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फर्जी टीआरपी रैकेट के गिरोह का पर्दाफाश, दो मराठी चैनलों के मालिक गिरफ्तार - फेक टीआरपी रैकेट

मुंबई पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह ने कहा है कि पुलिस ने फर्जी टीआरपी रैकेट पकड़ने में कामयाबी हासिल की है. उन्होंने बताया कि इस मामले में तीन चैनलों के नाम सामने आए हैं. उन्होंने बताया कि दो लोगों को गिरफ्तार किया गया है. लाखों रुपये जब्त भी किए गए हैं.

पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह
पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह
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Published : Oct 8, 2020, 4:09 PM IST

Updated : Oct 9, 2020, 6:54 AM IST

मुंबई : मुंबई पुलिस ने टेलीविजन रेटिंग पॉइंट (टीआरपी) से छेड़छाड़ करने वाले एक गिरोह का पर्दाफाश किया और कहा कि इस मामले के संबंध में दो व्यक्तियों को गिरफ्तार किया गया है. टीआरपी के आधार पर यह फैसला किया जाता है कि कौन सा टीवी कार्यक्रम सबसे ज्यादा देखा गया. यह दर्शकों की पसंद और किसी चैनल की लोकप्रियता भी इंगित करती है.

मुंबई पुलिस आयुक्त परम बीर सिंह ने संवाददाताओं से कहा कि एक राष्ट्रीय टीवी चैनल भी टीआरपी गिरोह में शामिल है. इस चैनल द्वारा सुशांत सिंह राजपूत के मामले में मुंबई पुलिस और महाराष्ट्र सरकार की आलोचना की गई थी.

परमबीर सिंह का बयान.

टीआरपी गिरोह का पर्दाफाश करने वाली मुंबई पुलिस की अपराध शाखा ने दो मराठी चैनलों के मालिकों को दर्शकों की संख्या की रेटिंग से छेड़छाड़ करने के लिए गिरफ्तार किया है.

पुलिस आयुक्त ने कहा कि टीआरपी गिरोह में एक राष्ट्रीय समाचार चैनल भी शामिल है और इसके लिए जिम्मेदार लोगों को भी गिरफ्तार किया जाएगा चाहे वह निदेशक, प्रवर्तक हो या चैनल का कोई अन्य कर्मचारी.

चैनल की ओर से दिए गए एक वक्तव्य में सिंह के दावों को खारिज किया गया है.

सिंह ने कहा कि इन चैनलों के बैंक खातों की जांच भी की जा रही है और टीआरपी गिरोह के लिए जिम्मेदार लोगों को पुलिस पूछताछ के लिए तलब कर रही है.

उन्होंने कहा, 'विज्ञापन देने वाले इन टीआरपी रेटिंग के आधार पर इन चैनलों पर विज्ञापन प्रसारित करने के लिए पैसे देते थे और यह खेल हजारों करोड़ रुपये का है.'

उन्होंने कहा कि छेड़छाड़ की हुई टीआरपी रेटिंग से विज्ञापन देने वालों को दर्शकों की गलत संख्या बताई जाती थी.

उन्होंने कहा कि इस प्रकार टीआरपी के गलत आंकड़े दिखाकर सैकड़ों करोड़ रुपये का चूना लगाया जा रहा था.

कुछ घरों के गोपनीय समूह में टीवी चैनल देखे जाने के आधार पर टीआरपी की गणना की जाती है.

सिंह ने कहा कि गिरोह में शामिल लोग इन घरों के लोगों को घूस देकर उनसे कहते थे कि वे टीवी पर कुछ चैनल चलाकर छोड़ दें, भले ही वह उसे देख न रहे हों.

उन्होंने कहा कि ब्रॉडकास्ट ऑडिएंस रिसर्च कॉउंसिल (बीएआरसी) भारत में टीवी चैनलों के लिए साप्ताहिक रेटिंग जारी करता है और इस मामले के संबंध में उनके अधिकारियों से भी पूछताछ की जा रही है.

उन्होंने कहा कि टीआरपी को मापने के लिए मुंबई में दो हजार मापक इकाई स्थापित हैं.

