अजमेर : नवदुर्गा का मंदिर अजमेर की नाग पहाड़ी के मुख पर स्थित है. स्थानीय लोग इन्हें नौसर माता के नाम से पुकारते हैं. मंदिर के बारे में पदम पुराण में उल्लेख है कि पुष्कर में सृष्टि यज्ञ की रक्षा के लिए जगत पिता ब्रह्मा ने नवदुर्गा का आह्वान किया था. दानवों से यज्ञ की रक्षा के लिए माता अपने नौ रूपों में नाग पहाड़ी के मुख्य पर प्रकट हुईं थीं. तब से माता अपने नौ रूपों में नाग पहाड़ी के मुख पर विराजमान हैं.
किवदंती है कि मुगल काल में औरंगजेब ने इस मंदिर को भी नुकसान पहुंचाने का प्रयास किया था. मंदिर को औरंगजेब की सेना ने तोड़ दिया, लेकिन माता के नौ स्वरूप वाले प्रतिमाओं को वह नुकसान नहीं पहुंचा पाया. बाद में मंदिर की पुनः स्थापना की गई. हालांकि, रखरखाव के अभाव में मंदिर जीर्ण-शीर्ण होता गया. 130 साल बाद संत बुध करण महाराज ने मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया.
बताया जाता है कि पहाड़ी के आस-पास कोई जलाशय नहीं था. ऐसे में संत बुध करण के लिए मंदिर का जीर्णोद्धार करवाना आसान नहीं था. तब माता ने उन्हें स्वप्न में दर्शन दिए और कहा कि मंदिर के नीचे विशाल पत्थर है, जिसे हटाने पर पर्याप्त जल मिलेगा. वह कुंड आज भी मौजूद है. कहते हैं कि उस कुंड में कभी पानी नहीं सूखता.
नौसर माता मंदिर आस-पास के ग्रामीणों के लिए आस्था का बड़ा केंद्र हैं. नौसर माता में भक्तों की प्रगाढ़ आस्था है. यही वजह है कि इस बार भी माता के भक्तों की आस्था में कोई कमी नहीं आई है. लोगों को यकीन है कि माता उनके बिगड़े काम संवार देती हैं. इस दर से कोई खाली हाथ नहीं जाता. सदियों से मंदिर में विराजी नौसर माता के दर्शनों के लिए दूर-दूर से लोग नवरात्र में दर्शनों के लिए आते हैं. लोग माता से मुरादें मांगते हैं और नौ स्वरूपों में माता अपने भक्तों का कल्याण करती हैं.