हैदराबाद : भारत जैसे विशाल, सुंदर और विविधताओं से भरे देश में ईटीवी भारत ने 15वीं सदी के गुजराती कवि नरसिंह मेहता द्वारा रचित भजन को अपना माध्यम चुना है.
उनकी कविता वैष्णव (जिसके मन में हरेक के प्रति करुणा का भाव हो) के जीवन और आदर्शों को खूबसूरती से दर्शाती है. नरसिंह मेहता ने सांसारिक जीवन त्याग दिया था. बाद में वे भक्ति आंदोलन की प्रमुख शक्ति बन गए थे.
महात्मा गांधी ने नरसी भगत के लेखन से सरलता, भक्ति, निडरता और विनम्रता को अपनाया था. गुजराती कवियों में उन्हें अनादि कवि माना जाता है. उनके भजन ने विभिन्न जातियों और वर्गों में हर्षोल्लास का माहौल लाया था. यह उस समय की जरूरत थी.
यह भजन साबरमती आश्रम में नियमित रूप से गाया जाता था. गांधी से प्रेरणा लेकर इस भजन को स्वतंत्रता सेनानियों ने अहिंसा और भाईचारे का संदेश फैलाने के लिए उपयोग किया.
ईटीवी भारत एक बहुभाषी डिजिटल प्लेटफॉर्म है. यह देश के अलग-अलग हिस्सों में रहने वाले विभिन्न रंगों, संस्कृतियों, परंपराओं, लोकाचार और भारतीय लोगों की आकांक्षाओं को दर्शाता है.
एक डिजिटल प्लेटफॉर्म के रूप में ईटीवी भारत शहरी केंद्रों की सीमाओं से बहुत आगे हर भारतीय की सफलताओं और उनकी उपलब्धियों को सामने लाता है. हम नरसिंह मेहता की रचनाओं में उद्धृत आम आदमी की कोशिशों और दारुण स्थिति को प्रमुखता से उठाने में दूसरों के मुकाबले बहुत आगे हैं.
ऐसे समय में जब मानवता को साथी नागरिकों के लिए दया की आवश्यकता है, ईटीवी भारत ने भारत की विविधताओं का प्रतिनिधित्व करने के लिए भारत के सर्वश्रेष्ठ गायकों को एक मंच पर लाने की कोशिश की है.
पी उन्नीकृष्णन (तमिल), एसपी बाला कृष्णन (तेलुगु), पी विजय प्रकाश (कन्नड़), योगेश गाधावी (गुजराती), पुलक बनर्जी (आसामी), वैशाली माडे (मराठी), केएस चित्रा (मलयालम), शंकर साहनी (पंजाबी), हैमंती शुक्ला (बंगाली), सुभाष चंद्र दास (ओडिया), छन्नू लाल मिश्रा और सलामत खान (हिंदी) ने राष्ट्रपिता गांधी को श्रद्धांजलि देने के लिए इस गाने में अपनी आवाज दी है. संगीतकार वासु राव सालूरी हैं और निदेशक अजित नाग हैं.
गाने को देश के अलग-अलग हिस्सों में फिल्माया गया है. इसमें देश की सांस्कृतिक संपन्नता और परंपराओं को प्रमुखता से दिखाया गया है.