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जनसंख्या विस्फोट के कारण भारत दुनिया के सबसे गरीब देशों में शामिल : शांता कुमार

भारत में कोरोना महामारी के कारण लॉकडाउन का चौथा चरण चल रहा है. पूरा देश लगभग दो महीने से बंद पड़ा है. देश की आर्थिक स्थिति कमजोर हो चुकी है. इस बीच अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए केंद्र सरकार ने पैकेज की भी घोषणा की है. वहीं हिमाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री शांता कुमार ने केंद्र सरकार के पैकेज की सराहना की है...पढ़े पूरी खबर

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शांता कुमार
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Published : May 20, 2020, 9:35 PM IST

शिमला : हिमाचल के पूर्व मुख्यमंत्री एंव अटल सरकार में केंद्रीय मंत्री रहे शांता कुमार ने कहा है कि भारत इस समय चीन के बाद दुनिया की सबसे बड़ी आबादी वाला देश है. कोरोना महामारी के बीच अब एक बार फिर सबका ध्यान बढ़ती जनसंख्या की ओर गया है. कोरोना महामारी के दौरान विशाल जनसंख्या वाला देश भारत के सामने गंभीर आर्थिक संकट खड़ा हो गया है.उन्होंने भारत की तेजी से बढ़ती जनसंख्या चिंता को विषय बताया है. ईटीवी भारत से खास बातचीत के दौरान शांता कुमार ने सभी मसलों पर अपनी बेबाक राय रखी है.

शांता कुमार ने कहा कि भारत की सबसे बड़ी समस्या जनसंख्या है. हालात सामान्य होने के बाद सबसे पहला काम बढ़ती आबादी को रोकने का होना चाहिए. हमारा नारा हम दो-हमारे दो होना चाहिए. भारत की आबादी 140 करोड़ तक पहुंच चुकी है. हर साल भारत की जनसंख्या 1 करोड़ 60 लाख तक बढ़ रही है. जनसंख्या विस्फोट के कारण भारत आज दुनिया के सबसे गरीब देशों में शामिल हो गया है.

ईटीवी भारत की शांता कुमार के साथ खास बातचीत.

शांता कुमार ने कहा कि भारत की सभी सरकारों ने गरीबी दूर करने की कोशिश की है. 2014 के बाद सरकार ने कई योजनाएं चलाई हैं. सरकार ने अपने सामर्थ्य के अनुसार पूरा प्रयास किया है, लेकिन सरकार जनसंख्या विस्फोट के आगे बेबस है. इतनी रफ्तार से बढ़ रही आबादी के कारण सरकार गरीबी दूर नहीं कर सकती है.

शांता कुमार ने कहा कि पीएम मोदी का सबका साथ-सबका विकास का नारा बहुत अच्छा है, लेकिन ये काफी नहीं है. मैने उन्हें पत्र लिखकर कहा था कि ये पर्याप्त नहीं है. सबसे पहले गरीब का विकास होना चाहिए. हंगर इंडेक्स रिपोर्ट के मुताबिक आज भी भारत में 19 करोड़ ऐसे लोग हैं जो रात को भूखे पेट सोते हैं. आजादी के 72 साल बाद इतने लोग भूखे पेट सोते हैं तो ये दुर्भाग्य और शर्म की बात है.

शांता कुमार ने कहा कि देश से भूखमरी को खत्म करने के लिए उन्होंने 2014 को पीएम को पत्र लिखकर सुझाव दिया था. भूखमरी को समाप्त करने के लिए एक अंतोदय मंत्रालय बनाना चाहिए. यह मंत्रालय सिर्फ 19 करोड़ लोगों को भूखमरी की स्थिति से बाहर निकालेगा. देश के सभी साधनों को इन 19 करोड़ लोगों की ओर प्रवाहित करना पड़ेगा. साल 1977 में हिमाचल में बीजेपी की सरकार ने अंतोदय कार्यक्रम शुरू किया था. इसके तहत एक करोड़ लोगों को गरीबी रेखा से बाहर निकालने का लक्ष्य रखा था और सिर्फ एक साल के अंदर ही 30 प्रतिशत लोगों को गरीबी से बाहर निकाला था.

