नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी के लोगों से संवाद किया. कोरोना वायरस संक्रमण के बढ़ते खतरे के कारण प्रधानमंत्री ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये बातचीत की. इस दौरान पीएम ने कोरोना को लेकर अफवाह फैलाने, अपनी मर्जी से दवाई न लेने और स्वास्थ्य सेवा में लगे डॉक्टर-नर्स का सम्मान करने की अपील की. पीएम ने कहा कि महाभारत का युद्ध 18 दिन में जीता गया था, आज कोरोना के खिलाफ जो युद्ध पूरा देश लड़ रहा है, उसमें 21 दिन लगने वाले हैं. प्रयास करें कि इसे 21 दिन में जीत लिया जाए.
उन्होंने कहा कि संकट की इस घड़ी में अस्पतालों में सफेद कपड़ों में दिख रहे लोग ईश्वर का रूप हैं, उनका सम्मान करें. साथ ही उन्होंने कहा कि इन 21 दिनों में नौ गरीब परिवारों की मदद करें.
बीएचयू के प्रोफेसर डॉ गोपाल नाथ ने खुद से दवाई लेने के नुकसान को लेकर सवाल किया.
- आपने खबरों में भी देखा होगा कि, दुनिया के कुछ देशों में अपनी मर्ज़ी से दवाएं लेने के कारण कैसे जीवन संकट में पड़ रहे हैं. हम सभी को हर तरह के अंधविश्वास से, अफवाह से बचना है.
- हमें ये ध्यान रखना है कि अभी तक कोरोना के खिलाफ कोई भी दवाई, कोई भी वेक्सीन पूरी दुनिया में नहीं बनी है. इस पर हमारे देश में भी और दूसरे देशों में भी काम तेज़ी से चल रहा है.
- प्रोफेसर साहब आपकी चिंता जायज है. हमारे यहां डॉक्टरों को पूछे बिना दवाएं लेने की आदत है. इससे हमें बचना है. कोरोना के संक्रमण का इलाज अपने स्तर पर बिल्कुल नहीं करना है, घर में रहना है और जो करना है डॉक्टरों की सलाह से ही करना है.
कपड़ा व्यापारी अखिलेश खेमका ने अनौपचारिक क्षेत्र के कर्मचारियों और समाज के गरीब वर्गों के सामने आजीविका संबंधी चिंताओं पर सवाल किया.
- निराशा फैलाने के लिए हजारों कारण हो सकते हैं, लेकिन जीवन तो आशा और विश्वास से ही चलता है. नागरिक के नाते कानून और प्रशासन को जितना ज्यादा सहयोग करेंगे, उतने ही बेहतर नतीजे निकलेंगे.
- इस समय केंद्र सरकार हो या राज्य सरकारें, जितना ज्यदा हो सके, जितना अच्छा हो सके, इसके लिए भरसक प्रयास कर रही हैं.
- अभी नवरात्र शुरू हुआ है. अगर हम अगले 21 दिन तक, नौ गरीब परिवारों की मदद करने का प्रण लें, तो इससे बड़ी आराधना मां की क्या होगी. इसके अलावा आपके आसपास जो पशु हैं, उनकी भी चिंता करनी है.
- हमारे समाज में, हमारी परंपरा में तो दूसरों की मदद की एक समृद्ध परिपाटी रही है. साईं इतना दीजिए, जामें कुटुंब समाए. मैं भी भूखा ना रहूं, साधू ना भूखा जाए !!
- कोरोना वायरस न हमारी संस्कृति को मिटा सकता है और न ही हमारे संस्कार मिटा सकता है और इसलिए, संकट के समय, हमारी संवेदनाएं और जागृत हो जाती हैं. कोरोना को जवाब देने का एक तरीका करुणा भी है. यानि कोरोना को करुणा से जवाब.
सामाजिक कार्यकर्ता मोहिनी झंवर ने डॉक्टर्स-नर्स की सुरक्षा के मुद्दे पर सवाल किया.
- बीते कुछ वर्षों में एक परंपरा शुरू हुई है कि एयरपोर्ट पर जब लोग फौज के जवानों को देखते हैं तो उनके सम्मान में खड़े हो जाते हैं, कुछ लोग तालियां भी बजाते हैं. ये आभार प्रकट करने का तरीका हमारे संस्कारों में दिनों बढ़ना ही चाहिए.
- संकट की इस घड़ी में, अस्पतालों में इस समय सफेद कपड़ों में दिख रहा हर व्यक्ति, ईश्वर का ही रूप है. आज यही हमें मृत्यु से बचा रहे हैं. अपने जीवन को खतरों में डालकर ये लोग हमारा जीवन बचा रहे हैं.
- कुछ स्थानों से ऐसी घटनाओं की जानकारी भी मिली है, जिससे हृदय को चोट पहुंची है. मेरी सभी नागरिकों से अपील है कि अगर ऐसी कोई गतिविधि कहीं दिख रही है. कहीं आपको डॉक्टर, नर्स या मेडिकल स्टाफ के साथ कोई बुरा बर्ताव होता दिख रहा हो तो आप वहां जाकर लोगों को समझाएं.
