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कोई हिंदू भारत विरोधी नहीं हो सकता, उसे देशभक्त होना ही पड़ेगा : मोहन भागवत

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत ने शुक्रवार को महात्मा गांधी पर लिखी पुस्तक 'मेकिंग ऑफ ए हिंदू पैट्रियट' का विमोचन करते हुए कहा कि कोई हिंदू है तो उसे देशभक्त होना ही पड़ेगा यह उसके मूल में है.मोहन भागवत ने कहा कि देश भक्ति की प्रवृत्ति हर व्यक्ति में होती है.भारत में व्यक्ति, इस भूमि को अपना मानता है.

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Published : Jan 2, 2021, 9:41 AM IST

मोहन भागवत
मोहन भागवत

नई दिल्ली : राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत ने शुक्रवार को महात्मा गांधी पर लिखी पुस्तक 'मेकिंग ऑफ ए हिंदू पैट्रियट' का विमोचन करते हुए कहा कि कोई हिंदू है तो उसे देशभक्त होना ही पड़ेगा यह उसके मूल में है. संघ प्रमुख ने कहा कि कोई हिंदू, भारत द्रोही या भारत विरोधी नहीं हो सकता. वर्ष 2021 के पहले दिन यहां राजघाट पर आयोजित एक समारोह में जेके बजाज और एमडी श्रीनिवास द्वारा लिखित पुस्तक को महात्मा गांधी पर बेहद प्रमाणिक शोध बताते हुए मोहन भागवत ने कहा कि इसके लोकार्पण को लेकर बहुत अटकलें लग सकतीं हैं. लेकिन उसकी आवश्यकता नहीं है.

पढ़ें : वायरल हुआ फर्जी 'नया भारतीय संविधान', RSS कार्यकर्ताओं ने पुलिस को दी शिकायत

मोहन भागवत ने कहा कि देश भक्ति की प्रवृत्ति हर व्यक्ति में होती है.भारत में व्यक्ति, इस भूमि को अपना मानता है. जमीन की पूजा, माटी की पूजा सब लोग किसी न किसी रूप में करते हैं. परंतु गांधी जी ने कहा मेरी देशभक्ति मेरे धर्म से निकलती है. मोहन भागवत ने कहा, हिंदू है तो देशभक्त होना ही पड़ेगा उसको सोई हुई देशभक्ति को जगाना पड़ता है. कोई हिंदू भारत विरोधी नहीं है.

सरसंघचालक ने कहा कि महात्मा गांधी कहते थे कि स्वराज की मांग करने वाले बहुत लोग है. स्वराज क्या है जब तक आप स्वधर्म को नहीं समझते तब तक आप स्वधर्म नहीं समझते. भागवत ने सभी के विचारों के सम्मान पर जोर देते हुए कहा असमहित का मतलब अलगाववाद नहीं है. हमें मिलजुलकर रहना है. हम एक धरती, माता के पुत्र बनकर रह सकते हैं.

नई दिल्ली : राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत ने शुक्रवार को महात्मा गांधी पर लिखी पुस्तक 'मेकिंग ऑफ ए हिंदू पैट्रियट' का विमोचन करते हुए कहा कि कोई हिंदू है तो उसे देशभक्त होना ही पड़ेगा यह उसके मूल में है. संघ प्रमुख ने कहा कि कोई हिंदू, भारत द्रोही या भारत विरोधी नहीं हो सकता. वर्ष 2021 के पहले दिन यहां राजघाट पर आयोजित एक समारोह में जेके बजाज और एमडी श्रीनिवास द्वारा लिखित पुस्तक को महात्मा गांधी पर बेहद प्रमाणिक शोध बताते हुए मोहन भागवत ने कहा कि इसके लोकार्पण को लेकर बहुत अटकलें लग सकतीं हैं. लेकिन उसकी आवश्यकता नहीं है.

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मोहन भागवत ने कहा कि देश भक्ति की प्रवृत्ति हर व्यक्ति में होती है.भारत में व्यक्ति, इस भूमि को अपना मानता है. जमीन की पूजा, माटी की पूजा सब लोग किसी न किसी रूप में करते हैं. परंतु गांधी जी ने कहा मेरी देशभक्ति मेरे धर्म से निकलती है. मोहन भागवत ने कहा, हिंदू है तो देशभक्त होना ही पड़ेगा उसको सोई हुई देशभक्ति को जगाना पड़ता है. कोई हिंदू भारत विरोधी नहीं है.

सरसंघचालक ने कहा कि महात्मा गांधी कहते थे कि स्वराज की मांग करने वाले बहुत लोग है. स्वराज क्या है जब तक आप स्वधर्म को नहीं समझते तब तक आप स्वधर्म नहीं समझते. भागवत ने सभी के विचारों के सम्मान पर जोर देते हुए कहा असमहित का मतलब अलगाववाद नहीं है. हमें मिलजुलकर रहना है. हम एक धरती, माता के पुत्र बनकर रह सकते हैं.

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