरोधी कानून का स्वागत किया और इसे सख्ती से लागू करने की आवश्यकता पर जोर दिया.

पढ़ें- ED की बड़ी कारवाई, दो आतंकियों की जमीन जब्त की

गौरतलब है कि 1960 में असिस्टेड दहेज अधिनियम लागू हुआ, लेकिन यह कानून 1961 में संसद में पारित किया गया, जो राज्य के कानून का विरोधाभासी है.

हालांकि यह कानून यहां लागू नहीं किया गया था क्योंकि जम्मू और कश्मीर को संविधान में एक विशेष दर्जा प्राप्त था।

Intro:Body:

MONDAY


Conclusion:
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.