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मोदी सरकार में फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य में हुई 2.4 गुना बढ़ोतरी

मोदी सरकार में फसलों की न्यूनतम समर्थन मूल्य में बढ़ोतरी हुई है. 2006 के राष्ट्रीय किसान आयोग की सिफारिश के बाद, सरकार ने 2018 में, उत्पादन लागत का 1.5 गुना एमएसपी बढ़ाया गया. इसके अलावा किसानों को पिछले पांच सालों में एमएसपी भुगतान 4.95 लाख करोड़ किया गया है, जो कि यूपीए के शासन काल में 2.06 लाख करोड़ था. विस्तार से पढ़ें पूरी खबर...

न्यूनतम समर्थन मूल्य में हुई बढोतरी
न्यूनतम समर्थन मूल्य में हुई बढोतरी
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Published : Sep 18, 2020, 5:33 PM IST

नई दिल्ली : मोदी सरकार में न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के दायरे में काफी सुधार हुआ है और यह बढ़ा भी है. 2006 के राष्ट्रीय किसान आयोग की सिफारिश के बाद, सरकार ने 2018 में, उत्पादन लागत का 1.5 गुना एमएसपी बढ़ाया. बढ़ी हुई एमएसपी और बढ़ी हुई सरकारी खरीद के परिणामस्वरूप प्रमुख फसलों (2009-14 और पिछले पांच वर्षों) की तुलना में किसानों को एमएसपी भुगतान काफी बढ़ा है.

यूपीए के सत्ता में रहने के दौरान 2009-10 से 2013-14 की अवधि की तुलना में धान के लिए किसानों को एमएसपी का भुगतान पिछले पांच वर्षों के दौरान 2.4 गुना बढ़ाया गया है.

किसानों को पिछले पांच सालों में एमएसपी भुगतान 4.95 लाख करोड़ किया गया है, जो कि यूपीए के शासन काल में 2.06 लाख करोड़ था.

2009-10 से 2013-14 की अवधि की तुलना में पिछले पांच वर्षों के दौरान किसानों को गेहूं के लिए एमएसपी भुगतान में 1.77 गुना वृद्धि हुई है. पिछले पांच वर्षों के दौरान 2.97 लाख करोड़ रुपये का एमएसपी भुगतान किया गया जबकि यूपीए के दौरान पांच सालों में 1.68 लाख करोड़ रुपये का भुगतान हुआ था.

2009-10 से 2013-14 की अवधि की तुलना में पिछले पांच वर्षों के दौरान दलहन के लिए किसानों को एमएसपी भुगतान 75 गुना बढ़ा है. यूपीए शासन काल के 6,000 करोड़ रुपये के मुकाबले में 49,000 करोड़ रुपये का एमएसपी भुगतान किया गया है.

2009-10 और 2013-14 की अवधि की तुलना में किसानों को तिलहन और कोपरा का भुगतान पिछले पांच वर्षों में 10 गुना बढ़ा है. पिछले पांच सालों में 25,000 करोड़ रुपये का एमएसपी भुगतान किया गया जबकि यूपीए काल में 2,460 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया था.

यह भी पढ़ें- किसानों से जुड़े विधेयक पर मोदी सरकार के खिलाफ आक्रोश, जानिए पक्ष-विपक्ष

गेहूं की खरीद 382 लाख मीट्रिक टन

  • केंद्रीय पूल में खरीद के तहत, सरकारी एजेंसियों द्वारा 2020 में किसानों से गेहूं की खरीद 382 लाख मीट्रिक टन (एलएमटी) तक पहुंच गई, जो एक ऑलटाइम रिकॉर्ड है.
  • पूरे भारत में, 42 लाख किसानों को चालू रबी सीजन में गेहूं के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य 73,500 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया.
  • इस वर्ष मध्य प्रदेश 129 एलएमटी गेहूं के साथ केंद्रीय पूल में सबसे बड़ा योगदान करने वाला राज्य बन गया, जो पंजाब के 127 एलएमटी से ऊपर है. हरियाणा, उत्तर प्रदेश और राजस्थान ने भी गेहूं की राष्ट्रीय खरीद में महत्वपूर्ण योगदान दिया.
  • इस साल गेहूं, तेलहन और दलहन की खरीद देखें तो यह 1.5 गुना और 2.75 गुना बढ़ गई.
  • पहले के रुझानों के विपरीत इस वर्ष पूर्वी और उत्तर पूर्वी क्षेत्रों से खरीद में वृद्धि हुई. इस साल खरीफ सीजन में, इन क्षेत्रों से खरीद 89.5 एलएमटी हुई जिससे 18 लाख से अधिक किसानों को फायदा हुआ.
  • सूत्रों ने बताया कि अगर हम धान और गेहूं की सेंट्रल पूल की खरीद को पिछले दशक से देखें तो यह पता चलता है कि पिछले पांच साल में इसमें काफी वृद्धि हुई है.

