नई दिल्ली: तीन तलाक के मामले पर सियासत गर्म है. लोकसभा में तीन तलाक बिल 303 मतों के साथ पारित हो चुका है. राज्यसभा में बिल को पास होना है. इस मामले पर कांग्रेस की वरिष्ठ नेता मोहसिना किदवई ने ईटीवी भारत से बात करते हुए कहा कि तीन तलाक को मजहबी रंग देने की कोशिश की जा रही है.
तीन तलाक के मुद्दे पर अपनी राय देते हुए मोहसिना किदवई ने कहा कि महिलाओं की जमात के साथ एक जैसा व्यवहार किया जाना चाहिए. हिंदू मजहब की महिलाओं का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि यहां भी महिलाओं के साथ कई समस्याएं थी, आज भी विधवाओं के साथ कई समस्याएं हैं. इसे महिलाओं के साथ इंसाफ के नजरिए से देखा जाना चाहिए. उन्होंने आगे कहा कि जब इसे मजहबी रंग देने की कोशिश की जाती है, समस्या तब खड़ी होती है.
आगे वे कहती हैं कि तलाक से बच्चे सबसे ज्यादा प्रभावित होते हैं. बच्चों का हित तलाक से मरता है. इस्लाम में स्त्री और पुरुष में समानता का अधिकार है, लेकिन कई बार उसका दुरुपयोग होता है. इस्लाम में महिलाओं को भी कई अधिकार दिए गए हैं. महिलाओं को ही खुला का अधिकार है, यदि पति से संबंध ना बन सके तो महिला तलाक ले सकती हैं. इस पक्ष को नहीं दिखाया जाता और इसे मजहबी रंग देने की कोशिश की जाती है. यही कारण है कि समस्या का समाधान नहीं हो पाता.
मोहसिना किदवई आगे बताती हैं कि महिलाओं की समस्या को महिला हित के नजरिए से देखा जाना चाहिए. इस्लाम में महिलाओं को कई आजादी दी गई है. जब इसे मजहबी रंग देने की कोशिश की जाती है तो महिलाओं के हित की बात नहीं होती.
मोहसिना किदवई ने कहा इस्लाम में इस बात की व्यवस्था है, जब साथ रहना संभव ना हो तभी तलाक दिया जाए. वे कहती है कि एकसाथ तीन तलाक न होकर कुछ समय के अंतराल पर हो, ताकि बीच में मिल रहे समय में बड़े-बुजुर्गों से रायशुमारी हो सके.
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मोहसिना कहती हैं कि बदलते दौर में बहुत कुछ बदला है. हिंदुओं में सती प्रथा जैसे कई सामाजिक अपराध खत्म हुए हैं. ऐसे में बहुत कुछ मिल विचार कर सोचने की जरूरत है और कोशिश यह की जानी चाहिए कि मजहबी मामलों का यदि मजहबी तरीके से ही समाधान हो सके तो ज्यादा बेहतर होगा. इससे किसी को भी यह नहीं लगेगा कि उसके मजहब में दखलअंदाजी हो रही है.
तीन तलाक का मुद्दा देश में छाया हुआ है. इस बिल का सदन में विपक्ष ने जमकर विरोध किया. बिल के पक्ष में 303 मत थे, जबकि 82 मत विपक्ष में. इससे पहले भी इस बिल को पास करने का सरकार प्रयास कर चुकी है, लेकिन पिछली बार भी राज्यसभा में यह बिल पास होने में असफल रहा.