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25 साल बाद माया-मुलायम एक मंच पर, माया बोलीं- 'मुलायम पिछड़ों के असली नेता, मोदी नकली'

1995 में लखनऊ के गेस्ट हाउस कांड के बाद से मायावती और मुलायम सिंह ने कभी एक साथ मंच साझा नहीं किया. आज पहला मौका है जब दोनों नेता एक साथ आए हैं और मायावती सपा संरक्षक मुलायम सिंह के लिए प्रचार कर रही हैं.

अखिलेश यादव, मायावती और मुलायम सिंह.
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Published : Apr 19, 2019, 12:48 PM IST

Updated : Apr 19, 2019, 2:07 PM IST

नई दिल्ली/लखनऊ: सालों बाद समाजवादी पार्टी के संरक्षक मुलायम सिंह यादव और बहुजन समाज पार्टी सुप्रीमो मायावती एक साथ मंच साझा किया. किसी ने भी इसकी उम्मीद नहीं की थी. सपा और बसपा के बीच संबंध 1994-95 से ही खराब हो गए थे. मायवती ने मुलायम के लिए वोट मांगते हुए कहा कि मुलायम सिंह यादव पिछड़ों के असली नेता हैं और पीएम नरेंद्र मोदी नकली नेता हैं.

दरअसल, उत्तरप्रदेश की राजनीतिक मजबूरी ने सपा और बसपा को एक साथ लाकर खड़ा कर दिया है. दोनों ही पार्टियों को एहसास है कि साथ मिलकर लड़ाई नहीं लड़ी, तो दोनों को घाटा हो सकता है. इसका फायदा सीधे तौर पर भारतीय जनता पार्टी को मिलेगा. 2014 के लोकसभा चुनाव में बसपा को एक भी सीट नहीं मिली थी. बदली हुई परिस्थिति में दोनों पार्टियां एक साथ चुनाव लड़ रही हैं.

मुलायम सिंह का संबोधन :

मुलायम सिंह ने अपने संबोधन में कहा कि आज मायावती जी आई हैं, उनका हम स्वगात करते हैं, आदर करते हैं. मायावती जी का बहुत सम्मान करना हमेशा, क्यूंकि के समय जब भी आया है, मायावती जी ने हमारा साथ दिया है। हमें खुशी है कि हमारे समर्थन के लिये वो अई हैं.

मायावती के संबोधन के प्रमुख अंश :

  • मोदी जी की तरह ये नकली या फर्जी पिछड़े वर्ग के नहीं हैं. मुलायम सिंह जी जन्म से असली पिछड़े वर्गे के हैं.
  • इस चुनाव में असली नकली की पहचान करना जरूरी है, मोदी जैसे नकली लोगों से धोखा खाने की जरूरत नहीं है.
  • आज इस भीड़ के जोश को देखकर ऐसा लग रहा है कि आप इस बार मुलायम सिंह जी को ऐतिहासिक वोटों से जीत जरूर दिलाएंगे.
  • मोदी पिछड़े वर्ग के लोगों का हक मार रहे हैं और चुनावों में भाजपा की कोई भी नाटकबाजी, जुमलेबाजी काम नहीं आने वाली है.
  • भाजपा की चौकीदारी की नई नाटकबाजी भी इनके काम नहीं आने वाली है. चाहे इनके सभी चौकीदार मिलकर कितना भी जोर क्यों ना लगा लें.
  • मुलायम जी ने फैसला किया है कि आखिरी सांस तक मैनपुरी की सेवा करेंगे.
  • बीजेपी ने किसानों, बेरोजगारों, दलितों, आदिवासियों और मुस्लिमों को अच्छे दिन का वादा किया था लेकिन ज़मीन पर उनका एक चौथाई काम भी नहीं हुआ है.
  • मोदी ने कहा था कि सत्ता में आने के बाद 100 दिन के अंदर कालाधन लाएंगे और हर गरीब को 15 लाख देंगे. सपने तो बहुत दिखाए पर किसी को कुछ नहीं मिला.
  • मोदीजी कुछ भी कहते हैं. उन्होंने गठबंधन को शराब की संज्ञा दी मगर आज भीड़ में बिना शराब के ही इतना नशा है कि वो भाजपा को जड़ से उखाड़ देना चाहती है.
  • मोदीजी ने सत्ता का दुरूपयोग करके अपनी अगड़ी जाती को पिछड़ा कर लिया था और अभी भी वे इनका हक मारने का काम कर रहे हैं.
  • बीजेपी और कांग्रेस आपका वोट लेने के लिए नए-नए वादे करेंगी आपको बहकावे में नहीं आना है.
  • आजादी के बाद कांग्रेस ने सत्ता पर राज किया पर अपने वादों को पूरा नहीं किया.
  • कांग्रेस गरीबों का वोट लेने के लिए कांग्रेस 'कुछ आर्थिक मदद' का वादा कर रही है पर बहकावे में न आएं.
  • सपा-बसपा सरकार आई तो बेरोजगारों को स्थाई नौकरी का वादा करेंगे.
  • मुलायम सिंह जी के मूवमेंट को अखिलेश जी पूरी निष्ठा से आगे बढ़ा रहे हैं.

