रायपुर : छत्तिसगढ़ के कांकेर जिले के नक्सल प्रभावित कोयलीबेड़ा से पानीडोबीर मार्ग पर नक्सलियों ने एक बार फिर बैनर लगाए हैं. नक्सलियों ने बैनर लगाकर इस बार पटवारियों और रेंजर्स को धमकी दी है.
नक्सलियों ने वनाधिकार सीमांकन के लिए आने वाले पटवारियों और रेंजर्स को मारने की धमकी दी है, जिससे अब पटवारियों और रेंजर में दहशत का माहौल है.
नक्सलियों ने पानीडोबीर मार्ग पर एनीकेट के पास भारी संख्या में बैनर लगाए हैं. इसमें वनाधिकार सीमांकन के लिए आने पर पटवारियों और रेंजर्स को मारने की धमकी के साथ जल, जंगल, जमीन से जुड़े सारे अधिकार ग्रामसभा को देने की बात कही गई है.
नक्सलियों ने ग्रामीणों से पेसा कानून (अनुसूचित क्षेत्रों में विस्तार अधिनियम) जल्द लागू करवाने संघर्ष करने की भी बात कही है. बैनर लगाए जाने की खबर मिलते ही सर्चिंग पार्टी मौके के लिए रवाना हो गई. नक्सलियों की इस धमकी से क्षेत्र के कर्मचारियों में भी दहशत है और इसका असर वनाधिकार पट्टे बांटने के कार्य पर पड़ सकता है.
क्या है पेसा कानून
भारतीय संविधान के 73 वें संशोधन में देश में त्रिस्तरीय पंचायती राज व्यवस्था लागू की गई थी, लेकिन यह महसूस किया गया कि इसके प्रावधानों में अनुसूचित क्षेत्रों विशेषकर आदिवासी क्षेत्रों की आवश्यकताओं का ध्यान नहीं रखा गया है.
इस कमी को पूरा करने के लिए संविधान के भाग 9 के अन्तर्गत अनुसूचित क्षेत्रों में विशिष्ट पंचायत व्यवस्था लागू करने के लिए 'पंचायत उपबंध अनुसूचित क्षेत्रों पर विस्तार अधिनियम 1996' बनाया गया. जिसे 24 दिसम्बर 1996 को राष्ट्रपति द्वारा अनुमोदित किया गया.
यह कानून पेसा के नाम से इसलिए जाना जाता है क्योंकि अंग्रेजी में इस कानून का नाम प्रोविजन ऑफ पंचायत एक्टेशन टू शेड्यूल्ड एरिया एक्ट 1996 है.
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सुकमा में पटवारी से की थी मारपीट
नक्सलियों ने इसके पहले सुकमा जिले में एक पटवारी के साथ मारपीट की थी और उसे क्षेत्र में दोबारा नहीं आने की धमकी दी थी. ग्रामीणों ने बीच-बचाव करते हुए पटवारी की जान नक्सलियों से बचाई थी. जिससे बौखलाए नक्सलियों ने अब पटवारियों और वनकर्मियों को धमकी दी है.