दालों के एमएसपी में 73 प्रतिशत की वृद्धि
भारत को कुपोषण से मुक्त करने के लिए पिछले पांच वर्षों से दालों के एमएसपी में 73 प्रतिशत की वृद्धि की गई क्योंकि दैनिक आहार में दालों की खपत कुपोषण को कम करती है.

नई दिल्ली : मोदी सरकार में न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के दायरे में काफी सुधार हुआ है और यह बढ़ा भी है. 2006 के राष्ट्रीय किसान आयोग की सिफारिश के बाद, सरकार ने 2018 में, उत्पादन लागत का 1.5 गुना एमएसपी बढ़ाया. बढ़ी हुई एमएसपी और बढ़ी हुई सरकारी खरीद के परिणामस्वरूप प्रमुख फसलों (2009-14 और पिछले पांच वर्षों) की तुलना में किसानों को एमएसपी भुगतान काफी बढ़ा है.

यूपीए के सत्ता में रहने के दौरान 2009-10 से 2013-14 की अवधि की तुलना में धान के लिए किसानों को एमएसपी का भुगतान पिछले पांच वर्षों के दौरान 2.4 गुना बढ़ाया गया है.

किसानों को पिछले पांच सालों में एमएसपी भुगतान 4.95 लाख करोड़ किया गया है, जो कि यूपीए के शासन काल में 2.06 लाख करोड़ था.

2009-10 से 2013-14 की अवधि की तुलना में पिछले पांच वर्षों के दौरान किसानों को गेहूं के लिए एमएसपी भुगतान में 1.77 गुना वृद्धि हुई है. पिछले पांच वर्षों के दौरान 2.97 लाख करोड़ रुपये का एमएसपी भुगतान किया गया जबकि यूपीए के दौरान पांच सालों में 1.68 लाख करोड़ रुपये का भुगतान हुआ था.

2009-10 से 2013-14 की अवधि की तुलना में पिछले पांच वर्षों के दौरान दलहन के लिए किसानों को एमएसपी भुगतान 75 गुना बढ़ा है. यूपीए शासन काल के 6,000 करोड़ रुपये के मुकाबले में 49,000 करोड़ रुपये का एमएसपी भुगतान किया गया है.

2009-10 और 2013-14 की अवधि की तुलना में किसानों को तिलहन और कोपरा का भुगतान पिछले पांच वर्षों में 10 गुना बढ़ा है. पिछले पांच सालों में 25,000 करोड़ रुपये का एमएसपी भुगतान किया गया जबकि यूपीए काल में 2,460 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया था.

यह भी पढ़ें- किसानों से जुड़े विधेयक पर मोदी सरकार के खिलाफ आक्रोश, जानिए पक्ष-विपक्ष

गेहूं की खरीद 382 लाख मीट्रिक टन

  • केंद्रीय पूल में खरीद के तहत, सरकारी एजेंसियों द्वारा 2020 में किसानों से गेहूं की खरीद 382 लाख मीट्रिक टन (एलएमटी) तक पहुंच गई, जो एक ऑलटाइम रिकॉर्ड है.
  • पूरे भारत में, 42 लाख किसानों को चालू रबी सीजन में गेहूं के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य 73,500 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया.
  • इस वर्ष मध्य प्रदेश 129 एलएमटी गेहूं के साथ केंद्रीय पूल में सबसे बड़ा योगदान करने वाला राज्य बन गया, जो पंजाब के 127 एलएमटी से ऊपर है. हरियाणा, उत्तर प्रदेश और राजस्थान ने भी गेहूं की राष्ट्रीय खरीद में महत्वपूर्ण योगदान दिया.
  • इस साल गेहूं, तेलहन और दलहन की खरीद देखें तो यह 1.5 गुना और 2.75 गुना बढ़ गई.
  • पहले के रुझानों के विपरीत इस वर्ष पूर्वी और उत्तर पूर्वी क्षेत्रों से खरीद में वृद्धि हुई. इस साल खरीफ सीजन में, इन क्षेत्रों से खरीद 89.5 एलएमटी हुई जिससे 18 लाख से अधिक किसानों को फायदा हुआ.
  • सूत्रों ने बताया कि अगर हम धान और गेहूं की सेंट्रल पूल की खरीद को पिछले दशक से देखें तो यह पता चलता है कि पिछले पांच साल में इसमें काफी वृद्धि हुई है.

दालों के एमएसपी में 73 प्रतिशत की वृद्धि
भारत को कुपोषण से मुक्त करने के लिए पिछले पांच वर्षों से दालों के एमएसपी में 73 प्रतिशत की वृद्धि की गई क्योंकि दैनिक आहार में दालों की खपत कुपोषण को कम करती है.

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