मोदी सरकार की ओर से जारी आर्थिक पैकेज पर शांता कुमार ने कहा कि आज की परिस्थितियों के मुताबिक इससे बढ़िया पैकेज नहीं हो सकता था. वर्तमान में जितना हो सकता था उतना करने का प्रयास किया गया है. शांता कुमार ने कहा कि राष्ट्रपति ने एक साल तक अपना 30 प्रतिशत वेतन ना लेने की घोषणा की थी. साथ ही उन्होंने राष्ट्रपति भवन के खर्चों में 20 प्रतिशत की बचत करने की बात कही थी. उन्होंने खर्चों में बचत करने की बात कहकर पूरे देश को रास्ता दिखाया है.

यह भी पढ़ें-उड्डयन मंत्री ने की घोषणा, 25 मई से देशभर में शुरू होंगी विमान सेवाएं

शांता कुमार ने कहा कि सरकारों में भयंकर फिजूलखर्ची और भ्रष्टाचार होता है. नॉन प्लान एक्सपेंडिचर में केंद्र और राज्य सरकारें 20 प्रतिशत की बचत कर सकती हैं. यह बचत कई लाख करोड़ रुपये की होती है. नॉन प्लॉन एकपेंडिचर ही 25 लाख करोड़ जिसका 20 प्रतिशत हिस्सा सरकारों को बचाना होगा

शांता कुमार ने कहा कि 1977 में जब वह हिमाचल के मुख्यमंत्री बने थे. उस दौरान उन्होंने 2 साल में ही 50 करोड़ रुपये बचाए थे. इस बचत को उन्होंने पेयजल योजनाओं में लगाया था. छोटा सा राज्य हिमाचल अगर इतनी बड़ी बचत कर सकता है तो पूरा देश क्यों नहीं.

अब कोरोना महामारी के बाद व्यक्ति और समाज को एक मंत्र याद रखना होगा. यह मंत्र है कि जिंदगी अब जरूरतों के मुताबिक चलानी पड़ेगी. आज भी हमारे देश में सरकारें फिजूलखर्ची करती हैं. नवाबी ढंग से काम करती हैं. जिस देश में 19 करोड़ लोग भूखे सोते हैं. उस देश की सरकार एक भी रुपये की फिजूलखर्ची करे तो ये देश के साथ अन्याय है.

शांता कुमार ने कहा कि पूरे देश की सरकारों को बचत का कार्यक्रम भी बनाना पड़ेगा. राष्ट्रपति की तरह पीएम मोदी भी पूरे देश की सरकारों को नॉन प्लान बजट में एक प्रतिशत की कटौती करके भी भारी बचत की जा सकती है.

शिमला : हिमाचल के पूर्व मुख्यमंत्री एंव अटल सरकार में केंद्रीय मंत्री रहे शांता कुमार ने कहा है कि भारत इस समय चीन के बाद दुनिया की सबसे बड़ी आबादी वाला देश है. कोरोना महामारी के बीच अब एक बार फिर सबका ध्यान बढ़ती जनसंख्या की ओर गया है. कोरोना महामारी के दौरान विशाल जनसंख्या वाला देश भारत के सामने गंभीर आर्थिक संकट खड़ा हो गया है.उन्होंने भारत की तेजी से बढ़ती जनसंख्या चिंता को विषय बताया है. ईटीवी भारत से खास बातचीत के दौरान शांता कुमार ने सभी मसलों पर अपनी बेबाक राय रखी है.

शांता कुमार ने कहा कि भारत की सबसे बड़ी समस्या जनसंख्या है. हालात सामान्य होने के बाद सबसे पहला काम बढ़ती आबादी को रोकने का होना चाहिए. हमारा नारा हम दो-हमारे दो होना चाहिए. भारत की आबादी 140 करोड़ तक पहुंच चुकी है. हर साल भारत की जनसंख्या 1 करोड़ 60 लाख तक बढ़ रही है. जनसंख्या विस्फोट के कारण भारत आज दुनिया के सबसे गरीब देशों में शामिल हो गया है.

ईटीवी भारत की शांता कुमार के साथ खास बातचीत.

शांता कुमार ने कहा कि भारत की सभी सरकारों ने गरीबी दूर करने की कोशिश की है. 2014 के बाद सरकार ने कई योजनाएं चलाई हैं. सरकार ने अपने सामर्थ्य के अनुसार पूरा प्रयास किया है, लेकिन सरकार जनसंख्या विस्फोट के आगे बेबस है. इतनी रफ्तार से बढ़ रही आबादी के कारण सरकार गरीबी दूर नहीं कर सकती है.

