नई दिल्ली : एनपीआर को लेकर देश में सबकी अलग-अलग राय है. हमारा देश लंबे समय तक गुलाम रहा. हर समाज, तबके, पुरुष व महिलाओं ने आजादी के लिये बलिदान दिया है. भारत का नागरिक कौन होगा, उसकी क्या प्रक्रिया होगी इसके लिए कानून बना.
अब लोगों में एनपीआर की प्रक्रिया और आने वाले एनआरसी को लेकर लोगों के दिमाग में दहशत और डर है.
केंद्रीय गृहमंत्री पर गुमराह करने का आरोप
गोपाल राय ने कहा कि संसद में गृह मंत्री कहा और आश्वस्त किया कि राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर का एनआरसी से कोई लेना देना नहीं है. इसपर उन्होंने कहा कि अमित शाह ने पहले कहा था कि पहले सीएए आएगा और फिर एनआरसी और एनपीआर आएगा. लेकिन अब कह रहे हैं कि एनपीआर का एनआरसी से कोई लेना देना नहीं है. असम में हुई एनआरसी से 19 लाख लोग भारत की नागरिकता से बाहर हो गए. जिसमें से 5 लाख मुस्लिम और 14 लाख हिंदू आबादी है.
एनआरसी को लेकर लोगों में डर है. एनआरसी की पटकथा एनपीआर के जरिये लिखी जा रही है, लेकिन गृह मंत्री ने कहा है कि एनपीआर का एनआरसी से कोई लेना देना नहीं है.1955 के कानून के बाद 2003 में अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में सीएए के कानून में बदलाव किया. जिसमें एनपीआर बनाने को कहा. एनपीआर का डाटा लोकल लेवल पर बनेगा. कॉलम में अगर सूचना देनी है तो दो, किसी को डाउटफुल कैटैगरी में नहीं रखा जाएगा ऐसा संसद में गृह मंत्री ने कहा था.
संसद में एनआरसी लागू करने से पहले एनपीआर तैयार किया जाए. इसके आधार पर ही एनआरसी लागू किया जाएगा. अलग-अलग बयान की वजह से लोगों में शंका पैदा हो रही है.
केंद्र सरकार को बेरोजगारी दूर करने की सलाह
अपने वक्तव्य में गोपाल राय बोले एनपीआर एनआरसी का किसी धर्म व समाज से लेना देना नहीं है. यह सभी के लिए है. असम में 14 लाख हिंदुओं को बाहर कर दिया. उन्होंने कहा कि एनपीआर और एनआरसी को वापस लेना चाहिए. एनपीआर के पूरे अभ्यास को रोक कर 2010 के प्रारूप पर ही लागू करें.