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प्रकृति को प्राथमिकता देने पर उपलब्ध होंगी नौकरियांं

वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम के एक अध्ययन में पाया गया है कि प्रकृति को सर्वोेपरी रखना व्यापार और अर्थव्यवस्था के लिए अच्छा है. रिपोर्ट बताती है कि प्रकृति ही हर समस्या का समाधान है, इससे व्यवसाय के अवसर और नई नौकरियों का सृजन होगा.

प्रकृति
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Published : Jul 16, 2020, 10:30 PM IST

हैदराबाद : कोरोना वायरस से फैली महामारी ने विश्व में नौकरियों के लिए संकट उत्पन्न कर दिया है. लोगों के आय के स्रोत पूरी तरह खत्म हो गए हैं. तो वहीं वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम ने एक अध्ययन में कहा है कि प्राकृति को प्राथमिकता देने से 2030 तक 39.5 करोड़ नौकरियां पैदा हो सकती हैं.

फ्यूचर ऑफ नेचर एंड बिजनेस की रिपोर्ट में कहा गया है कि 2030 तक 39.5 करोड़ नौकरियों के सृजन के लिए हम प्राकृतिक संसाधनों को सकारात्मक रूप में देख सकते हैं, जिसमें तीन महत्वपूर्ण पारिस्थितिक तंत्रों में मूलभूत परिवर्तन का आह्वान करता है. इसमें भोजन और भूमि उपयोग, ऊर्जा, और बुनियादी ढांचा शामिल है.

द फ्यूचर ऑफ नेचर एंड बिजनेस की रिपोर्ट में कहा गया है कि कोविड -19 एक ऐसी बीमारी है, जो जानवरों से इंसानों में फैल गई है, यह रिमाइंडर है कि प्रकृति से खिलवाड़ स्वास्थ्य और अर्थव्यवस्था पर कितना घातक प्रभाव डाल सकती है.

रिपोर्ट में कहा गया है कि उद्योगों का ध्यान प्राकृतिक संसाधनो पर है, जिसका अर्थ है कि वे प्रकृति में मूल्य जोड़ सकते हैं. इसके साथ ही वे व्यवसायों को 10.1 ट्रिलियन डॉलर व्यापार के अवसर के रूप में बदलने में मदद कर सकते हैं.

वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम के नेचर एक्शन एजेंडा की प्रमुख आकांक्षा खत्री ने कहा, हम उभरते जैव-विविधता संकट को दूर कर सकते हैं. इसके साथ ही लाखों तरह की नौकरियों का सृजन कर अर्थव्यवस्था और मानव जाति पर आने वाले खतरे से बच सकते हैं.

पढ़ें- पंजाब : एशिया की सबसे बड़ी ह्वीकल बॉडी फैक्ट्री पर मंदी की मार

खत्री ने आगे कहा, कारोबारी सरकार से बेहतर करने की मांग कर रहे हैं. हम अपने बुनियादी ढांचे में बदलाव करके नए ऊर्जा स्रोतों का इस्तेमाल कर सकते हैं. वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम की सिफारिशें नई प्रकृति अर्थव्यवस्था श्रृंखला का दूसरा भाग हैं, जो यह निर्धारित करती है कि अर्थव्यवस्थाएं और व्यवसाय कैसे अधिक प्रकृति-सकारात्मक बन सकते हैं.

रिपोर्ट में तीन सामाजिक-आर्थिक प्रणालियों में एक बुनियादी परिवर्तन की आवश्यकता पर प्रकाश डाला गया है. जो वैश्विक अर्थव्यवस्था के एक तिहाई से अधिक का प्रतिनिधित्व करता है और सभी नौकरियों के दो-तिहाई तक प्रदान करता है. ये प्रणालियां हैं: भोजन, भूमि और महासागर का उपयोग, बुनियादी ढांचा और निर्मित वातावरण और अर्क और ऊर्जा.

हैदराबाद : कोरोना वायरस से फैली महामारी ने विश्व में नौकरियों के लिए संकट उत्पन्न कर दिया है. लोगों के आय के स्रोत पूरी तरह खत्म हो गए हैं. तो वहीं वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम ने एक अध्ययन में कहा है कि प्राकृति को प्राथमिकता देने से 2030 तक 39.5 करोड़ नौकरियां पैदा हो सकती हैं.

फ्यूचर ऑफ नेचर एंड बिजनेस की रिपोर्ट में कहा गया है कि 2030 तक 39.5 करोड़ नौकरियों के सृजन के लिए हम प्राकृतिक संसाधनों को सकारात्मक रूप में देख सकते हैं, जिसमें तीन महत्वपूर्ण पारिस्थितिक तंत्रों में मूलभूत परिवर्तन का आह्वान करता है. इसमें भोजन और भूमि उपयोग, ऊर्जा, और बुनियादी ढांचा शामिल है.

द फ्यूचर ऑफ नेचर एंड बिजनेस की रिपोर्ट में कहा गया है कि कोविड -19 एक ऐसी बीमारी है, जो जानवरों से इंसानों में फैल गई है, यह रिमाइंडर है कि प्रकृति से खिलवाड़ स्वास्थ्य और अर्थव्यवस्था पर कितना घातक प्रभाव डाल सकती है.

रिपोर्ट में कहा गया है कि उद्योगों का ध्यान प्राकृतिक संसाधनो पर है, जिसका अर्थ है कि वे प्रकृति में मूल्य जोड़ सकते हैं. इसके साथ ही वे व्यवसायों को 10.1 ट्रिलियन डॉलर व्यापार के अवसर के रूप में बदलने में मदद कर सकते हैं.

वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम के नेचर एक्शन एजेंडा की प्रमुख आकांक्षा खत्री ने कहा, हम उभरते जैव-विविधता संकट को दूर कर सकते हैं. इसके साथ ही लाखों तरह की नौकरियों का सृजन कर अर्थव्यवस्था और मानव जाति पर आने वाले खतरे से बच सकते हैं.

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खत्री ने आगे कहा, कारोबारी सरकार से बेहतर करने की मांग कर रहे हैं. हम अपने बुनियादी ढांचे में बदलाव करके नए ऊर्जा स्रोतों का इस्तेमाल कर सकते हैं. वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम की सिफारिशें नई प्रकृति अर्थव्यवस्था श्रृंखला का दूसरा भाग हैं, जो यह निर्धारित करती है कि अर्थव्यवस्थाएं और व्यवसाय कैसे अधिक प्रकृति-सकारात्मक बन सकते हैं.

रिपोर्ट में तीन सामाजिक-आर्थिक प्रणालियों में एक बुनियादी परिवर्तन की आवश्यकता पर प्रकाश डाला गया है. जो वैश्विक अर्थव्यवस्था के एक तिहाई से अधिक का प्रतिनिधित्व करता है और सभी नौकरियों के दो-तिहाई तक प्रदान करता है. ये प्रणालियां हैं: भोजन, भूमि और महासागर का उपयोग, बुनियादी ढांचा और निर्मित वातावरण और अर्क और ऊर्जा.

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