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लॉकडाउन : सीमा सील होने के बावजूद पैदल घर लौट रहे प्रवासी मजदूर

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Published : Mar 29, 2020, 10:31 PM IST

Updated : Mar 29, 2020, 10:52 PM IST

देशभर में लॉकडाउन लागू है. इसके बावजूद दिल्ली के कई हिस्सों में शनिवार को बड़ी संख्या में लोग एकत्र हो गए. इसके बाद केंद्र सरकार ने आदेश दिया कि देश में पूरी तरह से लॉकडाउन का पालन किया जाए और सभी राज्यों को सीमाएं बंद का करने का निर्देश दिया गया. इसके बाद भी प्रवासी मजदूरों का अपने घरों की तरफ पैदल ही पलायन जारी है. पढ़ें पूरी खबर...

प्रवासी श्रमिक
प्रवासी श्रमिक

नई दिल्ली : राजधानी और उससे सटे गाजियाबाद और ग्रेटर नोएडा में रविवार को कई स्थानों पर हजारों की संख्या में मजदूर फंसे नजर आए क्योंकि केंद्र ने राज्य सरकारों से 21 दिन के राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन को कड़ाई से पालन करवाने और शहरों में लोगों की आवाजाही रोकने के लिए कहा है.

जो लोग पहले ही अपने घर वापस जाने के लिए किसी वाहन की आस में निकल चुके हैं, उन्हें अब कोई रास्ता समझ में नहीं आ रहा है. दरअसल, उत्तर प्रदेश से लगने वाली दिल्ली की सीमा को रविवार को अपराह्न दो बजे सील कर दिया गया.

हालांकि वापस अपने घर जाने के लिए लोगों की संख्या शनिवार के मुकाबले कुछ कम थी, लेकिन राज्य सरकार द्वारा इस बारे में घोषणा नहीं किए जाने से लोग आनंद विहार बस स्टैंड, गाजियाबाद बॉर्डर या फिर नोएडा- आगरा एक्सप्रेसवे पर फंसे नजर आए.

मुश्किल में फंसे कई यात्रियों ने कहा कि उन्हें आनंद विहार बस टर्मिनल की ओर नहीं जाने दिया जा रहा है और उन्हें गाजियाबाद की तरफ जाने के लिए कहा जा रहा है, जहां से उन्हें बस मिलेगी.

कई लोगों के पास अब कोई विकल्प नहीं है, इसलिए वे वापस अपने घरों को जा रहे हैं. कुछ यात्री झांसी, अमेठी, गोंडा और बहराइच जाना चाहते थे.

देखें : कोरोना को लेकर मन में उठ रहे हैं सवाल, तो जरूर देखें ये वीडियो

उत्तर प्रदेश के अमेठी के निवासी प्रदीप सिंह ने बताया, 'मैं एक मजदूर हूं और अब घर जाना चाहता हूं क्योंकि अब मेरे पास खाने को कुछ नहीं है.'

उन्होंने अपनी एक वर्ष की बेटी की ओर इशारा करते हुए कहा, 'मेरे बच्चे को देखिए. हमारा पास खाना नहीं है और अगर मकान मालिक रेंट नहीं भी मांगता है तो भी मैं कैसे अपने परिवार का पेट भरूंगा.'

झांसी की एक निवासी फुला ने मयूर विहार मेट्रो स्टेशन के पास कहा, 'अब कोई भी बस उपलब्ध नहीं है. हमारे गांव में, हम रोटी-नमक खा सकते हैं, लेकिन यहां और किसी और शहर में, हमें कोई सहायता नहीं मिलेगी.'

पढ़ें : कोरोना संकट : 'मन की बात' में पीएम मोदी ने कहा- देशवासियों से क्षमा मांगता हूं

इससे पहले दिन में, केंद्र ने राज्यों से देशव्यापी लॉकडाउन का कड़ाई से पालन करवाने और शहरों में लोगों की आवाजाही को रोकने के लिए कहा था. इसके साथ ही केंद्र ने राज्यों को प्रवासी मजदूरों के कार्यस्थल पर रहने और खाने की व्यवस्था करने और अन्य सुविधाएं मुहैया कराने के लिए कहा है.

यह देखते हुए कि देश के कई भागों में प्रवासी मजदूरों का मूवमेंट जारी है, कैबिनेट सचिव राजीव गौबा ने रविवार सुबह वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए गृह मंत्रालय के अधिकारियों, राज्य के मुख्य सचिवों और पुलिस महानिदेशकों के साथ जिलों और राज्य की सीमाओं को 'सील' करने का निर्णय लिया.

