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दुनिया के नेताओं के लिए प्रेरणा स्रोत रहे हैं गांधी

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Published : Sep 25, 2019, 7:01 AM IST

Updated : Oct 1, 2019, 10:26 PM IST

इस साल महात्मा गांधी की 150वीं जयन्ती मनाई जा रही है. इस अवसर पर ईटीवी भारत दो अक्टूबर तक हर दिन उनके जीवन से जुड़े अलग-अलग पहलुओं पर चर्चा कर रहा है. हम हर दिन एक विशेषज्ञ से उनकी राय शामिल कर रहे हैं. साथ ही प्रतिदिन उनके जीवन से जुड़े रोचक तथ्यों की प्रस्तुति दे रहे हैं. प्रस्तुत है आज 39वीं कड़ी.

महात्मा गांधी की फाइल फोटो

मार्टिन लूथर किंग जूनियर, दलाई लामा, नेल्सन मंडेला, अडोल्फ़ो पेरेज़ एस्क्विवेल समेत विभिन्न महाद्वीपों के कई नोबेल पुरस्कार विजेता नेता गांधी के दर्शन और तरीके से प्रभावित थे. रंगभेद नीति के खिलाफ अश्वेतों के आंदोलन के जरिए नेल्सन मंडेला और डेसमंड टूटू ने अपने यहां क्रांतिकारी बदलाव लाया. गांधी से प्रेरित होकर इस आंदोलन में वे लोग हिंसा का रास्ता छोड़कर शांतिपूर्व विरोध की ओर बढ़े.

मार्टिन लूथर किंग जू. को लोकप्रिय अमेरिकी गांधी कहा जाता था. उन्होंने 'प्रिलग्रिमेज टू नॉनवायलेंस' नाम की किताब में लिखा है, 'जितना ज्यादा मैं गांधी के दर्शन की गहराई में डूबता गया, प्रेम की शक्ति के बारे में उतना ही ज्यादा संदेह कम होता चला गया. और मैंने पहली बार यह महसूस किया कि प्रेम के बारे में जो ईसाई सिद्धांत है, यदि उसे गांधीवादी तरीके से संचालित किया जाए, तो यह सबसे अधिक ताकतवर हथियार होगा, खासकर उन शोषितों के लिए जो आजादी हासिल करने के लिए संघर्षरत हैं. '

गांधी के संत या ईशरत्व गुण से बहुत लोग प्रभावित थे. जैसे स्टेनली जोन्स, हेनरी रोजर, डब्ल्यू डब्ल्यू पियर्सन और डॉ कोरमैन. ये सभी प्रोस्टेंट थे. दीनबंधु सीएफ एंड्रयूज गांधी से बहुत बड़े प्रशंसक थे.

इतिहास दिखाता है कि अहिंसा के रास्ते चलकर दुनिया भर में कई नेताओं ने अपने देश में आमूल-चूल बदलाव लाए हैं. कई सफलताएं पाई हैं. मार्टिन लूथर किंग जूनियर के नेतृत्व में 1960 के अमेरिकी नागरिक अधिकार आंदोलन का अफ्रीकी-अमेरिकियों के लिए राजनीतिक अधिकारों में समापन हुआ. अहिंसक प्रतिरोध की वजह से पूर्वी यूरोप में साम्यवाद का पतन हो गया. यानि पोलैंड में सॉलिडेरिटी और चेकोस्लोवाकिया में चार्टर 77 जैसी ताकतों के नेतृत्व में विरोध हुआ था. फिलीपींस में फर्डिनेंड मार्कोस की सरकार 1986 में गिर गई. सेना ने लोगों पर गोली चलाने से इनकार कर दिया. टैंक लेकर चलने वाले सैनिकों के सामने जब फूल लेकर लड़कियां आने लगीं, तो उनकी इन तस्वीरों ने करिश्मा कर दिया. आज भी ये तस्वीरें झकझोर देती हैं.

