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राम जेठमलानी : राजनीतिक और कानूनी जीवन में दिखे अलग-अलग रंग, जानें कहानी

वरिष्ठ वकील राम जेठमलानी का 95 वर्ष की उम्र में निधन हो गया. वह पिछले दो हफ्ते से गंभीर रुप से बीमार थे. जाने-माने वकील होने के साथ-साथ जेठमलानी राजनीतिज्ञ भी थे. उनके राजनीतिक जीवन से जुड़े अलग अलग पहलू

राम जेठमलानी
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Published : Sep 8, 2019, 11:57 PM IST

Updated : Sep 29, 2019, 10:47 PM IST

नई दिल्ली: देश के बेहतरीन वकीलों में से एक राम जेठमलानी हमारे बीच नहीं रहे. जेठमलानी 95 वर्ष के थे. बता दें कि लंबी बीमारी के बाद आज उनका निधन हो गया है.

एक प्रतिष्ठित न्यायविद्, साहसी, विद्वान अधिवक्ता, मुखर वक्ता, अधिक शक्तिशाली (feisty) राम जेठमलानी देश के बेहतरीन वकीलों में से एक थे. वकालत के साथ साथ जेठमलानी राजनीति में भी सक्रिय थे. उन्होंने वाजपेयी सरकार में कुछ समय के लिए कानून मंत्री का पद भी संभाला.

जेठमलानी ने 17 साल की उम्र में कानून की डिग्री प्राप्त की और भारत के विभाजन से पहले अपने करियर की शुरुआत में कराची में वकालत किया करते थे. वह सुप्रीम कोर्ट के बार एसोसिएशन के अध्यक्ष भी रहे थे. जेठमलानी ने 2017 में वकालत से संन्यास ले लिया था.

जेठमलानी का जन्म सिंध में हुआ था. उन्होंने कराची के एससी लॉ कॉलेज से एलएलएम की पढ़ाई की.

जेठमलानी का जीवन उत्साह और उमंग से भरा था. खुद को फिट रखने कि लिए जेठमलानी बैडमिंटन खेला करते थे.

उन्होंने सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में भी काम किया. साप्ताहिक समाचार पत्र द संडे गार्जियन के संपादक भी रहे जेठमलानी की मृत्यु 96वें जन्मदिन के ठीक छह दिन पहले हो गई.

जेठमलानी ने जस्टिस : सोवियत स्टाइल (Justice: Soviet-Style), बिग इगोस स्मॉल मेन (Big Egos, Small Men), कॉन्शसनेस ऑफ ए मैवरिक (Conscience of a Maverick) और मैवरिक : अनचेंज्ड अनरीपेंटेंट (Maverick Unchanged, Unrepentant) किताबें लिखीं.

पढ़ेंः राम जेठमलानी का 95 वर्ष की उम्र में निधन, PM मोदी ने दी श्रद्धांजलि

जेठमलानी एक मुखर वक्ता थे, जो अपने शब्दों को स्पष्ट तरीके से रखने में विश्वास करते थे. जेठमलानी के पास लंबी संसदीय पारी का अनुभव था. वे छह बार राज्यसभा सांसद और दो बार लोकसभा सांसद रहे. उन्होंने सदन में अपने विचारों को जोश, रुचि, दृढ़ विश्वास और स्पष्टता के साथ रखा. सदन के सदस्य भी उनकी बात बड़े ध्यान से सुना करते थे.

जेठमलानी ने राजनीति में व्याप्त भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई लड़ी थी. कहा जाता है कि वे राजनीतिक सहयोगियों पर कभी पूरा भरोसा नहीं करते थे. वे लालू प्रसाद यादव की पार्टी राष्ट्रीय जनता दल (राजद) से साल 2016 में राज्यसभा सांसद चुने गए थे.

जेठमलानी ने अपने राजनीतिक पारी की शुरुआत 1971 में की थी. इस दौरान वे मुंबई के उल्हासनगर से निर्दलीय प्रत्याशी के रुप में चुनाव लड़े, लेकिन वे इस चुनाव में हार गए थे.

जेठमलानी 1980 में फिर से लोकसभा के सदस्य के रुप में चुने गए.

