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बेरोजगार मैकेनिकल इंजीनियर ने बनाई खुद की कंपनी, तीन राज्यों तक फैला कारोबार - कर्नाटक के दक्षिण कन्नड़

कर्नाटक के दक्षिण कन्नड़ जिले के पुटुरु तालुक के एक छोटे से मडावी गांव में रहने वाले श्रीकृष्ण ने नौकरी न मिलने के कारण एरेका लीफ की प्लेट्स बनाने की फैक्ट्री स्थापित करने का फैसला किया. आज उनका यह कारोबार तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश और केरल तक फैल चुका है.

मेकेनिकल इंजीनियर ने बनाई खुद की कंपनी
मेकेनिकल इंजीनियर ने बनाई खुद की कंपनी
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Published : Dec 24, 2020, 6:31 PM IST

Updated : Dec 24, 2020, 9:55 PM IST

बेंगलुरु : पहले की तुलना में वर्तमान में अधिकांश लोग शिक्षित हैं और हर एक ग्रेजुएशन तक अध्ययन करना चाहता है, लेकिन समस्या रोजगार को लेकर है. हमारे आस-पास अधिकांश लोग कठिन अध्ययन करते हैं और नौकरी पाने के लिए कड़ी मेहनत करते हैं. उनमें से कुछ लोग अच्छी जॉब पा लेते हैं, जबकि कुछ लोगों को जॉब नहीं मिल पाती.

ऐसे में, जो लोग मानसिक रूप से मजबूत नहीं होते वो कभी-कभी नौकरी न मिलने के कारण सुसाइड कर लेते हैं, जबकि उनमें से कुछ लोग नौकरी नहीं मिलने के बावजूद बार-बार नौकरी के लिए आवेदन करते हैं, लेकिन आज हम आपको बताने जा रहे एक शख्स के बारे में, जिसने मैकेनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की. उसके बाद उसने बार बार नौकरी के लिए आवेदन किया, लेकिन हर बार उसके हाथ निराशा ही लगी. उसने हार नहीं मानी और अब खुद की अपनी कंपनी स्थापित कर डाली.

हम बात कर रहे हैं कर्नाटक के दक्षिण कन्नड़ जिले के पुटुरु तालुक के एक छोटे से मडावी गांव में रहने वाले श्रीकृष्ण की, जिन्होंने मैकेनिकल इंजीनियरिंग में अपनी शिक्षा पूरी की और जॉब्स की खोज में कई शहरों में घूमे.

बार-बार नौकरी तलाश करने के बाद भी उन्हें कोई सफलता नहीं मिली. लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी.

बेरोजगार मैकेनिकल इंजीनियर ने बनाई खुद की कंपनी

इस दौरान उन्होंने एक नया व्यवसाय स्थापित करने के बारे में विचार किया, जो दृढ़ हो और आत्म-निर्भर हो. तभी उनके दिमाग में एरेका लीफ की प्लेट्स बनाने की फैक्ट्री स्थापित करने का आइडिया आया.

जब श्रीकृष्ण ने अपने गांव में एरेका लीफ की फैक्ट्री शुरू की, तो उन्होंने बाजार में ऑर्डर की कमी का सामना किया. क्योंकि उस समय एरेका लीफ प्लेट्स के कारखानों की संख्या पहले से ही बड़ी तादाद में मौजूद थीं.

ऐसे में व्यवसाय को बढ़ावा देने और लोगों को व्यवसाय की ओर आकर्षित करने के लिए श्री कृष्ण ने एक नया रास्ता खोजा और प्लेटों को नए तरीके से डिजाइन किया.

दरअसल, एरेका लीफ प्लेट्स के कारखाने जो वहां पहले से ही स्थापित थे, वो केवल सामान्य प्लेटों का उत्पादन कर रहे हैं, जो भोजन के लिए उपयोगी है. लेकिन कृष्णा ने एरेका लीफ से बनी प्लेटस को डिजाइन करने की कोशिश की और जब यह काम शुरू हुआ, तो उन्होंने अन्य वस्तुओं जैसे कि कटोरे, चम्मच, साबुन बॉक्स, आइसक्रीम कप और अन्य किस्म के आइटम भी एरेका पत्ती द्वारा बनाना शुरू कर दिए. उनके नए विचार ने बाजार में एक क्रांति ला दी और व्यापार कुछ समय की अवधि में शीर्ष पर पहुंच गया.

बाजारों में प्लेट्स और कप के विभिन्न प्रकार और डिजाइनों की मांग बढ़ गई, जिससे उनकी फैक्टरी भी बढ़ गई हैं.

पढ़ें - अब आप भी आसानी से चढ़ सकते हैं ताड़ या नारियल के पेड़ पर, देखें वीडियो

अब श्रीकृष्ण के कारखाने में एरेका लीफ की प्लेट्स, कप और अन्य सामानों का उत्पादन किया जा रहा है. उनके पास तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश और केरल से ऑर्डर आ रहे हैं. साथ ही वह अपने उत्पादों को गुजरात में भी निर्यात कर रहे हैं.

