मथुराः गोवर्धन में लगने वाला मुड़िया मेला का उत्साह एक बार फिर अपने उत्साह पर है. पांच दिन चलने वाले इस मेले में पूर्णिमा के दिन भक्तों का भारी जन सैलाब उमड़ पड़ता है. भक्ति और आस्था के इस मेले का इतिहास भी करीब 500 साल पुराना है.
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श्री राधा श्यामसुंदर मंदिर के महंत श्री रामकृष्ण दास ने बताया कि तीर्थ नगरी गोवर्धन धाम में लगभग 500 वर्ष पुरानी परंपरा का निर्वाह करते हुए , गौड़ीय संप्रदाय के मुड़िया संतों ने अपने अपने सर मुंडन कराकर अपने गुरु को श्रद्धा पुष्पांजलि अर्पित किया.
क्या है मान्यता -
- मान्यता है कि लगभग 477 वर्ष पूर्व कान्हा के भक्ति में लीन होकर गोस्वामी महाराज गोलोक वास को चले गए थे.
- जिनकी याद में अनुयाई और ब्रजवासियों ने अपने सर मुंडन कराकर पतित पावनी मानसी गंगा की परिक्रमा की थी.
- तब से इस व्यास पूर्णिमा का नाम मुड़िया पूर्णिमा और गुरु पूर्णिमा पड़ा.
- मुड़िया संतों ने श्री राधा श्यामसुंदर मंदिर के महंत श्री रामकृष्ण दास के सानिध्य में मुंडन संस्कार करा अपने आप को धन्य माना.