नई दिल्ली : कोरोना महामारी के बीच विभिन्न राजनीतिक दलों द्वारा किए जा रहे चुनाव-प्रचार पर जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने टिप्पणी करते हुए शुक्रवार को कहा कि अगर कोरोना महामारी अपनी समस्त विनाशकार्यों के बावजूद राजनेताओं को अपने राजनीतिक लाभ की प्राप्ति और चुनाव प्रचार से नहीं रोक सकती, तो मुसलमानों को परलोक की सफलता के लिए तबलीगी जमात के मजहबी कार्यों को कैसे प्रभावित कर सकती है.
जमीयत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने शुक्रवार को यह संदेश जारी करते हुए कहा, 'तबलीगी जमात एक आवामी खालिस धार्मिक और अंतरराष्ट्रीय संगठन है, इसलिए जमीयत उलमा-ए-हिंद वर्तमान स्थिति में जमाते तबलीग के हर सदस्य बल्कि हर मुसलमान तक यह संदेश पहुंचाना जरूरी समझती है कि कोरोना वायरस और सांप्रदायिक मानसिकता के पैदा किए गए इन हालात के बावजूद तबलीग के काम में थोड़ी सी भी कमी आने आना या तबलीगी गतिविधियों में कमजोरी पैदा होना हमारे बड़े द्वारा स्थापित इस अंतरराष्ट्रीय संगठन के लिए हानिकारक हो सकता है.'
इसके साथ ही उन्होंने कहा कि इन धार्मिक गतिविधियों के साथ-साथ यह भी ध्यान रखना जरूरी है कि स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से कोरोना वायरस से बचने के लिए जो गाइडलाइन जारी की गई हैं उनका भी हर स्तर पर पालन किया जाए.
अरशद मदनी ने कहा कि अगर सांप्रदायिक शक्तियां मरकज पर ताला लगा कर तबलीगी के काम में रुकावट बनना चाहती हैं, तो इबादत और तबलीगी के लिए हर मस्जिद बल्कि जमीन का हर भाग मस्जिद और मरकज है.
पढ़ें - मरकज के विदेशी जमातियों के खिलाफ 12 आरोपपत्र होंगे दाखिल, 536 बनाए गए आरोपी
जमीयत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष ने अपने संदेश में अंत में यह कहा कि मुसलमानों पर अनिवार्य है कि अल्लाह के हर काम के लिए कोरोना वायरस जैसी हर रुकावट को ठोकर मार कर एक तरफ कर दें और अपने अस्तित्व को मजबूत बनाएं, लेकिन इसके साथ ही स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से जो नियम और गाइडलाइन की पाबंदी जारी की गई हैं उनका भी ध्यान रखा जाए.