जोसेफ जीन लैंजा डेल वास्तो वास्तव में एक विद्वान ईसाई आदर्शवादी थे. वह 1937 में गांधी से मिलने के लिए वर्धा आए. उन्होंने 1943 में ले पेलेरिंज औक्स सोर्रेस नाम की किताब लिखी. वे गांधी के अनुयायी बन गए. गांधी ने उन्हें एक भारतीय नाम- शांतिदास या 'शांति का सेवक' दिया. बाद में डेल वस्तो 1957 में फ्रांसीसी राजनीति में सक्रिय हो गए, फ्रांसीसियों द्वारा अल्जीरिया की यातना के विरोध में 20 दिनों तक उपवास किया.

फिलिस्तीन में प्रोफेसर एडवर्ड सेड को गाजा के गांधी के रूप में जाना जाता था. दक्षिण अफ्रीका में डरबन स्ट्रीट का नाम गांधी के नाम पर रखा गया है. अर्जेंटीना के एस्क्विवेल ने पीस और जस्टिस आंदोलन की शुरुआत की. उस समय 1970 के दशक में उन्होंने पैन-लैटिन अमेरिकी नागरिक अधिकार आंदोलन को अपनाया. अहिंसा को अपना माध्यम बनाया. उस समय महाद्वीप हिंसक संघर्ष की चपेट में था.

वर्ष 2005 में बिल बोर्ड अभियान ने गांधी को लॉस एंजिल्स, अटलांटा और अन्य अमेरिकी शहरों में अपने चरखा पर काम करते हुए प्रदर्शित किया, जो यह साबित करता है कि सोसायटी-एट-लार्ज पर गांधी के महत्वपूर्ण प्रभाव से परे है. अटलांटा स्थित प्रोफेसर वाल्टर अर्ल फ्लाकर, जिन्होंने 2007 में भारत का दौरा किया था. उन्होंने विश्व शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व को सिखाने में गांधी की महान भूमिका का उल्लेख किया. 1930 में गांधी को अमेरिका में मैन ऑफ द ईयर के रूप में घोषित किया गया. जीन शार्प ने 1959 में लिखा है कि उस समय द न्यूयॉर्क टाइम्स, द टाइम्स और द मैनचेस्टर गार्जियन में नन वायोलेंस, नॉन वायोलेंट रेसिस्टेंस, सत्याग्रह, पेसीफिज्म जैसे शब्द प्रयोग में आते थे.

वर्ष 1955-56 के दौरान मॉन्टगोमरी के अश्वेतों ने अहिंसक तरीके से विरोध किया था, तब उन्होंने गांधी से ही प्रेरणा ली थी. उन्होंने द, अमेरिका में प्रचलित अलगाव की बर्बर प्रथा का विरोध किया था. डैनिलो डोल्सी को भूखे सिसिलियों का नेतृत्व करने के जुर्म में जेल में डाल दिया गया था, जबकि उन्होंने अहिंसक रास्ता अपनाया था. वेल्श राष्ट्रवादियों ने वेल्श स्व सरकार के लिए अहिंसक प्रतिरोध का इस्तेमाल किया, कमांडर सर स्टीफन किंग-हॉल ने 'द अल्टरनेटिव टू द न्यूक्लियर डिटरेंट: नॉनविले प्रतिरोध' पर ब्रिटिश नौसेना, सेना और वायु सेना के अधिकारियों का व्याख्यान किया. बुडापेस्ट (हंगरी) की महिलाओं ने उनके सामने लेट कर रूसी टैंकों को रोक दिया.

तंजानिया के जूलियस न्येरे एक गांधीवादी नेता थे. उन्होंने अपने देश में गैर जातिवाद आंदोलन के लिए शांति का रास्ता अपनाया. यह कदम बहुत ही साहसिक और बुद्धिमत्ता भरा था. उनके उत्साही अनुयायियों में अमीनू कानो भी थे. कानो मुस्लिम थे. उन्होंने गांधी की सफलता का विश्लेषण किया और गांधी की अहिंसक तकनीकों को उत्तरी नाइजीरिया में अपनाने का प्रयास किया.

पश्चिमी जीवन शैली से परिवार टूटने का खतरा रहता है. ऐसा प्रचारित किया जाता रहा है. हमने सालों से जो पारिवारिक मूल्य अपनाए हैं, गांधी उस पर जोर देते थे. आज की नई पीढ़ी भी अब धीरे-धीरे स्वीकार कर रही है कि गांधीवादी रास्ता भारत और समकालीन दुनिया के लिए बेहतरीन मॉडल है. उनका रास्ता सबसे बेहतर विकल्प है.