शांता कुमार ने कहा कि पीएम मोदी का सबका साथ-सबका विकास का नारा बहुत अच्छा है, लेकिन ये काफी नहीं है. मैने उन्हें पत्र लिखकर कहा था कि ये पर्याप्त नहीं है. सबसे पहले गरीब का विकास होना चाहिए. हंगर इंडेक्स रिपोर्ट के मुताबिक आज भी भारत में 19 करोड़ ऐसे लोग हैं जो रात को भूखे पेट सोते हैं. आजादी के 72 साल बाद इतने लोग भूखे पेट सोते हैं तो ये दुर्भाग्य और शर्म की बात है.

शांता कुमार ने कहा कि देश से भूखमरी को खत्म करने के लिए उन्होंने 2014 को पीएम को पत्र लिखकर सुझाव दिया था. भूखमरी को समाप्त करने के लिए एक अंतोदय मंत्रालय बनाना चाहिए. यह मंत्रालय सिर्फ 19 करोड़ लोगों को भूखमरी की स्थिति से बाहर निकालेगा. देश के सभी साधनों को इन 19 करोड़ लोगों की ओर प्रवाहित करना पड़ेगा. साल 1977 में हिमाचल में बीजेपी की सरकार ने अंतोदय कार्यक्रम शुरू किया था. इसके तहत एक करोड़ लोगों को गरीबी रेखा से बाहर निकालने का लक्ष्य रखा था और सिर्फ एक साल के अंदर ही 30 प्रतिशत लोगों को गरीबी से बाहर निकाला था.

मोदी सरकार की ओर से जारी आर्थिक पैकेज पर शांता कुमार ने कहा कि आज की परिस्थितियों के मुताबिक इससे बढ़िया पैकेज नहीं हो सकता था. वर्तमान में जितना हो सकता था उतना करने का प्रयास किया गया है. शांता कुमार ने कहा कि राष्ट्रपति ने एक साल तक अपना 30 प्रतिशत वेतन ना लेने की घोषणा की थी. साथ ही उन्होंने राष्ट्रपति भवन के खर्चों में 20 प्रतिशत की बचत करने की बात कही थी. उन्होंने खर्चों में बचत करने की बात कहकर पूरे देश को रास्ता दिखाया है.

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शांता कुमार ने कहा कि सरकारों में भयंकर फिजूलखर्ची और भ्रष्टाचार होता है. नॉन प्लान एक्सपेंडिचर में केंद्र और राज्य सरकारें 20 प्रतिशत की बचत कर सकती हैं. यह बचत कई लाख करोड़ रुपये की होती है. नॉन प्लॉन एकपेंडिचर ही 25 लाख करोड़ जिसका 20 प्रतिशत हिस्सा सरकारों को बचाना होगा

शांता कुमार ने कहा कि 1977 में जब वह हिमाचल के मुख्यमंत्री बने थे. उस दौरान उन्होंने 2 साल में ही 50 करोड़ रुपये बचाए थे. इस बचत को उन्होंने पेयजल योजनाओं में लगाया था. छोटा सा राज्य हिमाचल अगर इतनी बड़ी बचत कर सकता है तो पूरा देश क्यों नहीं.

अब कोरोना महामारी के बाद व्यक्ति और समाज को एक मंत्र याद रखना होगा. यह मंत्र है कि जिंदगी अब जरूरतों के मुताबिक चलानी पड़ेगी. आज भी हमारे देश में सरकारें फिजूलखर्ची करती हैं. नवाबी ढंग से काम करती हैं. जिस देश में 19 करोड़ लोग भूखे सोते हैं. उस देश की सरकार एक भी रुपये की फिजूलखर्ची करे तो ये देश के साथ अन्याय है.

शांता कुमार ने कहा कि पूरे देश की सरकारों को बचत का कार्यक्रम भी बनाना पड़ेगा. राष्ट्रपति की तरह पीएम मोदी भी पूरे देश की सरकारों को नॉन प्लान बजट में एक प्रतिशत की कटौती करके भी भारी बचत की जा सकती है.

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