नई दिल्ली : पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री बेअंत सिंह की हत्या के दोषी बलवंत सिंह राजोआना की मौत की सजा को कम किया जाएगा. केंद्रीय गृह मंत्रालय ने ये फैसला लिया है. अधिकारियों ने रविवार को ये जानकारी दी.
पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री बेअंत सिंह की हत्या के दोषी बलवंत सिंह राजोआना की मौत की सजा को कम किया जाएगा. केंद्रीय गृह मंत्रालय ने ये फैसला लिया है. अधिकारियों ने रविवार को ये जानकारी दी.
गृह मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा, बलवंत सिंह राजोआना की मौत की सजा पर फैसला लिया गया है.फिलहाल औपचारिक अधिसूचना जारी करने की प्रक्रिया चल रही है.
गौरतलब है कि पंजाब में आतंकवाद को समाप्त करने का श्रेय बेअंत सिंह को ही जाता है.
बता दें कि 31 अगस्त, 1995 को चंडीगढ़ में सिविल सचिवालय के बाहर एक विस्फोट में तत्कालीन मुख्यमंत्री बेअंत सिंह की हत्या कर दी गई थी. आतंकी हमले में सोलह अन्य लोगों की भी जान चली गई थी जिसमें पंजाब पुलिस के कर्मचारी दिलावर सिंह ने मानव बम के रूप में काम किया था.
उनपर बब्बर खालसा ने पहले भी हमला करवाया था. लेकिन कांग्रेसी नेता की हत्या करने में असफल रहे. उसके बाद खालसा ने मानव बम से सिंह पर हमला करवाया.
शनिवार को गृह मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि पंजाब में आतंकवाद के दौरान अपराध करने के लिए देश की विभिन्न जेलों में बंद आठ सिख कैदियों को सरकार द्वारा श्री गुरु नानक देवजी की 550 वीं जयंती के अवसर पर एक मानवीय आधार पर रिहा किया जाएगा.
प्रवक्ता ने बताया कि बलवंत सिंह के अलावा एक और सिख कैदी की मौत की सजा को आजीवन कारावास में बदल दिया गया है.
जानकारी दे दें कि रविवार को इस बात का पता चला है कि जिन कैदियों को सरकार ने रिहा करने का फैसला लिया है उनमें एक बलवंत सिंह राजोआना भी है. राजोआना और आठ अन्य कैदी देश की विभिन्न जेलों में बंद हैं.
गृह मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि यह निर्णय केंद्र सरकार द्वारा सिख समुदाय के विभिन्न वर्गों द्वारा व्यक्त किए गए सिख कैदियों की रिहाई की लंबे समय से लंबित मांगों के जवाब में सद्भावना के प्रतीक के रूप में लिया गया था.
गौरतलब है कि एक विशेष अदालत ने जुलाई 2007 में बेअंत सिंह हत्याकांड मामले में राजोआना को एक अन्य आतंकवादी जगतार सिंह हवारा के साथ मौत की सजा सुनाई थी.
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राजोआना को 31 मार्च 2012 को फांसी दी जाने वाली थी. लेकिन शिरोमोनी गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी, सिख धार्मिक संस्था द्वारा दया याचिका के बाद तत्कालीन यूपीए सरकार ने 28 मार्च, 2012 को राजोआना की फांसी पर रोक लगा दी गई थी.
इसके अलावा शिरोमणि अकाली दल जो उस समय पंजाब में सत्ता में था. उसने फांसी के खिलाफ अभियान चलाया. इस मामले पर राष्ट्रपति ने दया याचिका गृह मंत्रालय को भेज कर फैसला लेने को कहा था.
(पीटीआई इनपुट)