हैदराबाद : मत्स्य पालन भारत में एक तेजी से बढ़ता हुआ क्षेत्र है, जो 28 मिलियन से अधिक लोगों को आय और रोजगार प्रदान करने के अलावा देश की एक बड़ी आबादी को पोषण और खाद्य सुरक्षा प्रदान करता है.
भारत विश्व का दूसरा सबसे बड़ा मछली उत्पादक देश है जो वैश्विक उत्पादन में 7.56% योगदान देता है और देश के सकल मूल्य वर्धित (GVA) में लगभग 1.24% का योगदान देता है और कृषि GVA के लिए 7.28% से अधिक में भागीदार है. मछली पालन और जलीय कृषि एक लाखों लोगों को भोजन, पोषण, आय और आजीविका का महत्वपूर्ण स्रोत है.
2019-20 के दौरान मत्स्य पालन क्षेत्र से निर्यात आय 4,662.85 करोड़ रुपये रही. यह क्षेत्र प्राथमिक स्तर पर लगभग 280 लाख लोगों को आजीविका प्रदान करता है.
प्रोटीन का समृद्ध स्रोत है मछली
मछली प्रोटीन का एक सस्ता और समृद्ध स्रोत है, यह पोषक तत्वों की कमी को पूरा करने के विकल्पों में से एक है. इस क्षेत्र में 2022 तक मछली किसानों की आय को दोगुना करने की अपार संभावना है, जैसा कि भारत सरकार ने उम्मीद की है.
इसलिए यह आवश्यक है कि सतत-जिम्मेदार, समावेशी और न्यायसंगत तरीके से विकास में तेजी लाने के लिए नीति और वित्तीय सहायता के माध्यम से मत्स्य क्षेत्र पर निरंतर और केंद्रित ध्यान दिया जाए.
2020-21 के दौरान की उपलब्धियों का विवरण :
प्रधानमंत्री मत्स्य संपादन परियोजना (PMMSY) 07.12.20 तक
आईलैंड मछलीपालन
- अंतर्देशीय जलीय कृषि के तहत 4,171 हेक्टेयर तालाब क्षेत्र को मंजूरी.
- 757 Biofloc इकाइयां और 1242 Re-circulatory Aquaculture Systems (RAS) इकाइयों को मंजूरी दी गई है.
- जलाशयों और अन्य जल निकायों में 3,763 पिंजरों और 72.7 हेक्टेयर पेंस को मंजूरी.
- मछली / झींगा हैचरी की 109 इकायां को स्वीकृति.
- तालाब क्षेत्र के 373 हेक्टेयर क्षेत्र को मंजूरी दी गई है.
- 6 इकाइयों वाली ब्रूड-बैंक सुविधाओं को मंजूरी.
मरीन मछलीपालन
- 122 गहरे समुद्र में मछली पकड़ने का जहाज.
- मौजूदा मछली पकड़ने वाले जहाजों के अपग्रेशन.
- 2,755 मशीनीकृत मछली पकड़ने के जहाजों में निर्मित जैव-शौचालय.
- मछली पकड़ने के लिए समुद्र के पिंजरे की 656 इकाइयां.
- 2, छोटी मरीन फिनिश हैचरी.
- तालाब क्षेत्र की 471 हेक्टेयर भूमि को जलाशयों के जलग्रहण क्षेत्र में लाया गया. इसके तहते खारे पानी की हैचरी की 6 इकाइयों को भी स्वीकृति मिली.
मछुआरों का कल्याण
- मछुआरों के लिए रीप्लेसमेंट बोट की 1820 इकाइयां और उनके लिए जाल. (तालिका ए- III ए)
- मछुआरों की आजीविका और पोषण के लिए योजनाएं.
- एक्सटेंशन और समर्थन सेवाओं की 20 इकाइयां.
फिशरीज इंफ्रास्ट्रक्चर
- आइस प्लांट/कोल्ड स्टोरेज सैंक्श्नंड की 70 इकाइयां.
- मछलियों के चारे की 127 इकाइयां.
- यातायात सुविधाओं की 6,288 यूनिट.
