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पराली मुद्दे पर जावड़ेकर बोले- नयी प्रौद्योगिकी का किया जाएगा प्रयोग

पराली के मुद्दे पर केंद्र सरकार ने राज्य सरकारों के साथ बैठक की. इस दौरान केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने बताया कि केंद्र सरकार ने प्रदूषण कम करने के लिए कई सारे कदम उठाए हैं.

stubble burning
पराली
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Published : Oct 1, 2020, 5:55 PM IST

Updated : Oct 1, 2020, 6:01 PM IST

नई दिल्ली : केंद्र सरकार ने पराली को लेकरी पंजाब सरकार समेत हरियाणा, राजस्थान, उत्तर प्रदेश और दिल्ली सरकार के पर्यावरण मंत्रियों के साथ बैठक की. उन्होंने बताया कि पंजाब में अमृतसर समेत अन्य इलाकों में, जहां ज्यादा पराली जलती है, वहां पर हॉटस्पॉट बनाए जाएंगे. बैठक में पिछले दो वर्षों में राज्यों द्वारा किए गए कार्यों की समीक्षा भी की गई.

प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि केंद्र सरकार ने प्रदूषण कम करने के लिए कई सारे कदम उठाए हैं. पेरीफेरल हाईवे से वाहन का दबाव कम हुआ, बी 6 वाहन मानक लागू हुए हैं. प्रदूषण के निपटारे के लिए हॉटस्पॉट तैयार किए गए हैं, जिससे वहां पर ज्यादा काम किया जा सके.

सरकार ने तीन राज्यों को तीन साल में लगभग 17 सौ करोड़ रुपये की मशीन दी है. मशीनों का उपयोग किया जाएगा तो पराली जलाने का संकट नहीं होगा.

भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (पूसा) द्वारा विकसित एक नयी प्रौद्योगिकी का उपयोग करेंगे. इसी के साथ फसल अवशेष प्रबधंन के लिए मशीनरी पर 80 प्रतिशत तक की सब्सिडी की योजना शुरू की गई है.

सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड एक्टिव रहेगा और राज्य सरकारों के साथ मिलकर काम करेगा. उन्होंने कहा कि केवल पराली का जलना एकमात्र प्रदूषण का कारण नहीं है, ज्यादा प्रदूषण रोड की धूल और कचरे के अप्रबंधन समेत अन्य मुद्दों से होता है.

पढ़ें :- पंजाब, हरियाणा में पराली जलाने पर रोक के लिए अदालत में अर्जी

पर्यावरण मंत्रियों के अलावा, बैठक में राज्यों के पर्यावरण सचिव, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सदस्य और सभी नगर निगमों, डीडीए और एनडीएमसी के प्रतिनिधि शामिल थे.

बता दें कि धान की कटाई के दौरान पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और राजस्थान के कई हिस्सों में किसान अपने खेतों में बची पराली को जला देते हैं. 15 अक्टूबर से 15 नवंबर के बीच पराली जलाए जाने की घटनाएं अधिक होती हैं.

नई दिल्ली : केंद्र सरकार ने पराली को लेकरी पंजाब सरकार समेत हरियाणा, राजस्थान, उत्तर प्रदेश और दिल्ली सरकार के पर्यावरण मंत्रियों के साथ बैठक की. उन्होंने बताया कि पंजाब में अमृतसर समेत अन्य इलाकों में, जहां ज्यादा पराली जलती है, वहां पर हॉटस्पॉट बनाए जाएंगे. बैठक में पिछले दो वर्षों में राज्यों द्वारा किए गए कार्यों की समीक्षा भी की गई.

प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि केंद्र सरकार ने प्रदूषण कम करने के लिए कई सारे कदम उठाए हैं. पेरीफेरल हाईवे से वाहन का दबाव कम हुआ, बी 6 वाहन मानक लागू हुए हैं. प्रदूषण के निपटारे के लिए हॉटस्पॉट तैयार किए गए हैं, जिससे वहां पर ज्यादा काम किया जा सके.

सरकार ने तीन राज्यों को तीन साल में लगभग 17 सौ करोड़ रुपये की मशीन दी है. मशीनों का उपयोग किया जाएगा तो पराली जलाने का संकट नहीं होगा.

भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (पूसा) द्वारा विकसित एक नयी प्रौद्योगिकी का उपयोग करेंगे. इसी के साथ फसल अवशेष प्रबधंन के लिए मशीनरी पर 80 प्रतिशत तक की सब्सिडी की योजना शुरू की गई है.

सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड एक्टिव रहेगा और राज्य सरकारों के साथ मिलकर काम करेगा. उन्होंने कहा कि केवल पराली का जलना एकमात्र प्रदूषण का कारण नहीं है, ज्यादा प्रदूषण रोड की धूल और कचरे के अप्रबंधन समेत अन्य मुद्दों से होता है.

पढ़ें :- पंजाब, हरियाणा में पराली जलाने पर रोक के लिए अदालत में अर्जी

पर्यावरण मंत्रियों के अलावा, बैठक में राज्यों के पर्यावरण सचिव, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सदस्य और सभी नगर निगमों, डीडीए और एनडीएमसी के प्रतिनिधि शामिल थे.

बता दें कि धान की कटाई के दौरान पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और राजस्थान के कई हिस्सों में किसान अपने खेतों में बची पराली को जला देते हैं. 15 अक्टूबर से 15 नवंबर के बीच पराली जलाए जाने की घटनाएं अधिक होती हैं.

Last Updated : Oct 1, 2020, 6:01 PM IST
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