सिंह ने कहा कि बीएआरसी ने ‘हंसा’ नामक एजेंसी को इन इकाइयों पर नजर रखने का ठेका दिया था.

पुलिस आयुक्त ने कहा कि दोनों चैनल के मालिकों को गिरफ्तार कर अदालत में पेश किया गया और वे मुंबई पुलिस की हिरासत में हैं.

उन्होंने कहा कि दोनों आरोपियों को भारतीय दंड संहिता की धारा 409 और 420 के तहत गिरफ्तार किया गया है.

सिंह ने कहा, 'हमें शक है कि यदि यह मुंबई में हो सकता है तो देश के अन्य भागों में भी हो सकता है.'

बीएआरसी, टीवी के दर्शकों की संख्या बताने के लिए सटीक, विश्वसनीय और समयबद्ध प्रणाली के गठन और निगरानी का काम करता है और भारतीय दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण के दिशा निर्देशों से बंधा होता है.

सिंह ने कहा कि हंसा ने टीआरपी गिरोह के विरुद्ध एक शिकायत दर्ज की जिसके बाद मामला दर्ज किया गया.

यह भी पढ़ें- क्या होती है टीआरपी, सरल भाषा में यहां समझें

उन्होंने कहा, 'जांच के दौरान पाया गया कि एजेंसी के कुछ पूर्व कर्मचारी कुछ टेलीविजन कंपनियों को आकंड़े उपलब्ध कराने के खेल में शामिल थे.'

उन्होंने कहा कि जिन लोगों के घरों पर इकाइयां लगीं थीं उनमें से बहुत से लोगों ने यह स्वीकार किया है कि उन्हें अपने टीवी ऑन रखने के लिए पैसे दिए गए थे.

राष्ट्रीय टीवी चैनल के प्रधान संपादक की ओर से आए वक्तव्य मे आरोप लगाया गया है कि मुंबई पुलिस ने उनके विरुद्ध गलत दावे किए हैं क्योंकि उनके चैनल ने सुशांत सिंह राजपूत के मामले की जांच में पुलिस पर सवाल खड़े किए थे.

चैनल ने कहा है कि वह मुंबई पुलिस आयुक्त परम बीर सिंह के विरुद्ध आपराधिक मानहानि का मुकदमा करेगा.

चैनल ने कहा कि सिंह को माफी मांगनी चाहिए और अदालत में मुकदमे का सामना करने के लिए तैयार रहना चाहिए.

मुंबई : मुंबई पुलिस ने टेलीविजन रेटिंग पॉइंट (टीआरपी) से छेड़छाड़ करने वाले एक गिरोह का पर्दाफाश किया और कहा कि इस मामले के संबंध में दो व्यक्तियों को गिरफ्तार किया गया है. टीआरपी के आधार पर यह फैसला किया जाता है कि कौन सा टीवी कार्यक्रम सबसे ज्यादा देखा गया. यह दर्शकों की पसंद और किसी चैनल की लोकप्रियता भी इंगित करती है.

मुंबई पुलिस आयुक्त परम बीर सिंह ने संवाददाताओं से कहा कि एक राष्ट्रीय टीवी चैनल भी टीआरपी गिरोह में शामिल है. इस चैनल द्वारा सुशांत सिंह राजपूत के मामले में मुंबई पुलिस और महाराष्ट्र सरकार की आलोचना की गई थी.

परमबीर सिंह का बयान.

टीआरपी गिरोह का पर्दाफाश करने वाली मुंबई पुलिस की अपराध शाखा ने दो मराठी चैनलों के मालिकों को दर्शकों की संख्या की रेटिंग से छेड़छाड़ करने के लिए गिरफ्तार किया है.

पुलिस आयुक्त ने कहा कि टीआरपी गिरोह में एक राष्ट्रीय समाचार चैनल भी शामिल है और इसके लिए जिम्मेदार लोगों को भी गिरफ्तार किया जाएगा चाहे वह निदेशक, प्रवर्तक हो या चैनल का कोई अन्य कर्मचारी.

चैनल की ओर से दिए गए एक वक्तव्य में सिंह के दावों को खारिज किया गया है.