- समाज के मन में इन सब के लिए आदर सम्मान का भाव होता ही है. डॉक्टर जिंदगी बचाते हैं और हम उनका ऋण कभी नहीं उतार सकते, जिन लोगों ने वुहान में रेस्क्यू ऑपेरेशन किया, मैंने उनको पत्र लिखा था, मेरे लिए वो पल बहुत भावुक थे.
प्रोफेसर कृष्णकांत वाजपेयी ने कोरोना महामारी का मुकाबला करने के लिए सामाजिक जागरूकता फैलाने के बारे में सवाल किया.
- वैसे मैं आपको ये भी जानकारी देना चाहता हूं कि कोरोना से जुड़ी सही और सटीक जानकारी के लिए सरकार ने वॉट्सएप के साथ मिलकर एक हेल्पडेस्क भी बनाई है. इस नंबर 9013151515 पर नमस्ते कर जुड़ें और वॉट्सएप कर इस सेवा का लाभ ले सकते हैं.
- ध्यान रखिए कि कोरोना से संक्रमित दुनिया में एक लाख से अधिक लोग ठीक भी हो चुके हैं और भारत में भी दर्जनों लोग कोरोना के शिकंजे से बाहर निकले हैं. कल तो एक खबर में देख रहा था कि इटली में 90 वर्ष से ज्यादा आयु की माताजी भी स्वस्थ हुई हैं.
- नागरिक के रूप में हमें अपने कर्तव्य करते रहना चाहिए, हमें सोशल डिस्टेंसिंग पर ध्यान देना चाहिए. हमें घर में रहना चाहिए और आपस में दूरी बनाए रखना चाहिए. कोरोना जैसी महामारी से दूर रहने का अभी यही एकमात्र उपाय है.
- कुछ लोग ऐसे हैं, जो अपने कानों से सुनते हैं, अपनी आंखों से देखते हैं और अपनी बुद्धि से समझते भी हैं… बस अमल नहीं करते हैं. ये एक प्रकार की दुर्योधन वृत्ति है.
- इस बीमारी में जो बातें सामने आई हैं, उसमें सबसे बड़ी सच्चाई यही है कि ये बीमारी किसी में भेदभाव नहीं करती. ये समृद्ध देश पर भी कहर बरपाती है और गरीब के घर में भी कहर बरपाती है.
बिंदुवार पढ़ें पीएम मोदी की बातें :
- महाभारत के युद्ध में भगवान श्रीकृष्ण महारथी, सारथी थें, आज 130 करोड़ महारथियों के बलबूते पर हमें कोरोना के खिलाफ इस लड़ाई को जीतना है. इसमें काशीवासियों की बहुत बड़ी भूमिका है.
- काशी का अनुभव शाश्वत, सनातन, समयातीत है और इसलिए, आज लॉकडाउन की परिस्थिति में काशी देश को सिखा सकती है- संयम, समन्वय, संवेदनशीलता काशी देश को सिखा सकती है- सहयोग, शांति, सहनशीलता काशी देश को सिखा सकती है- साधना, सेवा, समाधान.
- संकट की इस घड़ी में, काशी सबका मार्गदर्शन कर सकती है, सबके लिए उदाहरण प्रस्तुत कर सकती है.
- महाभारत का युद्ध 18 दिन में जीता गया था, आज कोरोना के खिलाफ जो युद्ध पूरा देश लड़ रहा है, उसमें 21 दिन लगने वाले हैं. हमारा प्रयास है इसे 21 दिन में जीत लिया जाए.
- आपका सांसद होने के नाते मुझे, ऐसे समय में आपके बीच होना चाहिए था, लेकिन आप यहां दिल्ली में जो गतिविधियां हो रही हैं, उससे भी परिचित हैं. यहां की व्यस्तता के बावजूद मैं वाराणसी के बारे में निरंतर अपने साथियों से अपडेट ले रहा हूं.
- आप जानते हैं, नवरात्रि के पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा की जाती है. मां शैलपुत्री स्नेह, करुणा और ममता का स्वरूप हैं. उन्हें प्रकृति की देवी भी कहा जाता है. आज देश जिस संकट के दौर से गुजर रहा है, उसमें हम सभी को मां शैलसुते के आशीर्वाद की बहुत आवश्यकता है.
इससे पहले भी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी के लोगों से संवाद के संबंध में एक ट्वीट किया था.प्रधानमंत्री ने अपने ट्वीट में कहा था, 'कोरोना वायरस को लेकर उपजे हालात पर मैं अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी के लोगों से संवाद करूंगा.' उन्होंने कहा कि 25 मार्च को शाम 5 बजे वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से होने वाली इस बातचीत से आप जुड़ सकते हैं.