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खराब माली हालत के कारण राष्ट्रीय फुटबॉलर धो रही लोगों के कपड़े

चंपारण की एक ऐसी बेटी जिसने फुटबॉल में राष्ट्रीय स्तर पर परचम लहराया, आज आर्थिक तंगी झेल रही है. कोरोना काल में घर की आर्थिक हालत कमजोर देख वह अपने पिता के साथ एक तालाब किनारे लोगों के कपड़े धोती है.

footballer  washing peoples clothes
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Published : Jul 27, 2020, 8:29 AM IST

पटना : राष्ट्रीय स्तर पर अपना परचम लहरा चुकीं बिहार के बेतिया जिले के नरकटियागंज की राष्ट्रीय महिला फुटबॉलर मोनी कुमारी कोरोना काल में आर्थिक तंगी झेल रही हैं. रोजी रोटी के लिए नरकटियागंज रेलवे के पास एक तालाब के किनारे अपने पिता के साथ मोनी आजकल लोगों के कपड़े धोती हैं.

बता दें कि स्नातक प्रथम वर्ष कि छात्रा मोनी अखिल भारतीय महिला फुटबॉल का दो बार प्रतिनिधित्व कर चुकी हैं. वर्ष 2018 में डिब्रूगढ़, असम और 2019 में कटक, उड़ीसा में आयोजित अखिल भारतीय फुटबॉल प्रतियोगिता में वह खेल चुकी हैं. आजकल नरकटियागंज रेलवे तालाब के किनारे कपड़े धोना और सुखाकर घर लाकर प्रेस करना मोनी की दिनचर्या बन गया है, हालांकि वह समय निकालकर अभ्यास करना नहीं भूलती हैं.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

आर्थिक हालत कमजोर देख पिता का हांथ बंटाने का फैसला
राष्ट्रीय महिला फुटबॉलर मोनी बताती हैं कि कोरोना से जंग में स्वच्छता की बड़ी भूमिका होती है. मोनी ने बताया कि अपने पिता को आर्थिक रूप से कमजोर देख उन्होंने कपड़ा धोने में हाथ बंटाने का फैसला लिया. इस तरह पिता के सहयोग से दो वक्त की खाने की व्यवस्था हो जाती है. पिता प्रमोद बैठा ने बताया कि हाई स्कूल में पढ़ने के दौरान खेल में मोनी की रुचि जगी. उसकी प्रतिभा को देख प्रशिक्षक सुनील वर्मा ने उसका मार्गदर्शन किया और वह रोजाना फुटबॉल खेलने लगी.

सरकार से मदद की है उम्मीद
पिता प्रमोद बैठा ने बताया कि लॉकडाउन के कारण घर की आर्थिक स्थिति काफी खराब है. उन्होंने कहा कि 'सरकार और जनप्रतिनिधि मेरी बेटी को कोई नौकरी दे देते तो वह कपड़ा धोने का कार्य नहीं करती.' उन्होंने बताया कि कपड़ा धोने के बाद जो समय बचता है, उसका सदुपयोग कर मोनी अपनी प्रैक्टिस भी करती है.

पढ़ें-जम्मू कश्मीर में लापता परिवार के पांच सदस्यों का शव नदी से बरामद हुआ

पटना : राष्ट्रीय स्तर पर अपना परचम लहरा चुकीं बिहार के बेतिया जिले के नरकटियागंज की राष्ट्रीय महिला फुटबॉलर मोनी कुमारी कोरोना काल में आर्थिक तंगी झेल रही हैं. रोजी रोटी के लिए नरकटियागंज रेलवे के पास एक तालाब के किनारे अपने पिता के साथ मोनी आजकल लोगों के कपड़े धोती हैं.

बता दें कि स्नातक प्रथम वर्ष कि छात्रा मोनी अखिल भारतीय महिला फुटबॉल का दो बार प्रतिनिधित्व कर चुकी हैं. वर्ष 2018 में डिब्रूगढ़, असम और 2019 में कटक, उड़ीसा में आयोजित अखिल भारतीय फुटबॉल प्रतियोगिता में वह खेल चुकी हैं. आजकल नरकटियागंज रेलवे तालाब के किनारे कपड़े धोना और सुखाकर घर लाकर प्रेस करना मोनी की दिनचर्या बन गया है, हालांकि वह समय निकालकर अभ्यास करना नहीं भूलती हैं.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

आर्थिक हालत कमजोर देख पिता का हांथ बंटाने का फैसला
राष्ट्रीय महिला फुटबॉलर मोनी बताती हैं कि कोरोना से जंग में स्वच्छता की बड़ी भूमिका होती है. मोनी ने बताया कि अपने पिता को आर्थिक रूप से कमजोर देख उन्होंने कपड़ा धोने में हाथ बंटाने का फैसला लिया. इस तरह पिता के सहयोग से दो वक्त की खाने की व्यवस्था हो जाती है. पिता प्रमोद बैठा ने बताया कि हाई स्कूल में पढ़ने के दौरान खेल में मोनी की रुचि जगी. उसकी प्रतिभा को देख प्रशिक्षक सुनील वर्मा ने उसका मार्गदर्शन किया और वह रोजाना फुटबॉल खेलने लगी.

सरकार से मदद की है उम्मीद
पिता प्रमोद बैठा ने बताया कि लॉकडाउन के कारण घर की आर्थिक स्थिति काफी खराब है. उन्होंने कहा कि 'सरकार और जनप्रतिनिधि मेरी बेटी को कोई नौकरी दे देते तो वह कपड़ा धोने का कार्य नहीं करती.' उन्होंने बताया कि कपड़ा धोने के बाद जो समय बचता है, उसका सदुपयोग कर मोनी अपनी प्रैक्टिस भी करती है.

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