(लेखक- डॉ नीता खंडपेकर, मुंबई विवि)

आलेख के विचार लेखक के निजी हैं. इनसे ईटीवी भारत का कोई संबंध नहीं है

मार्टिन लूथर किंग जूनियर, दलाई लामा, नेल्सन मंडेला, अडोल्फ़ो पेरेज़ एस्क्विवेल समेत विभिन्न महाद्वीपों के कई नोबेल पुरस्कार विजेता नेता गांधी के दर्शन और तरीके से प्रभावित थे. रंगभेद नीति के खिलाफ अश्वेतों के आंदोलन के जरिए नेल्सन मंडेला और डेसमंड टूटू ने अपने यहां क्रांतिकारी बदलाव लाया. गांधी से प्रेरित होकर इस आंदोलन में वे लोग हिंसा का रास्ता छोड़कर शांतिपूर्व विरोध की ओर बढ़े.

मार्टिन लूथर किंग जू. को लोकप्रिय अमेरिकी गांधी कहा जाता था. उन्होंने 'प्रिलग्रिमेज टू नॉनवायलेंस' नाम की किताब में लिखा है, 'जितना ज्यादा मैं गांधी के दर्शन की गहराई में डूबता गया, प्रेम की शक्ति के बारे में उतना ही ज्यादा संदेह कम होता चला गया. और मैंने पहली बार यह महसूस किया कि प्रेम के बारे में जो ईसाई सिद्धांत है, यदि उसे गांधीवादी तरीके से संचालित किया जाए, तो यह सबसे अधिक ताकतवर हथियार होगा, खासकर उन शोषितों के लिए जो आजादी हासिल करने के लिए संघर्षरत हैं. '

गांधी के संत या ईशरत्व गुण से बहुत लोग प्रभावित थे. जैसे स्टेनली जोन्स, हेनरी रोजर, डब्ल्यू डब्ल्यू पियर्सन और डॉ कोरमैन. ये सभी प्रोस्टेंट थे. दीनबंधु सीएफ एंड्रयूज गांधी से बहुत बड़े प्रशंसक थे.

इतिहास दिखाता है कि अहिंसा के रास्ते चलकर दुनिया भर में कई नेताओं ने अपने देश में आमूल-चूल बदलाव लाए हैं. कई सफलताएं पाई हैं. मार्टिन लूथर किंग जूनियर के नेतृत्व में 1960 के अमेरिकी नागरिक अधिकार आंदोलन का अफ्रीकी-अमेरिकियों के लिए राजनीतिक अधिकारों में समापन हुआ. अहिंसक प्रतिरोध की वजह से पूर्वी यूरोप में साम्यवाद का पतन हो गया. यानि पोलैंड में सॉलिडेरिटी और चेकोस्लोवाकिया में चार्टर 77 जैसी ताकतों के नेतृत्व में विरोध हुआ था. फिलीपींस में फर्डिनेंड मार्कोस की सरकार 1986 में गिर गई. सेना ने लोगों पर गोली चलाने से इनकार कर दिया. टैंक लेकर चलने वाले सैनिकों के सामने जब फूल लेकर लड़कियां आने लगीं, तो उनकी इन तस्वीरों ने करिश्मा कर दिया. आज भी ये तस्वीरें झकझोर देती हैं.

जोसेफ जीन लैंजा डेल वास्तो वास्तव में एक विद्वान ईसाई आदर्शवादी थे. वह 1937 में गांधी से मिलने के लिए वर्धा आए. उन्होंने 1943 में ले पेलेरिंज औक्स सोर्रेस नाम की किताब लिखी. वे गांधी के अनुयायी बन गए. गांधी ने उन्हें एक भारतीय नाम- शांतिदास या 'शांति का सेवक' दिया. बाद में डेल वस्तो 1957 में फ्रांसीसी राजनीति में सक्रिय हो गए, फ्रांसीसियों द्वारा अल्जीरिया की यातना के विरोध में 20 दिनों तक उपवास किया.

