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सही समय आने पर बौद्ध धर्म की दीक्षा लूंगी: मायावती

महाराष्ट्र चुनाव के प्रचार के लिए आरएसएस के गढ़ नागपुर पहुंचीं बसपा सुप्रीमो मायावती ने ऐलान किया कि सही समय आने पर वे भी भीमराव आंबेडकर की तरह धर्म परिवर्तन करेंगी. उन्होंने आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के हिंदू राष्ट्र वाले बयान पर भी तीखी प्रतिक्रिया दी.

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Published : Oct 14, 2019, 10:51 PM IST

Updated : Oct 15, 2019, 12:56 AM IST

मायावती

नागपुर : बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की प्रमुख मायावती महाराष्ट्र चुनाव के लिए नागपुर में एक जनसभा को संबोधित करने पहुंचीं. इस दौरान उन्होंने कहा कि वे भी बाबा साहब भीमराव आंबेडकर की तरह बौद्ध धर्म की दीक्षा लेंगी.

मायावती ने कहा, 'आप लोग मेरे बारे में भी सोचते होंगे. बहनजी कब बौद्ध धर्म की दीक्षा लेंगी. मैं दीक्षा जरूर लूंगी, लेकिन सही और उचित समय पर. मेरे साथ पूरे देश के लोग धर्म-परिवर्तन करें. यह कार्य तभी संभव हो सकता है, जब बाबासाहब के अनुयायी राजनीति के क्षेत्र में उनके बताए रास्ते पर चलेंगे.'

रैली को संबोधित करतीं मायावती

बता दें, डॉ. बाबासाहब आंबेडकर ने 14 अक्टूबर 1956 को नागपुर की दीक्षाभूमि पर अपने लाखों अनुयायियों के साथ बौद्ध धर्म की दीक्षा ली थी. उन्होंने अपने देहांत से कुछ समय पहले अपना धर्म परिवर्तन किया था.

पढ़ें-भारत न कभी हिन्दू राष्ट्र था, न है और न कभी बनेगा : असदुद्दीन ओवैसी

अपने संबोधन में मायावती ने आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के हिंदू राष्ट्र वाले बयान पर भी नाराजदी जताई. उन्होंने कहा कि भागवत को सच्चर कमेटी की रिपोर्ट पढ़नी चाहिए, जिसमें भारत को हिंदू राष्ट्र नहीं बल्कि धर्मनिरपेक्ष देश बताया गया है. उन्होंने आरोप लगाया कि भागवत के इस बयान से मुस्लिमों और अल्पसंख्यकों के मन में भय की स्थिति पैदा हो गई है.

नागपुर : बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की प्रमुख मायावती महाराष्ट्र चुनाव के लिए नागपुर में एक जनसभा को संबोधित करने पहुंचीं. इस दौरान उन्होंने कहा कि वे भी बाबा साहब भीमराव आंबेडकर की तरह बौद्ध धर्म की दीक्षा लेंगी.

मायावती ने कहा, 'आप लोग मेरे बारे में भी सोचते होंगे. बहनजी कब बौद्ध धर्म की दीक्षा लेंगी. मैं दीक्षा जरूर लूंगी, लेकिन सही और उचित समय पर. मेरे साथ पूरे देश के लोग धर्म-परिवर्तन करें. यह कार्य तभी संभव हो सकता है, जब बाबासाहब के अनुयायी राजनीति के क्षेत्र में उनके बताए रास्ते पर चलेंगे.'

रैली को संबोधित करतीं मायावती

बता दें, डॉ. बाबासाहब आंबेडकर ने 14 अक्टूबर 1956 को नागपुर की दीक्षाभूमि पर अपने लाखों अनुयायियों के साथ बौद्ध धर्म की दीक्षा ली थी. उन्होंने अपने देहांत से कुछ समय पहले अपना धर्म परिवर्तन किया था.

पढ़ें-भारत न कभी हिन्दू राष्ट्र था, न है और न कभी बनेगा : असदुद्दीन ओवैसी

अपने संबोधन में मायावती ने आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के हिंदू राष्ट्र वाले बयान पर भी नाराजदी जताई. उन्होंने कहा कि भागवत को सच्चर कमेटी की रिपोर्ट पढ़नी चाहिए, जिसमें भारत को हिंदू राष्ट्र नहीं बल्कि धर्मनिरपेक्ष देश बताया गया है. उन्होंने आरोप लगाया कि भागवत के इस बयान से मुस्लिमों और अल्पसंख्यकों के मन में भय की स्थिति पैदा हो गई है.

Intro:डॉ बाबासाहेब आंबेडकरांनी दलितांचे कष्ट बघितले त्यांच्या वर होणारे अन्याय अत्याचार बघितले आणि त्यांना न्याय मिळवून देण्यासाठी साठी त्यांनी जे परिश्रम केलं ते लोकांनि बघितलं आणि त्यांच्या सोबत अनेक लोकांनि धर्म बदलले.जेव्हा लोक मोठ्या प्रमाणात माझ्या सोबत येतील तेव्हा मी धर्म बदलेल आणि बौद्ध धर्म स्वीकारेल.बाबासाहेबाणी जनतेला न्यान मिळवून देऊन मृत्यू च्या आधी त्यांनी हिंदू धर्मचा त्याग केला होता. असं मत बहुजन समाजवादी पार्टी च्या अध्यक्षा मायावयतिनी आज प्रचार सभेत केला. विशेष म्हणजे आज १४ ऑक्टोबर असल्यानं त्यांच्या या वक्त्याव्याकडे सर्वांचे लक्ष वेधले गेले


Body:सरसंघचालक मोहन भागवत यांनी विजयादशमी च्या दिवशी भारत हा हिंदु राष्ट्र आहे अस म्हटलं होतं.बाबासाहेबांनी लिहोलेलं संविधान त्यांनी वाचव की भारत हा हिंदू राष्ट्र नाहीं तर धर्मनिरपेक्ष देश आहे असं मत देखील मायावतीनी व्यक्त केलं


Conclusion:
Last Updated : Oct 15, 2019, 12:56 AM IST
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