सिंह ने कहा कि इन चैनलों के बैंक खातों की जांच भी की जा रही है और टीआरपी गिरोह के लिए जिम्मेदार लोगों को पुलिस पूछताछ के लिए तलब कर रही है.

उन्होंने कहा, 'विज्ञापन देने वाले इन टीआरपी रेटिंग के आधार पर इन चैनलों पर विज्ञापन प्रसारित करने के लिए पैसे देते थे और यह खेल हजारों करोड़ रुपये का है.'

उन्होंने कहा कि छेड़छाड़ की हुई टीआरपी रेटिंग से विज्ञापन देने वालों को दर्शकों की गलत संख्या बताई जाती थी.

उन्होंने कहा कि इस प्रकार टीआरपी के गलत आंकड़े दिखाकर सैकड़ों करोड़ रुपये का चूना लगाया जा रहा था.

कुछ घरों के गोपनीय समूह में टीवी चैनल देखे जाने के आधार पर टीआरपी की गणना की जाती है.

सिंह ने कहा कि गिरोह में शामिल लोग इन घरों के लोगों को घूस देकर उनसे कहते थे कि वे टीवी पर कुछ चैनल चलाकर छोड़ दें, भले ही वह उसे देख न रहे हों.

उन्होंने कहा कि ब्रॉडकास्ट ऑडिएंस रिसर्च कॉउंसिल (बीएआरसी) भारत में टीवी चैनलों के लिए साप्ताहिक रेटिंग जारी करता है और इस मामले के संबंध में उनके अधिकारियों से भी पूछताछ की जा रही है.

उन्होंने कहा कि टीआरपी को मापने के लिए मुंबई में दो हजार मापक इकाई स्थापित हैं.

सिंह ने कहा कि बीएआरसी ने ‘हंसा’ नामक एजेंसी को इन इकाइयों पर नजर रखने का ठेका दिया था.

पुलिस आयुक्त ने कहा कि दोनों चैनल के मालिकों को गिरफ्तार कर अदालत में पेश किया गया और वे मुंबई पुलिस की हिरासत में हैं.

उन्होंने कहा कि दोनों आरोपियों को भारतीय दंड संहिता की धारा 409 और 420 के तहत गिरफ्तार किया गया है.

सिंह ने कहा, 'हमें शक है कि यदि यह मुंबई में हो सकता है तो देश के अन्य भागों में भी हो सकता है.'

बीएआरसी, टीवी के दर्शकों की संख्या बताने के लिए सटीक, विश्वसनीय और समयबद्ध प्रणाली के गठन और निगरानी का काम करता है और भारतीय दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण के दिशा निर्देशों से बंधा होता है.

सिंह ने कहा कि हंसा ने टीआरपी गिरोह के विरुद्ध एक शिकायत दर्ज की जिसके बाद मामला दर्ज किया गया.

यह भी पढ़ें- क्या होती है टीआरपी, सरल भाषा में यहां समझें

उन्होंने कहा, 'जांच के दौरान पाया गया कि एजेंसी के कुछ पूर्व कर्मचारी कुछ टेलीविजन कंपनियों को आकंड़े उपलब्ध कराने के खेल में शामिल थे.'

उन्होंने कहा कि जिन लोगों के घरों पर इकाइयां लगीं थीं उनमें से बहुत से लोगों ने यह स्वीकार किया है कि उन्हें अपने टीवी ऑन रखने के लिए पैसे दिए गए थे.

राष्ट्रीय टीवी चैनल के प्रधान संपादक की ओर से आए वक्तव्य मे आरोप लगाया गया है कि मुंबई पुलिस ने उनके विरुद्ध गलत दावे किए हैं क्योंकि उनके चैनल ने सुशांत सिंह राजपूत के मामले की जांच में पुलिस पर सवाल खड़े किए थे.

चैनल ने कहा है कि वह मुंबई पुलिस आयुक्त परम बीर सिंह के विरुद्ध आपराधिक मानहानि का मुकदमा करेगा.

चैनल ने कहा कि सिंह को माफी मांगनी चाहिए और अदालत में मुकदमे का सामना करने के लिए तैयार रहना चाहिए.

Last Updated : Oct 9, 2020, 6:54 AM IST
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