- 41 मूल्य वर्धित उद्यम इकाइयों को अब तक मंजूरी दी गई है.
जलीय स्वास्थ्य प्रबंधन
- 8, रोग निदान केंद्र और गुणवत्ता परीक्षण प्रयोगशालाओं को मंजूरी.
- 17 मोबाइल केंद्र और परीक्षण प्रयोगशालाओं को मंजूरी दी.
- 2, जलीय रेफरल प्रयोगशालाओं को मंजूरी.
कोल्डवॉटर फिशरीज
- नए तालाब का 50.6 हेक्टेयर क्षेत्र स्वीकृत.
- 4 ट्राउट हैचरी और 958 नई रेसवे इकाइयों के निर्माण को मंजूरी.
- ठंडे पानी की मछली पालन के लिए आरएएस इकाइयों की 16 इकाइयां स्वीकृत.
उत्तर पूर्वी क्षेत्र में विकास
- 203.38 करोड़ रुपये की लागत वाली कुल परियोजना को 101.03 करोड़ रुपये के केंद्र के हिस्से के साथ मंजूरी.
- हैजरी- 25 इकाइयां.
- फिश सीड रियरिंग यूनिट: 182.2 हेक्टेयर
- एकीकृत मछली पालन: 563.4 हेक्टेयर
- जलाशयों में पिंजरों की स्थापना: 250 यूनिट
- पुनरावर्तनशील जलीय कृषि प्रणाली (RAS): 22 इकाइयां.
- ओर्नामेंटल फिशरीज यूनिटः 47 यूनिट
- बायोफ्लोक इकाइयां- 62
- नए तालाबों का निर्माण- 673 हेक्टेयर
- फीड मिल्स- 19 यूनिट
महत्वपूर्ण गतिविधियां
- ब्रूड बैंकः 6 इकाइयों को स्वीकृति
- सागरमित्रः 1997 इकाइयों को स्वीकृति
- जलाशयों का एकीकृत विकास: 12 जलाशयों को स्वीकृति
- फिश फार्मर्स प्रोड्यूसर ऑर्गनाइजेशन (एफएफपीओ) : राज्यवार/केंद्र शासित प्रदेशवार टार्गेट बनाया गया है.
- मत्स्य सेवा केंद्रः 20 इकाइयां स्वीकृत.
- इंटीग्रेटेड कोस्टल विलेजःतैयार की गई कार्ययोजना को अंतिम रूप दिया जा रहा है.
- इंटीग्रेटेड एक्वा पार्कः कार्ययोजना तैयार है. कार्य योजना की मुख्य विशेषता राज्यों / केंद्रशासित प्रदेशों को अग्रेषित की जा रही है.
पशुपालन किसानों और मत्स्य पालन के लिए केसीसी
आज तक, कुल 44,935 केसीसी मछुआरों और मछली किसानों को जारी किए गए हैं. इसके अलावा, केसीसी जारी करने के लिए विभिन्न चरणों में फिशर और मछली किसानों से लगभग 3.80 लाख आवेदन बैंकों के पास हैं.
फिशरीज एंड एक्वाकल्चर इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट फंड
केंद्र सरकार ने अपने 2018 के बजट में समर्पित मछली पालन और एक्वाकल्चर इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट फंड (FIDF) की स्थापना के लिए 7,550 करोड़ स्वीकृत किए हैं.
फंड में 4 मिलियन से अधिक समुद्री और अंतर्देशीय मत्स्य विशेषकर महिलाओं, एसएचजी, कमजोर वर्गों को आधुनिक बुनियादी ढांचे की उपलब्धता और उपज के अतिरिक्त मूल्य के कारण लाभ होने की संभावना है.
एफआईडीएफ राज्य सरकारों / केंद्र शासित प्रदेशों, राज्य संस्थाओं, सहकारी संस्थाओं, व्यक्तिगत उद्यमियों आदि को समुद्री और अंतर्देशीय मत्स्य क्षेत्र दोनों में मत्स्य अधोसंरचना सुविधाओं के विकास के लिए रियायती वित्त प्रदान करेगा.