1998 और 1999 के बीच प्रधानमंत्री अटलबिहारी वाजपेयी के शासन काल में राम जेठमलानी कानून और शहरी विकास मंत्री बने. इसके बाद 2004 के लोकसभा चुनाव में वे वाजपेयी के खिलाफ लखनऊ से चुनाव लड़े थे. बीजेपी टिकट पर छठवीं और सातवीं लोकसभा चुनाव में महाराष्ट्र से चुनाव लड़े और सांसद भी बने थे.

जेठमलानी का भाजपा से गहरा संबंध रहा. भाजपा ने उन्हें 2010 में अपनी पार्टा में शामिल कर लिया और राज्यसभा सदस्य बनाया. लेकिन भाजपा नेता नितिन गडकरी के खिलाफ टिप्पणी करने पर उन्हें पार्टी से निष्कासित कर दिया गया.

पढ़ेंः नहीं रहे दिग्गज वकील राम जेठमलानी, लोगों ने दी श्रद्धांजलि

राम जेठमलानी देश के सबसे तेज तर्रार वकीलों में से थे. वरिष्ठ वकील को भारतीय संविधान का भी वृहद ज्ञान और स्पष्टता के साथ किसी भी मुद्दे का विश्लेषण करते थे. जेठमलानी क्रिमिनल लॉ के अच्छे जानकार थे यही वजह रही कि वे 90 साल की उम्र तक देश के सबसे बड़े क्रिमिनल लायर रहे.

जेठमलानी देश के विभाजन के बाद मुंबई चले आए और नानवती केस सहित अपने करियर में कई हाई-प्रोफाइल मुकदमे लड़े और प्रतिष्ठा कमाई. वे सबसे अधिक पैसा लेने वाले वकीलों में से थे.

उन्होंने एक साक्षात्कार में कहा था कि वह किसी का केस लेने से पहले अपनी अंतरात्मा की सुनते हैं. उन्होंने कहा कि एक वकील जो किसी दोषी का केस लड़ने से मना करता है तो वह अपने पेशे के साथ अन्याय करता है.

आपातकाल के समय बार एसोसिएशन के अध्यक्ष रहे जेठमलानी ने इंदिरा गांधी का भी विरोध किया था. उनके खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया गया. वे जब अदालत में पहुंचे तो न्यायाधीश से सवाल किया कि क्या आप ने घाना देश के बारे में सुना है?

उन्होंने अदालत को बताया कि अफ्रीका में एक मुख्य न्यायाधीश थे, जिन्होंने देश को एक कठोर कानून का मसौदा तैयार करने में मदद की थी और जब यह कानून लागू हुआ तो सबसे पहले मुख्य न्यायाधीश उसका शिकार बने और दो सालों तक किसी को उनकी कोई खबर नहीं मिली.

राम जेठमलानी ने इन मामलों में की पैरवी

  • नानावती केस में अभियोजन पक्ष के रुप में शामिल हुए थे. इस केस में एक नेवी कमांडर ने अपनी पत्नी के प्रेमी को गोली मार दी थी.
  • दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) के पूर्व प्रवक्ता सैयद अब्दुल रहमान का केस लड़े थे. रहमान 2001 में हुए संसद पर हमले का संदिग्ध आरोपी था.
  • हर्षद मेहता स्टॉक घोटाला मामला
  • जेसिका लाल हत्या कांड में उम्रकैद की सजा झेल रहे मनु शर्मा का केस के वकील.
  • बीजेपी नेता लाल कृष्ण अडवानी की तरफ हवाला केस में वकालत की.
  • इन्द्रिरा गांधी के हत्या के आरोपी बलवीर सिंह और केहर सिंह के लिए पैरवी की.
  • राजीव गांधी की हत्या के आरोपियों के वकील
  • टू-जी स्पेक्ट्रम घोटाला
  • कर्नाटक में अवैध खनन केस के वकील
  • आसाराम बापू दुष्कर्म मामले में वकील
  • तमिलनाडु की पूर्व मुख्यमंत्री जयललिता के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति के मामले में पैरवी की.
  • चारा घोटाला मामले में लालू प्रसाद यादव के वकील
  • वोट कंट्रोवर्सी मामले में पूर्व सपा नेता अमर सिंह के वकील
  • दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल पर पूर्व वित्त मंत्री अरुण जेटली ने मानहानि का मुकदमा दायर किया था. इस मामले में इन्होंने अरविंद केजरीवाल की तरफ से मुकदमा लड़ा.