श्रीकृष्ण, जिन्होंने एक छोटी सी फर्म के रूप में एरेका लीफ प्लेट्स का बिजनेस शुरू किया था, वो अब गांव में सबसे बड़ा व्यवसाय बन गया है. साथ ही उन्होंने अपने कारखाने में 16 श्रमिकों के लिए नौकरियां दी हैं.

बेंगलुरु : पहले की तुलना में वर्तमान में अधिकांश लोग शिक्षित हैं और हर एक ग्रेजुएशन तक अध्ययन करना चाहता है, लेकिन समस्या रोजगार को लेकर है. हमारे आस-पास अधिकांश लोग कठिन अध्ययन करते हैं और नौकरी पाने के लिए कड़ी मेहनत करते हैं. उनमें से कुछ लोग अच्छी जॉब पा लेते हैं, जबकि कुछ लोगों को जॉब नहीं मिल पाती.

ऐसे में, जो लोग मानसिक रूप से मजबूत नहीं होते वो कभी-कभी नौकरी न मिलने के कारण सुसाइड कर लेते हैं, जबकि उनमें से कुछ लोग नौकरी नहीं मिलने के बावजूद बार-बार नौकरी के लिए आवेदन करते हैं, लेकिन आज हम आपको बताने जा रहे एक शख्स के बारे में, जिसने मैकेनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की. उसके बाद उसने बार बार नौकरी के लिए आवेदन किया, लेकिन हर बार उसके हाथ निराशा ही लगी. उसने हार नहीं मानी और अब खुद की अपनी कंपनी स्थापित कर डाली.

हम बात कर रहे हैं कर्नाटक के दक्षिण कन्नड़ जिले के पुटुरु तालुक के एक छोटे से मडावी गांव में रहने वाले श्रीकृष्ण की, जिन्होंने मैकेनिकल इंजीनियरिंग में अपनी शिक्षा पूरी की और जॉब्स की खोज में कई शहरों में घूमे.

बार-बार नौकरी तलाश करने के बाद भी उन्हें कोई सफलता नहीं मिली. लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी.

बेरोजगार मैकेनिकल इंजीनियर ने बनाई खुद की कंपनी

इस दौरान उन्होंने एक नया व्यवसाय स्थापित करने के बारे में विचार किया, जो दृढ़ हो और आत्म-निर्भर हो. तभी उनके दिमाग में एरेका लीफ की प्लेट्स बनाने की फैक्ट्री स्थापित करने का आइडिया आया.

जब श्रीकृष्ण ने अपने गांव में एरेका लीफ की फैक्ट्री शुरू की, तो उन्होंने बाजार में ऑर्डर की कमी का सामना किया. क्योंकि उस समय एरेका लीफ प्लेट्स के कारखानों की संख्या पहले से ही बड़ी तादाद में मौजूद थीं.

ऐसे में व्यवसाय को बढ़ावा देने और लोगों को व्यवसाय की ओर आकर्षित करने के लिए श्री कृष्ण ने एक नया रास्ता खोजा और प्लेटों को नए तरीके से डिजाइन किया.

दरअसल, एरेका लीफ प्लेट्स के कारखाने जो वहां पहले से ही स्थापित थे, वो केवल सामान्य प्लेटों का उत्पादन कर रहे हैं, जो भोजन के लिए उपयोगी है. लेकिन कृष्णा ने एरेका लीफ से बनी प्लेटस को डिजाइन करने की कोशिश की और जब यह काम शुरू हुआ, तो उन्होंने अन्य वस्तुओं जैसे कि कटोरे, चम्मच, साबुन बॉक्स, आइसक्रीम कप और अन्य किस्म के आइटम भी एरेका पत्ती द्वारा बनाना शुरू कर दिए. उनके नए विचार ने बाजार में एक क्रांति ला दी और व्यापार कुछ समय की अवधि में शीर्ष पर पहुंच गया.

बाजारों में प्लेट्स और कप के विभिन्न प्रकार और डिजाइनों की मांग बढ़ गई, जिससे उनकी फैक्टरी भी बढ़ गई हैं.

पढ़ें - अब आप भी आसानी से चढ़ सकते हैं ताड़ या नारियल के पेड़ पर, देखें वीडियो

अब श्रीकृष्ण के कारखाने में एरेका लीफ की प्लेट्स, कप और अन्य सामानों का उत्पादन किया जा रहा है. उनके पास तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश और केरल से ऑर्डर आ रहे हैं. साथ ही वह अपने उत्पादों को गुजरात में भी निर्यात कर रहे हैं.

श्रीकृष्ण, जिन्होंने एक छोटी सी फर्म के रूप में एरेका लीफ प्लेट्स का बिजनेस शुरू किया था, वो अब गांव में सबसे बड़ा व्यवसाय बन गया है. साथ ही उन्होंने अपने कारखाने में 16 श्रमिकों के लिए नौकरियां दी हैं.

Last Updated : Dec 24, 2020, 9:55 PM IST
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