सपा प्रवक्ता राजेन्द्र चौधरी ने बताया कि सपा-बसपा-रालोद गठबंधन की संयुक्त रैलियों में यह चौथी रैली है. उन्होंने बताया कि रैली को सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव, अखिलेश यादव और मायावती भी संबोधित करेंगी.

रैली में बसपा के राष्ट्रीय महासचिव सतीशचंद्र मिश्रा, सपा के राष्ट्रीय महासचिव प्रो. रामगोपाल यादव के अलावा पार्टी के अन्य वरिष्ठ नेता भी भाग लेंगे.

गौरतलब है कि मुलायम सिंह यादव मैनपुरी से चुनाव मैदान में हैं. 1995 गेस्ट हाउस कांड के बाद यह पहला मौका होगा जब वह मायावती के साथ नजर आएंगे.

गेस्ट हाउस कांड क्या था
1992 में मुलायम सिंह यादव ने समाजवादी पार्टी की स्थापना की थी.

1993 में सपा ने बसपा के साथ गठबंधन का ऐलान किया.

सपा को 109 और बसपा को 67 सीटें मिलीं.

मुलायम सिंह यादव सीएम बने थे. बसपा सरकार की हिस्सेदार नहीं बनी.

एक साल बाद बसपा और भाजपा के बीच बातचीत होने की खबर आई.

मायावती ने गेस्ट हाउस में अपने विधायकों की बैठक बुलाई. सपा को जैसे ही इसकी जानकारी लगी, पार्टी में बेचैनी हो गई.

गेस्ट हाउस के बाहर बड़ी संख्या में सपा के कार्यकर्ता मौजूद हो गए. वहां मारपीट शुरू कर दी. गेस्ट हाउस के जिस कमरे में बैठक चल रही थी, वहां तक पहुंच गए. गेस्ट हाउस की बिजली काट दी गई. पानी बंद कर दिया गया.
मायावती एक कमरे में बंद हो गईं. बाहर से कई लोग दरवाजा पीटने लगे. बाहर कई लोग लहूलुहान थे.

कहा ये जाता है कि पुलिस वहां पर तुरंत नहीं आई.

अगले ही दिन भाजपा और बसपा ने गठबंधन का ऐलान कर दिया.

नई दिल्ली/लखनऊ: सालों बाद समाजवादी पार्टी के संरक्षक मुलायम सिंह यादव और बहुजन समाज पार्टी सुप्रीमो मायावती एक साथ मंच साझा किया. किसी ने भी इसकी उम्मीद नहीं की थी. सपा और बसपा के बीच संबंध 1994-95 से ही खराब हो गए थे. मायवती ने मुलायम के लिए वोट मांगते हुए कहा कि मुलायम सिंह यादव पिछड़ों के असली नेता हैं और पीएम नरेंद्र मोदी नकली नेता हैं.

दरअसल, उत्तरप्रदेश की राजनीतिक मजबूरी ने सपा और बसपा को एक साथ लाकर खड़ा कर दिया है. दोनों ही पार्टियों को एहसास है कि साथ मिलकर लड़ाई नहीं लड़ी, तो दोनों को घाटा हो सकता है. इसका फायदा सीधे तौर पर भारतीय जनता पार्टी को मिलेगा. 2014 के लोकसभा चुनाव में बसपा को एक भी सीट नहीं मिली थी. बदली हुई परिस्थिति में दोनों पार्टियां एक साथ चुनाव लड़ रही हैं.

मुलायम सिंह का संबोधन :

मुलायम सिंह ने अपने संबोधन में कहा कि आज मायावती जी आई हैं, उनका हम स्वगात करते हैं, आदर करते हैं. मायावती जी का बहुत सम्मान करना हमेशा, क्यूंकि के समय जब भी आया है, मायावती जी ने हमारा साथ दिया है। हमें खुशी है कि हमारे समर्थन के लिये वो अई हैं.