नई दिल्ली: देश के बेहतरीन वकीलों में से एक राम जेठमलानी हमारे बीच नहीं रहे. जेठमलानी 95 वर्ष के थे. बता दें कि लंबी बीमारी के बाद आज उनका निधन हो गया है.

एक प्रतिष्ठित न्यायविद्, साहसी, विद्वान अधिवक्ता, मुखर वक्ता, अधिक शक्तिशाली (feisty) राम जेठमलानी देश के बेहतरीन वकीलों में से एक थे. वकालत के साथ साथ जेठमलानी राजनीति में भी सक्रिय थे. उन्होंने वाजपेयी सरकार में कुछ समय के लिए कानून मंत्री का पद भी संभाला.

जेठमलानी ने 17 साल की उम्र में कानून की डिग्री प्राप्त की और भारत के विभाजन से पहले अपने करियर की शुरुआत में कराची में वकालत किया करते थे. वह सुप्रीम कोर्ट के बार एसोसिएशन के अध्यक्ष भी रहे थे. जेठमलानी ने 2017 में वकालत से संन्यास ले लिया था.

जेठमलानी का जन्म सिंध में हुआ था. उन्होंने कराची के एससी लॉ कॉलेज से एलएलएम की पढ़ाई की.

जेठमलानी का जीवन उत्साह और उमंग से भरा था. खुद को फिट रखने कि लिए जेठमलानी बैडमिंटन खेला करते थे.

उन्होंने सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में भी काम किया. साप्ताहिक समाचार पत्र द संडे गार्जियन के संपादक भी रहे जेठमलानी की मृत्यु 96वें जन्मदिन के ठीक छह दिन पहले हो गई.

जेठमलानी ने जस्टिस : सोवियत स्टाइल (Justice: Soviet-Style), बिग इगोस स्मॉल मेन (Big Egos, Small Men), कॉन्शसनेस ऑफ ए मैवरिक (Conscience of a Maverick) और मैवरिक : अनचेंज्ड अनरीपेंटेंट (Maverick Unchanged, Unrepentant) किताबें लिखीं.

पढ़ेंः राम जेठमलानी का 95 वर्ष की उम्र में निधन, PM मोदी ने दी श्रद्धांजलि

जेठमलानी एक मुखर वक्ता थे, जो अपने शब्दों को स्पष्ट तरीके से रखने में विश्वास करते थे. जेठमलानी के पास लंबी संसदीय पारी का अनुभव था. वे छह बार राज्यसभा सांसद और दो बार लोकसभा सांसद रहे. उन्होंने सदन में अपने विचारों को जोश, रुचि, दृढ़ विश्वास और स्पष्टता के साथ रखा. सदन के सदस्य भी उनकी बात बड़े ध्यान से सुना करते थे.

जेठमलानी ने राजनीति में व्याप्त भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई लड़ी थी. कहा जाता है कि वे राजनीतिक सहयोगियों पर कभी पूरा भरोसा नहीं करते थे. वे लालू प्रसाद यादव की पार्टी राष्ट्रीय जनता दल (राजद) से साल 2016 में राज्यसभा सांसद चुने गए थे.

जेठमलानी ने अपने राजनीतिक पारी की शुरुआत 1971 में की थी. इस दौरान वे मुंबई के उल्हासनगर से निर्दलीय प्रत्याशी के रुप में चुनाव लड़े, लेकिन वे इस चुनाव में हार गए थे.

जेठमलानी 1980 में फिर से लोकसभा के सदस्य के रुप में चुने गए.

1998 और 1999 के बीच प्रधानमंत्री अटलबिहारी वाजपेयी के शासन काल में राम जेठमलानी कानून और शहरी विकास मंत्री बने. इसके बाद 2004 के लोकसभा चुनाव में वे वाजपेयी के खिलाफ लखनऊ से चुनाव लड़े थे. बीजेपी टिकट पर छठवीं और सातवीं लोकसभा चुनाव में महाराष्ट्र से चुनाव लड़े और सांसद भी बने थे.