सरकारी बयान के अनुसार, निर्देश जारी किया गया है कि जिले और राज्य की सीमाओं को प्रभावी तरीके से सील किया जाना चाहिए और राज्यों को निर्देश दिया जाता है कि वह यह सुनिश्चित करे कि शहरों या हाईवे पर लोगों की आवाजाही न हो.

केंद्र के दिशानिर्देशों के बाद, मास माइग्रेशन रोकने के लिए राज्य की सीमाओं को सील कर दिया गया.

नई दिल्ली : राजधानी और उससे सटे गाजियाबाद और ग्रेटर नोएडा में रविवार को कई स्थानों पर हजारों की संख्या में मजदूर फंसे नजर आए क्योंकि केंद्र ने राज्य सरकारों से 21 दिन के राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन को कड़ाई से पालन करवाने और शहरों में लोगों की आवाजाही रोकने के लिए कहा है.

जो लोग पहले ही अपने घर वापस जाने के लिए किसी वाहन की आस में निकल चुके हैं, उन्हें अब कोई रास्ता समझ में नहीं आ रहा है. दरअसल, उत्तर प्रदेश से लगने वाली दिल्ली की सीमा को रविवार को अपराह्न दो बजे सील कर दिया गया.

हालांकि वापस अपने घर जाने के लिए लोगों की संख्या शनिवार के मुकाबले कुछ कम थी, लेकिन राज्य सरकार द्वारा इस बारे में घोषणा नहीं किए जाने से लोग आनंद विहार बस स्टैंड, गाजियाबाद बॉर्डर या फिर नोएडा- आगरा एक्सप्रेसवे पर फंसे नजर आए.

मुश्किल में फंसे कई यात्रियों ने कहा कि उन्हें आनंद विहार बस टर्मिनल की ओर नहीं जाने दिया जा रहा है और उन्हें गाजियाबाद की तरफ जाने के लिए कहा जा रहा है, जहां से उन्हें बस मिलेगी.

कई लोगों के पास अब कोई विकल्प नहीं है, इसलिए वे वापस अपने घरों को जा रहे हैं. कुछ यात्री झांसी, अमेठी, गोंडा और बहराइच जाना चाहते थे.

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उत्तर प्रदेश के अमेठी के निवासी प्रदीप सिंह ने बताया, 'मैं एक मजदूर हूं और अब घर जाना चाहता हूं क्योंकि अब मेरे पास खाने को कुछ नहीं है.'

उन्होंने अपनी एक वर्ष की बेटी की ओर इशारा करते हुए कहा, 'मेरे बच्चे को देखिए. हमारा पास खाना नहीं है और अगर मकान मालिक रेंट नहीं भी मांगता है तो भी मैं कैसे अपने परिवार का पेट भरूंगा.'

झांसी की एक निवासी फुला ने मयूर विहार मेट्रो स्टेशन के पास कहा, 'अब कोई भी बस उपलब्ध नहीं है. हमारे गांव में, हम रोटी-नमक खा सकते हैं, लेकिन यहां और किसी और शहर में, हमें कोई सहायता नहीं मिलेगी.'

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इससे पहले दिन में, केंद्र ने राज्यों से देशव्यापी लॉकडाउन का कड़ाई से पालन करवाने और शहरों में लोगों की आवाजाही को रोकने के लिए कहा था. इसके साथ ही केंद्र ने राज्यों को प्रवासी मजदूरों के कार्यस्थल पर रहने और खाने की व्यवस्था करने और अन्य सुविधाएं मुहैया कराने के लिए कहा है.

यह देखते हुए कि देश के कई भागों में प्रवासी मजदूरों का मूवमेंट जारी है, कैबिनेट सचिव राजीव गौबा ने रविवार सुबह वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए गृह मंत्रालय के अधिकारियों, राज्य के मुख्य सचिवों और पुलिस महानिदेशकों के साथ जिलों और राज्य की सीमाओं को 'सील' करने का निर्णय लिया.

सरकारी बयान के अनुसार, निर्देश जारी किया गया है कि जिले और राज्य की सीमाओं को प्रभावी तरीके से सील किया जाना चाहिए और राज्यों को निर्देश दिया जाता है कि वह यह सुनिश्चित करे कि शहरों या हाईवे पर लोगों की आवाजाही न हो.

केंद्र के दिशानिर्देशों के बाद, मास माइग्रेशन रोकने के लिए राज्य की सीमाओं को सील कर दिया गया.

Last Updated : Mar 29, 2020, 10:52 PM IST
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