मायावती के संबोधन के प्रमुख अंश :

  • मोदी जी की तरह ये नकली या फर्जी पिछड़े वर्ग के नहीं हैं. मुलायम सिंह जी जन्म से असली पिछड़े वर्गे के हैं.
  • इस चुनाव में असली नकली की पहचान करना जरूरी है, मोदी जैसे नकली लोगों से धोखा खाने की जरूरत नहीं है.
  • आज इस भीड़ के जोश को देखकर ऐसा लग रहा है कि आप इस बार मुलायम सिंह जी को ऐतिहासिक वोटों से जीत जरूर दिलाएंगे.
  • मोदी पिछड़े वर्ग के लोगों का हक मार रहे हैं और चुनावों में भाजपा की कोई भी नाटकबाजी, जुमलेबाजी काम नहीं आने वाली है.
  • भाजपा की चौकीदारी की नई नाटकबाजी भी इनके काम नहीं आने वाली है. चाहे इनके सभी चौकीदार मिलकर कितना भी जोर क्यों ना लगा लें.
  • मुलायम जी ने फैसला किया है कि आखिरी सांस तक मैनपुरी की सेवा करेंगे.
  • बीजेपी ने किसानों, बेरोजगारों, दलितों, आदिवासियों और मुस्लिमों को अच्छे दिन का वादा किया था लेकिन ज़मीन पर उनका एक चौथाई काम भी नहीं हुआ है.
  • मोदी ने कहा था कि सत्ता में आने के बाद 100 दिन के अंदर कालाधन लाएंगे और हर गरीब को 15 लाख देंगे. सपने तो बहुत दिखाए पर किसी को कुछ नहीं मिला.
  • मोदीजी कुछ भी कहते हैं. उन्होंने गठबंधन को शराब की संज्ञा दी मगर आज भीड़ में बिना शराब के ही इतना नशा है कि वो भाजपा को जड़ से उखाड़ देना चाहती है.
  • मोदीजी ने सत्ता का दुरूपयोग करके अपनी अगड़ी जाती को पिछड़ा कर लिया था और अभी भी वे इनका हक मारने का काम कर रहे हैं.
  • बीजेपी और कांग्रेस आपका वोट लेने के लिए नए-नए वादे करेंगी आपको बहकावे में नहीं आना है.
  • आजादी के बाद कांग्रेस ने सत्ता पर राज किया पर अपने वादों को पूरा नहीं किया.
  • कांग्रेस गरीबों का वोट लेने के लिए कांग्रेस 'कुछ आर्थिक मदद' का वादा कर रही है पर बहकावे में न आएं.
  • सपा-बसपा सरकार आई तो बेरोजगारों को स्थाई नौकरी का वादा करेंगे.
  • मुलायम सिंह जी के मूवमेंट को अखिलेश जी पूरी निष्ठा से आगे बढ़ा रहे हैं.

सपा प्रवक्ता राजेन्द्र चौधरी ने बताया कि सपा-बसपा-रालोद गठबंधन की संयुक्त रैलियों में यह चौथी रैली है. उन्होंने बताया कि रैली को सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव, अखिलेश यादव और मायावती भी संबोधित करेंगी.

रैली में बसपा के राष्ट्रीय महासचिव सतीशचंद्र मिश्रा, सपा के राष्ट्रीय महासचिव प्रो. रामगोपाल यादव के अलावा पार्टी के अन्य वरिष्ठ नेता भी भाग लेंगे.

गौरतलब है कि मुलायम सिंह यादव मैनपुरी से चुनाव मैदान में हैं. 1995 गेस्ट हाउस कांड के बाद यह पहला मौका होगा जब वह मायावती के साथ नजर आएंगे.

गेस्ट हाउस कांड क्या था
1992 में मुलायम सिंह यादव ने समाजवादी पार्टी की स्थापना की थी.

1993 में सपा ने बसपा के साथ गठबंधन का ऐलान किया.

सपा को 109 और बसपा को 67 सीटें मिलीं.

मुलायम सिंह यादव सीएम बने थे. बसपा सरकार की हिस्सेदार नहीं बनी.

एक साल बाद बसपा और भाजपा के बीच बातचीत होने की खबर आई.

मायावती ने गेस्ट हाउस में अपने विधायकों की बैठक बुलाई. सपा को जैसे ही इसकी जानकारी लगी, पार्टी में बेचैनी हो गई.

गेस्ट हाउस के बाहर बड़ी संख्या में सपा के कार्यकर्ता मौजूद हो गए. वहां मारपीट शुरू कर दी. गेस्ट हाउस के जिस कमरे में बैठक चल रही थी, वहां तक पहुंच गए. गेस्ट हाउस की बिजली काट दी गई. पानी बंद कर दिया गया.
मायावती एक कमरे में बंद हो गईं. बाहर से कई लोग दरवाजा पीटने लगे. बाहर कई लोग लहूलुहान थे.

कहा ये जाता है कि पुलिस वहां पर तुरंत नहीं आई.

अगले ही दिन भाजपा और बसपा ने गठबंधन का ऐलान कर दिया.

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Last Updated : Apr 19, 2019, 2:07 PM IST
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