जेठमलानी का भाजपा से गहरा संबंध रहा. भाजपा ने उन्हें 2010 में अपनी पार्टा में शामिल कर लिया और राज्यसभा सदस्य बनाया. लेकिन भाजपा नेता नितिन गडकरी के खिलाफ टिप्पणी करने पर उन्हें पार्टी से निष्कासित कर दिया गया.

पढ़ेंः नहीं रहे दिग्गज वकील राम जेठमलानी, लोगों ने दी श्रद्धांजलि

राम जेठमलानी देश के सबसे तेज तर्रार वकीलों में से थे. वरिष्ठ वकील को भारतीय संविधान का भी वृहद ज्ञान और स्पष्टता के साथ किसी भी मुद्दे का विश्लेषण करते थे. जेठमलानी क्रिमिनल लॉ के अच्छे जानकार थे यही वजह रही कि वे 90 साल की उम्र तक देश के सबसे बड़े क्रिमिनल लायर रहे.

जेठमलानी देश के विभाजन के बाद मुंबई चले आए और नानवती केस सहित अपने करियर में कई हाई-प्रोफाइल मुकदमे लड़े और प्रतिष्ठा कमाई. वे सबसे अधिक पैसा लेने वाले वकीलों में से थे.

उन्होंने एक साक्षात्कार में कहा था कि वह किसी का केस लेने से पहले अपनी अंतरात्मा की सुनते हैं. उन्होंने कहा कि एक वकील जो किसी दोषी का केस लड़ने से मना करता है तो वह अपने पेशे के साथ अन्याय करता है.

आपातकाल के समय बार एसोसिएशन के अध्यक्ष रहे जेठमलानी ने इंदिरा गांधी का भी विरोध किया था. उनके खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया गया. वे जब अदालत में पहुंचे तो न्यायाधीश से सवाल किया कि क्या आप ने घाना देश के बारे में सुना है?

उन्होंने अदालत को बताया कि अफ्रीका में एक मुख्य न्यायाधीश थे, जिन्होंने देश को एक कठोर कानून का मसौदा तैयार करने में मदद की थी और जब यह कानून लागू हुआ तो सबसे पहले मुख्य न्यायाधीश उसका शिकार बने और दो सालों तक किसी को उनकी कोई खबर नहीं मिली.

राम जेठमलानी ने इन मामलों में की पैरवी

  • नानावती केस में अभियोजन पक्ष के रुप में शामिल हुए थे. इस केस में एक नेवी कमांडर ने अपनी पत्नी के प्रेमी को गोली मार दी थी.
  • दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) के पूर्व प्रवक्ता सैयद अब्दुल रहमान का केस लड़े थे. रहमान 2001 में हुए संसद पर हमले का संदिग्ध आरोपी था.
  • हर्षद मेहता स्टॉक घोटाला मामला
  • जेसिका लाल हत्या कांड में उम्रकैद की सजा झेल रहे मनु शर्मा का केस के वकील.
  • बीजेपी नेता लाल कृष्ण अडवानी की तरफ हवाला केस में वकालत की.
  • इन्द्रिरा गांधी के हत्या के आरोपी बलवीर सिंह और केहर सिंह के लिए पैरवी की.
  • राजीव गांधी की हत्या के आरोपियों के वकील
  • टू-जी स्पेक्ट्रम घोटाला
  • कर्नाटक में अवैध खनन केस के वकील
  • आसाराम बापू दुष्कर्म मामले में वकील
  • तमिलनाडु की पूर्व मुख्यमंत्री जयललिता के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति के मामले में पैरवी की.
  • चारा घोटाला मामले में लालू प्रसाद यादव के वकील
  • वोट कंट्रोवर्सी मामले में पूर्व सपा नेता अमर सिंह के वकील
  • दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल पर पूर्व वित्त मंत्री अरुण जेटली ने मानहानि का मुकदमा दायर किया था. इस मामले में इन्होंने अरविंद केजरीवाल की तरफ से मुकदमा लड़ा.
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Last Updated : Sep 29, 2019, 10:47 PM IST
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