फिलिस्तीन में प्रोफेसर एडवर्ड सेड को गाजा के गांधी के रूप में जाना जाता था. दक्षिण अफ्रीका में डरबन स्ट्रीट का नाम गांधी के नाम पर रखा गया है. अर्जेंटीना के एस्क्विवेल ने पीस और जस्टिस आंदोलन की शुरुआत की. उस समय 1970 के दशक में उन्होंने पैन-लैटिन अमेरिकी नागरिक अधिकार आंदोलन को अपनाया. अहिंसा को अपना माध्यम बनाया. उस समय महाद्वीप हिंसक संघर्ष की चपेट में था.

वर्ष 2005 में बिल बोर्ड अभियान ने गांधी को लॉस एंजिल्स, अटलांटा और अन्य अमेरिकी शहरों में अपने चरखा पर काम करते हुए प्रदर्शित किया, जो यह साबित करता है कि सोसायटी-एट-लार्ज पर गांधी के महत्वपूर्ण प्रभाव से परे है. अटलांटा स्थित प्रोफेसर वाल्टर अर्ल फ्लाकर, जिन्होंने 2007 में भारत का दौरा किया था. उन्होंने विश्व शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व को सिखाने में गांधी की महान भूमिका का उल्लेख किया. 1930 में गांधी को अमेरिका में मैन ऑफ द ईयर के रूप में घोषित किया गया. जीन शार्प ने 1959 में लिखा है कि उस समय द न्यूयॉर्क टाइम्स, द टाइम्स और द मैनचेस्टर गार्जियन में नन वायोलेंस, नॉन वायोलेंट रेसिस्टेंस, सत्याग्रह, पेसीफिज्म जैसे शब्द प्रयोग में आते थे.

वर्ष 1955-56 के दौरान मॉन्टगोमरी के अश्वेतों ने अहिंसक तरीके से विरोध किया था, तब उन्होंने गांधी से ही प्रेरणा ली थी. उन्होंने द, अमेरिका में प्रचलित अलगाव की बर्बर प्रथा का विरोध किया था. डैनिलो डोल्सी को भूखे सिसिलियों का नेतृत्व करने के जुर्म में जेल में डाल दिया गया था, जबकि उन्होंने अहिंसक रास्ता अपनाया था. वेल्श राष्ट्रवादियों ने वेल्श स्व सरकार के लिए अहिंसक प्रतिरोध का इस्तेमाल किया, कमांडर सर स्टीफन किंग-हॉल ने 'द अल्टरनेटिव टू द न्यूक्लियर डिटरेंट: नॉनविले प्रतिरोध' पर ब्रिटिश नौसेना, सेना और वायु सेना के अधिकारियों का व्याख्यान किया. बुडापेस्ट (हंगरी) की महिलाओं ने उनके सामने लेट कर रूसी टैंकों को रोक दिया.

तंजानिया के जूलियस न्येरे एक गांधीवादी नेता थे. उन्होंने अपने देश में गैर जातिवाद आंदोलन के लिए शांति का रास्ता अपनाया. यह कदम बहुत ही साहसिक और बुद्धिमत्ता भरा था. उनके उत्साही अनुयायियों में अमीनू कानो भी थे. कानो मुस्लिम थे. उन्होंने गांधी की सफलता का विश्लेषण किया और गांधी की अहिंसक तकनीकों को उत्तरी नाइजीरिया में अपनाने का प्रयास किया.

पश्चिमी जीवन शैली से परिवार टूटने का खतरा रहता है. ऐसा प्रचारित किया जाता रहा है. हमने सालों से जो पारिवारिक मूल्य अपनाए हैं, गांधी उस पर जोर देते थे. आज की नई पीढ़ी भी अब धीरे-धीरे स्वीकार कर रही है कि गांधीवादी रास्ता भारत और समकालीन दुनिया के लिए बेहतरीन मॉडल है. उनका रास्ता सबसे बेहतर विकल्प है.

(लेखक- डॉ नीता खंडपेकर, मुंबई विवि)

आलेख के विचार लेखक के निजी हैं. इनसे ईटीवी भारत का कोई संबंध नहीं है

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Last Updated : Oct 1, 2019, 10:26 PM IST
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