नई दिल्ली : कहते हैं कि यदि कोई भूखे को दो रोटी खिला दे, तो वह भगवान का ही रूप होता है. कोरोना की इस भयावह आपदा में बार-बार प्रधानमंत्री लोगों से सरकार द्वारा गरीबों के लिए बनाई नीतियों के बारे में बात करते हैं. इससे प्रेरित होकर मोदी रोटी बैंक हेल्पलाइन ने लोगों को भूखा न रहने देने का बीड़ा उठाया है.
उत्तर प्रदेश के कौशांबी क्षेत्र के सांसद विनोद सोनकर, जो अनुसूचित जाति और जनजाति मोर्चा के अध्यक्ष भी हैं, ने मोदी रोटी बैंक हेल्पलाइन सेवा की शुरुआत की है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने सभी सांसदों, विधायकों और चुने हुए प्रतिनिधियों से यह आग्रह किया है कि वह अपने-अपने क्षेत्र में किसी को भी भूखा न सोने दें.
इसके साथ ही पीएम की अपील है कि कोई भी जरूरतमंद या असहाय और जो घर में अकेले फंसे हों, उन्हें जरूरी चींजें पहुंचाने की व्यवस्था करें.
बता दें, अपनी-अपनी तरफ से सभी सांसद इसमें योगदान कर रहे हैं. किसी ने अपने एमपीलैड्स फंड का योगदान किया, तो कोई कार्यकर्ताओं के माध्यम से लोगों तक राशन पहुंचा रहा है.
मगर इन सब चीजों के बीच रोटी पहुंचाने की जिम्मेदारी और दो जून के निवाले पहुंचाने की जिम्मेदारी ली है कौशांबी के सांसद विनोद सोनकर ने.
ईटीवी भारत से खास बातचीत में उन्होंने बताया कि अभी मोदी रोटी बैंक हेल्पलाइन की स्थापना किए हुए मात्र चार दिन ही हुए हैं, जिसमें प्रतिदिन दो से ढाई हजार लोगों को फोन आ रहे हैं और वह अपने 50 कार्यकर्ताओं के माध्यम से इन दो से ढाई हजार लोगों को प्रतिदिन खाना पहुंचा रहे हैं.
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उन्होंने बताया कि अभी तक चार दिनों में 15 से 20000 लोगों को खाना पहुंचाया गया है. इनमें से कुछ ऐसे बुजुर्ग दंपति भी थे, जिन्होंने दो दिनों से कुछ खाया तक नहीं था.
उन्होंने बताया कि इस हेल्पलाइन नंबर की वह लाउडस्पीकर से भी उद्घोषणा करवा रहे हैं. ताकि, कोई गरीब या मजदूर और जो शिक्षित भी न हो, उन्हें यह घोषणा सुनाई दे. वह भूखे हैं और अगर इस नंबर पर कॉल करते हैं तो कार्यकर्ता उनसे तुरंत संपर्क साधते हैं.
उन्होंने कहा कि मोदी रोटी हेल्पलाइन की शुरूआत करने का विचार नरेंद्र मोदी के भाषणों से ही उन्हें आया. उन्होंने कहा कि अभी तक वह अनुसूचित जाति जनजाति बोर्ड के अध्यक्ष भी हैं और उनका कार्य अनुसूचित जाति जनजाति के लोगों की समस्याएं सुलझाना रहा है मगर रोटी पहुंचाने की जिम्मेदारी मात्र अनुसूचित जाति जनजाति के लिए ही नहीं बल्कि किसी भी जरूरतमंद को एक फोन कॉल पर उनतक रोटी पहुंचाई जाती है.
उन्होंने आगे कहा कि कॉल उठाने के लिए वह खुद कईं घंटों तक बैठे रहते हैं और जरूरतमंदों का फोन खुद ही रिसीव करते हैं, ताकि कार्यकर्ताओं को अलग-अलग जगह खाना पहुंचाया जा सके.
इसके साथ ही उन्होंने बाकी भाजपा और दूसरी पार्टी के सांसदों से भी अपील की है कि वह अपने-अपने इलाके में इस तरह की हेल्पलाइन सेवा की शुरुआत करें ताकि कोरोना के चलते हुए लॉकडाउन के दौरान कोई जरूरतमंद और पलायन करने वाला परिवार भूखा ना रह जाए.